My AICC Press Brief dated 10.08.2017 in Hindi

डॉ. अभिषेक सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्य रूप से 4 बिंदुओं पर हम बात करेंगे आपसे। सभी का संबंध है माननीय प्रधानमंत्री, हमारे देश के ,जो दिन-प्रतिदिन एनडीए सरकार, मंत्री महोदय और बीजेपी के अध्यक्ष हमें उपदेश देते हैं भ्रष्टाचार के विषय में, सीख देते हैं, उदाहरण देते हैं, बड़े-बड़े वायदे करते हैं और बड़े-बड़े दावे करते हैं ,तो उसकी सच्चाई,उसके दोगलेपन और उसके आडंबरपन को आपके सामने रखना चाहते हैं। किस तरह के डबल स्टेंडर्डस भ्रष्टाचार के विषय में इस सरकार ने अपनाए हैं। इस मेन थीम को ध्यान में रखते हुए हमारे जो 4 बिंदु में से 3 इससे संबंधित हैं। पहला है – आपको मैं संक्षेप में दिखाउंगा कि किस प्रकार से महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को यूपीए सरकार के जाने के बाद कमजोर करने का भरसक प्रयत्न किया गया है और कमजोर किए गए। दूसरा बिंदु है कि बार-बार दावा करना कि भ्रष्टाचार रहित सरकार है। हमारे पास एक स्टडी है, एक श्वेत पत्र है हमारी पार्टी का जो आपके समक्ष रिलीज़ होगा, उसमें हमने उदाहरण दिए हैं, नाम दिए हैं, सब फैक्ट दिए हैं, मेरे माननीय कलीग ने काफी रिसर्च किया है। तीसरा उन सब भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े मील पत्थर घोटाले जिनके नाम मोदी जी और एनडीए बार-बार भुलवाना चाहते हैं जैसे कि वो बीजेपी से संबंध नहीं रखते, किसी औऱ प्लेनेट से आते हैं। इन तीन विषयों के बाद मेरे मित्र ट्रायबल के विषय में आपसे बात करेंगे।

एक चौथा उदाहरण आता है, जहाँ हमने नहीं पास किया माननीय वित्त मंत्री और इस सरकार ने बहुत हल्ले-गुल्ले के साथ आपको इलेक्ट्रोरल बोंडस के बारे में बताया। आपको पता है कि जब इलेक्ट्रोरल बोंडस नही थे कानून में तो 20 हजार से ज्यादा कोई भी व्यक्ति अगर देता था तो उसकी पूरी आपूर्ति करनी पड़ती थी या छुपा कर कैश में देना पड़ता था, जो गैर-कानूनी होता। इंकम टैक्स में है, आर.बी.आई एक्ट में है। अब ये रिप्रेजेंटेशनल ऑफ पीपल एक्ट को बदल कर जो प्रावधान लाया गया है ,उसमें सबसे विशेष बात ये है कि करोड़ों-लाखों दान एक ही व्यक्ति अपने डोनेशन को 10 बोंडस में डिवाइड करे। 10 अलग-अलग विभिन्न व्यक्ति अपने डोनेशन को अलग-अलग बोंडस में डिवाइड करे, कैसे दें 50 हजार करोड़ दें, वो आरटीआई से,आपसे, हमसे और सार्वजनिक रुप से छुपा हुआ है, कानून के द्वारा। अब ये अलग बात है कि सरकार को पता है कि वो कौन है। तो ये सरकार को डोनेशन लेने के लिए, कम से कम अभी उसका फायदा उठाने के लिए और अगणित अमाउंट लेने के लिए सबसे सहुलियत, का कारगर कानूनी तरीका निकाला गया है।

श्री आर.पी.एन सिंह ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अभी सिंघवी साहब जी और गौड़ा साहब ने बताया कि भ्रष्टाचार की बात करने वाली भाजपा खुद किस तरह भ्रष्टाचार में लिप्त है। चुनाव के दौरान किसानों के बारे में, आदिवासियों के बारे में, जमीन के बारे में बड़े भाषण भाजपा के नेताओं ने दिए। सत्ता में और केन्द्र में जब भाजपा आई तो सबसे पहले उसने किस पर हमला किया- किसानों की जमीन पर हमला किया। वो तो कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व ने वो लड़ाई लड़ी और 44सांसदों से बिल को हमने बदलने की ताकत दिखाई क्योंकि किसानों का मुद्दा था। उसी तरह से एक मुद्दा सामने आया जब झारखंड में भाजपा की सरकार बनी, आदिवासी, पिछड़े गरीब आदिवासियों की बात करने वाली भाजपा सरकार जब झारखंड में सरकार बनी, जब चुनाव थे वहाँ प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि CNP और SPT एक्ट, छोटा नागपुर टेडेंसी एक्ट और संथाल परगना टेडेंसी एक्ट जो 1908 में मूलवासियों और आदिवासियों की जमीन को सुरक्षित रखती है। परंतु पिछले 8 महीनों से वहाँ के मुख्यमंत्री और सरकार ने पूरी कोशिश की उस टेडेंसी एक्ट में बदलाव लाने की, क्योंकि विधानसभा में उनकी संख्या बल ज्यादा थी, उस विधानसभा में उस अमेंडमेंट को पास करवा कर गवर्नर तक भिजवाया। कांग्रेस पार्टी ने गवर्नर के सामने पिटिशन रख विरोध किया और वहाँ जो हमारे मूलवासी और आदिवासी को सुरक्षित रखती है उन्होंने भी विरोध जताया सड़कों पर। गवर्नर साहब ने उसको वापस लौटाया और हमने लगातार विधानसभा के अंदर और सड़कों पर लेकर उसकी खिलाफत की। कल हमारा एक बहुत बड़ा धरना था झारखंड में, विधानसभा का घेराव किया था। जिस तरह से भाजपा प्रजातंत्र का गला घोटना चाहती है। पानी के गोले और लाठी चार्ज हुआ परंतु जिस तरह से संख्या में लोग आए, जिस तरह से उन्होंने मूलवासी और आदिवासियों को रोकने की कोशिश की, मैं कह सकता हूं आज कांग्रेस पार्टी में फिर से भले हमारे पास झारखंड में संख्या बल नहीं है, आज विधानसभा में भाजपा की सरकार ने उस अमेंडमेंट को वापस लेने की बात की है, मैं समझ सकता हूं कि कांग्रेसी आदिवासी की जमीन हो, किसानों की जमीन हो उसके लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे और ये जीत जो हमारी ट्रायबल भाई ने,उनके लिए झारखंड में बहुत बड़ी जीत हुई है। क्योंकि अमेंडमेंट को उन्होंने कई बार बदलने की कोशिश की और आज वापस लिया है और ये बहुत बड़ी जीत है, आदिवासी और मूलवासियों के लिए झारखंड में।

एक प्रश्न पर कि कल मानसून सत्र का आखिरी दिन है और कामकाज ठप रहा, बिल पास नहीं हुए, क्या कहेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि इस बार तो हम सब जानते हैं कि संसद का कार्य आगे बढ़ाने का पूरा उत्तरदायित्व सरकार पर होता है। इस बार भगवान की कृपा है कि कोई बहाना भी नहीं है विपक्ष के अवरुद्ध या विरोध करने के लिए, नहीं तो बहाना मिल जाता है। इस बार वो नहीं है कि किसी प्रकार से अवरुद्ध हुआ है और जैसे हमने पहले आपके सामने आंकड़े रखें है-जब भी हम सत्ता में होते हैं और जब बीजेपी सत्ता में होती है, उस दौरान जो अवरुद्ध करने की प्रक्रिया होती है उसके आंकड़े बड़े स्पष्ट होते हैं कि अवरुद्ध बहुत ज्यादा करती है, विरोध की हैसियत से। कारण आपको बीजेपी से और सत्तारुढ़ सरकार से पूछना चाहिए। शायद ये रहा हो पिछले दो हफ्ते इस सत्र के थे या तो गुजरात में बहुत ज्यादा व्यस्त थे या चुनाव आयोग में मंत्री महोदय बहुत ज्यादा व्यस्त थे, ऐसा कोई कारण रहा हो हमें पता नहीं, लेकिन निश्चित रुप से संसद का काम काफी प्रभावित हुआ है।

एक अन्य प्रश्न पर कि प्रधानमंत्री जी ने अपने मंत्रिय़ों को काफी खरी-खोटी सुनाई है संसद सत्र को लेकर, क्या कहेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये तो इनकी आपसी बात है, ना हमें इस पर कोई टिप्पणी करने का अधिकार क्षेत्र है। बात ये है कि मैं नहीं समझता कि बीजेपी के और हमारे नीजि वार्तालाप जो भी होते हैं सैंट्रेल हॉल में, उससे ये दिखता है। मैं नहीं समझता है कि बीजेपी के कोई भी एमपी को स्वतंत्रता है या पार्टिसिपेशन है, इसलिए उनको वो लगाव सैंसर ऑनरशिप बिल्कुल नहीं है। अगर सबकुछ, आप हाईकमांड की बात करते हैं, तो सुपर हाई कमांड इस देश में किसी पार्टी में हो तो वो एक ही पार्टी में है- सत्ता रुढ़ पार्टी बीजेपी में और उसके रहते कोई भी सांसद अपने आपको जुड़ा हुआ नहीं समझता संसदीय प्रक्रिया में।

एक अन्य प्रश्न पर कि गुजरात चुनाव में जीत से आप क्या सबक लेते हैं, आने वाले चुनाव के लिए क्या तैयारी है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस पहली बात तो नतमस्तक है उन एमएलए के समक्ष जिनको प्रलोभन दिया गया ,उसका तुलनात्मक रूप से आप अहसास भी नहीं कर सकते। उनको सैल्यूट करना चाहिए। दूसरी बात हर प्रकार का प्रलोभन, कई हफ्तों तक। ये संस्थाओं की जीत है सबसे पहले। माननीय पटेल जी की जीत तो है ही, निष्पक्ष स्वतंत्र संस्था, कानूनी कार्यवाही के आधार पर निर्णय दे सके, उसका द्ययोतक है, उसका उत्तम उदाहरण है। तीसरा ये दिखाता है कि जब अहंकार की चरम सीमा होती है तो ऊपर वाले का न्याय अजीब होता है, उसको आप हिट-वीकेट कह लीजिए, सेल्फ गोल कह लीजिए, टू क्लेवर बाय हॉफ कह लीजिए, लेकिन उस न्याय की चपत बड़ी करारी होती है।500, 2000 रुपए के नोट पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि आपके समक्ष हमने तथ्य रखे हैं। हमें अगर दो नोट मिलेंगे तो हम आपके समक्ष रखेंगे। हमें अभी तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला है और जब तक नहीं आता है हम बार-बार जवाब मांगेगे। वो मांग जारी है।

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