डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते कहा कि ये बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि इतने बड़े व्यापक स्तर पर बधाईयों के साथ अपनी पीठ थपथपा कर जश्न मनाए जा रहे हैं, हजारों, लाखों-करोड़ के जश्न तीसरी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में। अपनी पीठ थपथपा रही है मोदी सरकार और इस कार्यक्रम को कहा जा रहा है- Making of Developed India यानि MODI फेस्ट। इसका औचित्य क्या है, लाखों-करोड़ों का खर्चा, इश्तिहारों का एक आक्रमण, एक तूफान, वायदों के पुलिंदे लेकिन सच्चाई से मीलों से दूर और जो सच्चाई आपको बताने वाला हूं उससे सिर्फ दो चीजें याद आती हैं कि अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू, अपनी बढ़ाई करके अपने आप खुश होना।
आपको मोदी जी के वो सब वाक्य याद हैं जो आपने 2013-14 में सुने, प्रचुर मात्रा में सुनें। उनके चुनावी घोषणा पत्र में लिखित रुप से 2 करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष देने का वायदा किस बेशर्मी से तार-तार किया गया है। सच्चाई ये है कि आज जिसको आप विकास कहते हैं, जिसको आप विकास मानते हैं, नए आंकड़ों के आधार पर और सरकार के आधार पर, कभी 6 प्रतिशत कहते हैं कभी 7 प्रतिशत कहते हैं, लेकिन ये बात आधारित है कि रोजगार का विकास 1 प्रतिशत है। 1 प्रतिशत, बड़ा स्पष्ट है कि वो बिना रोजगार वाला विकास है। बेरोजगारी की ये बढोतरी है वो दुर्भाग्यपूर्ण और चौंकाने वाली है।
पौने 9 लाख था 2009-10 में नए रोजगार जो बनाए गए थे (2009-10 में 8.7 लाख था)। 2010-11 में सवा नौ लाख और 2014-15 में 1.35 लाख। ये मैं आपको सटीक फीगर बता रहा हूं। कहाँ 9 लाख और कहाँ 1.35 लाख? 7 गुना फर्क। 2 वर्ष से ये चल रहा है और ये सब संबंधित है, आपसी पारस्परिक संबंध रखते हैं। 63 वर्ष में सबसे न्यूनतम विकास है बैंक के क्रेडिट का, जो बैंक देते हैं, क्योंकि बिना बैंक के रुपए दिए गए। औद्योगिक विकास नहीं हो सकता, उद्योग की रफ्तार नहीं बढ़ सकती और उद्योग की रफ्तार के बिना रोजगार नहीं बढ़ सकता। 63 वर्षों में सबसे न्यूनतम दर बैंक क्रेडिट की अगर है तो अब है, 2016-17 में 5.3 प्रतिशत। IIP का जो विकास है वो बिल्कुल न्यूनतम है 0.6 प्रतिशत यानि आधा प्रतिशत, जनवरी 2017 तक।
हम ये सब आपके द्वारा इसलिए पूछ रहे हैं कि जुमलेबाजी जरुर कीजिए मोदी जी, वायदे जरुर कीजिए, बहकाइए और बरगलाइए जरुर लेकिन कृपया साथ-साथ ये जरुर बताईए देश को कि आप किस चीज का जश्न मना रहे हैं, किस चीज की बधाई आप दे रहे हैं? Job Loss के लिए, बेरोजगारी बढ़ाने के लिए? क्या ये आवश्यक है इतना बड़ा खर्चा करना? आप आशिंक रुप से रोजगार बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करते। आप क्या ठोस कदम उठा रहे हैं रोजगार बढ़ाने के लिए, औद्योगिक प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए और बैंक क्रेडिट की दर बढ़ाने के लिए? ये आपके माध्यम से हम और पूरा देश पूछना चाहते हैं।
एक प्रश्न पर कि भाजपा 3 सालों का जश्न मनाने जा रही है, क्या कांग्रेस पार्टी के पास ऐसी कोई योजना है जो मोदी सरकार के दावों को नकार सकें, श्री सिंघवी ने कहा कि अगले 2 हफ्तों में आप देखेंगे कि भारत के विभिन्न भागों में हम सब लोग स्वयं अलग-अलग जाकर इन बिल्कुल निराधार, बेईमानी, बरगलाने वाले दावों और वायदों का पर्दाफाश करेंगें और दिल्ली के बाहर जाकर ये बताएंगे। चाहे कृषि क्षेत्र हो, राष्ट्रीय सुरक्षा हो, जम्मू-कश्मीर का मुद्दा हो या अन्य मुद्दे हों। जागरुकता आपके माध्यम से व्यापक तरीके से विभिन्न भागों में होनी चाहिए। प्रादेशिक शहरों में ये बहुत ही आवश्यक है।
अलग-अलग शहरों में जाते हैं मोदी सरकार की वायदा खिलाफी के बारे में कांग्रेस पार्टी तुलानात्मक आंकड़े देगी। रोजगार के हमने 2 आंकडे दिए। 8.7 लाख और 1.35 लाख का फर्क, ये क्या है? जम्मू-कश्मीर में 10 वर्ष में पर्यटन था, वोटिंग थी, रोजगार की जिंदगी चल रही थी, एक जो समता थी, स्थिरता थी, काम करने की शक्ति थी और जमीनी सच था वो आज से भिन्न था या नहीँ? निश्चित रुप से था।
एक अन्य प्रश्न पर कि बीजेपी सरकार में कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं के ऊपर कार्यवाही की जा रही है, क्या कहेंगे, श्री सिंघवी ने कहा कि ये सत्य नहीं है। आप अगर अवसरवादी और सिलेक्टिव जांच करेंगे, आपको मालूम है कि ईडी ने और सीबीआई ने 34 लीडर के विरुद्ध कार्यवाही की है और उसमें से 30 विपक्ष के हैं। जनार्दन रेड्डी के केस में ईडी ने कुछ नहीं किया था, 500 करोड़ तो उन्होंने शादी में खर्च किया, उनको छोड़ दिया गया। सहारा में आपने खुद ने क्या तहकीकात की? 34 में से 30 आरोप लगाएंगे विपक्ष के ऊपर। आपने व्यापम को सीबीआई को सौंपा, डेढ़ वर्ष पहले सुप्रीम कोर्ट से डांट खाकर, लेकिन आज डेढ़ साल में सीबीआई ने क्या किया उसमें, कुछ हुआ? हिंदुस्तान का सबसे बड़ा मल्टीस्टेट स्कैम है, मृत्यु हैं उसमें पैसा है, क्या किया गया उसमें? GSPC में क्या किया? Selective Prosecution, opportunistic Prosecution से माहौल अपनी गलतियाँ छुपाने के लिए बना सकते हैं, क्योंकि आप सरकार में हैं, लेकिन हकीकत नहीं बदली जा सकती है