My AICC Press Brief dated 04.07.2017 in Hindi

डॉ. अभिषेक सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं समझता हूं कि किसी भी जिम्मेवार विपक्ष को इस प्रश्न से बिल्कुल नहीं हटना चाहिए क्योंकि हम इस देश की सुरक्षा, देश की अक्षुणता, गौरव के लिए हमेशा खड़े हैं और इसलिए कोई भी इस देश का सही नागरिक अत्यंत चिंतित ना हो इस गंभीर राष्ट्रीय मुद्दे पर, ऐसा नहीं हो सकता। इसलिए जिम्मेवारी, धैर्य के साथ कह रहे हैं, हम अपनी घोर चिंताजनक व्यथा व्यक्त करना चाहते हैं आपके समक्ष कि इस सरकार ने चीन के विषय में जो असफलताएं पाई हैं और जो अवहेलनाएं की हैं, उनको वो तुरंत ठीक करें और देश को जवाबदेही दें।

इसके तीन पहलू हैं और मैं राष्ट्रीय सुरक्षा की व्यापकता की बात नहीं कर रहा हूं, मैं आज अभी चीन तक सीमित कर रहा हूं। जहाँ तक हमारे सबसे पुराने, बहुत ही महत्वपूर्ण दोस्त का पहलू है – भूटान का, जिसके प्रति हमारी कट्टिबद्धता पर कोई संदेह या प्रश्नचिन्ह नहीं उठ सकता और ना ही उठना चाहिए। दूसरी तरफ ये चीन का सबसे ज्यादा आक्रामक स्टांस जो देखा है हमने 40-50 वर्षों में वो पहलू है। तीसरा बार-बार हमारी बातचीत होती है, फोटो अपोर्चुनीटि होती हैं, यात्राएं होती हैं, अफ्सर जाते हैं, प्रधानमंत्री जाते हैं, आते हैं और झूला झूलते हैं और नतीजा, लगातार संबंध खराब होना। ये तीन पहलू हैं जिनको सरकार तुरंत ठीक करे। ये अति आवश्यक है देश के लिए।

इसके साथ हम आपको याद दिलाना चाहते हैं कि अगर पुराने एग्रीमेंट की हाल में जो नींव है, वो इतनी ठोस है, इतनी मजबूत, इतनी व्यापक है कि उस नींव के उपर भी अगर ये सरकार इमारत बनाने का प्रयत्न करती तो इतनी तकलीफ नहीं होनी चाहिए थी। मैं आपको दुबारा याद दिला रहा हूं, अप्रैल 2005 का करारनामा, जिसको ‘लाईन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल’ करारनामा कहते हैं, चीन के साथ। उसके बाद हाल में अक्टूबर, 2013 का बॉर्डर डिफेंस कोरपोरेशन करारनामा, चीन के साथ। ये सब चीजें उस वक्त बहुत सीमित थी, कम थी। आज अचानक इसमें जबरदस्त चौंकाने वाली वृद्धि कैसे हुई?

मैं आपके सामने आश्चर्यजनक आंकड़ा रखता हूं कि पिछले 45 दिनों में 120 चीन के incursions हुए हैं, लगभग 3 प्रतिदिन। ये औपचारिक आंकड़े हैं, मेरे आंकड़े नहीं हैं और अगर आप 2017 को लें, जो अभी आधा हुआ है उसमें 240 ऐसे incursions या transgressions हैं। ये बहुत ही दयनीय हालत है और ये पहले कभी नहीं हुआ।

बहुत अरसों से नहीं हुआ कि मानसरोवर की यात्रा नाथूला के जरिए ऐसे आक्रामक रुप से बंद की गई हो। पहले नहीं हुआ जो अभी हाल में 4 जून को हुआ कि 2 चीन के हैलिकाप्टर चमोली तक पहुंच गए, उत्तराखंड में। उससे कुछ महिनों पहले 2 और हैलिकाप्टर साढ़े 4 किलोमीटर भारतीय टैरिटरी, उत्तराखंड में पहुंच गए और जैसे मैंने व्यथा व्यक्त की थी कि इन सब संदर्भ में, उन लाल आँखे, 56 इंच छाती की बात छोड़िए, वो लाल आंख हमें दिखती नहीं है और 56 इंच छाती इनविजिबल हो गई है। लेकिन इन सबके बीच हमारे मंत्री महोदय ने क्या वक्तव्य दिए हैं। हाल में माननीय गृहमंत्री ने कहा- Chinese incursions is only perception. माननीय राज्य रक्षा मंत्री ने पार्लियामेंट में कहा- No Chinese incursions, only transgressions. जैसा मैंने कहा कि वकील भी सक्षम नहीं है इस प्रकार का वक्तव्य बनाने में। इसके साथ वो बताते की मतलब क्या होता है, ये बिना फर्क वाले फर्क का।

ये सब कब हो रहा है? ये सब तब हो रहा है जब दिन-प्रतिदिन माननीय प्रधानमंत्री, वरिष्ठ अफसर, मंत्री चीन के लोगों से मिल रहे हैं, फोटो अपोर्चुनीटि हो रही है, मीटिंग हो रही हैं, अहमदाबाद में झूला झूला जा रहा है, आदान-प्रदान हो रहे हैं। साथ-साथ इतने जबरदस्त तरीके से मसूद अजहर को आतंकवादी घोषणा करने के मामले में विरोध हो रहा है भारत का, न्यूक्लियर सप्लायर ग्रूप NSG में बार-बार, हर दिन, हर हफ्ते विरोध कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र काउंसिल में खुले रुप से भारत का अपमान कर रहा है। कॉरिडोर का जो मुद्दा था जिसको आप CPEC कहते हैं उसमें भारत बहुत दयनीय दृष्टि से आईसोलेट क्यों हुआ, अकेला क्यों खड़ा पाया गया, अगर आपको विरोध करना है जमकर कीजिए, अकेले मत दीखिए?

ये सब महत्वपूर्ण प्रश्न हैं, ये सब वो प्रश्न हैं जो हर जागरुक, जिम्मेवार और देश से प्रेम करने वाला, देश प्रेम से ओत-प्रोत नागरिक पूछेगा और हम इसे बहुत ही जिम्मेदारी के साथ पूछ रहे हैं? हम ये भी पूछ रहे हैं कि क्या इस देश की वो किस्मत है कि लगभग साढे 3 वर्ष में देश के पास दो ही प्रकार के रक्षा मंत्री होंगे, या तो Reluctant रक्षा मंत्री या पार्ट टाईम रक्षामंत्री। मैं किसी व्यक्ति विशेष की बात नहीं कर रहा हूं, मैं बात कर रहा हूं ऐसे महत्वपूर्ण करार पर खड़े देश के लिए, पार्ट टाईम रक्षा मंत्री से काम नहीं हो सकता।

अंत में एक दुर्भाग्य की बात है, खेद है ये कहने में कि जब यूपीए सरकार ने 64 हजार करोड़ रुपए का 90 हजार नए एडिशनल ट्रूपस का Mountain Strike Crops करने का पूरा प्रस्ताव पारित कर दिया, बजट बना दिया। चौंकाने वाले आंकड़े हैं- 90 हजार नए ट्रूपस और 64 हजार 678 करोड़ रुपए, वो MSC 90 प्रतिशत भारत चीन की बांउडरी सीमा पर ही होते। हम आपसे जवाबदेही चाहेंगे- क्या हुआ उसका, कहाँ चला गया वो, कार्यांवित क्यों नहीं हुआ, पारित क्यों नहीं हुआ? उसमें से आंशिक रुप से खड़ा क्यों नहीं हुआ, क्या वो आज जबरदस्त रुप से कारगर सिद्ध नहीं होता, ये सब महत्वपूर्ण प्रश्न हैं और हम दुख, खेद और जिम्मेदारी के साथ पूछ रहे हैं, सरकार से? अगर ये सरकार ठोस और सही एक्शन लेती है तो हम उसके साथ पूरी तरह से खड़े हैं, समर्थन के लिए, तुरंत इन सब विषयों, पहलुओं पर सही एक्शन लिया जाए।

अकबरुद्दीन औवेसी के बयान पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि हमें कोई झिझक नहीं है ये कहने में कि आप उस व्यक्ति, उस पार्टी का वक्तव्य पढ़ रहे हैं जिसको मैं आपके सामने बेबाक होकर, औपचारिक रुप से बीजेपी की B टीम कहता हूं, ये बीजेपी की बी टीम का वक्तव्य है। ये उस ऐजेम्डे वाला वक्तव्य है, जो बीजेपी ने बार-बार इस्तेमाल किया है। ऐसे ऐजेण्डे को फैलाने के लिए, जो विभाजन का ऐजेण्डे है, शत्रुता का ऐजेण्डा है, एक घृणात्मक वातावरण बनाने का ऐजेण्डा है और बीजेपी ने बार-बार औवेसी जैसे व्यक्तियों का उपयोग और दुरुपयोग किया है ऐसे ऐजेण्डे के लिए। उसका एक और उदाहरण आप देख रहे हैं। ये जो डर्टी ट्रिक्स विभाग है बीजेपी का, ये बार-बार चुनाव और चुनाव के अलावा स्ट्रेटेजिक क्षणों में, जब देश की समस्याओं का हल ढूंढने में आप नाकामयाब हों, जवाबेदही मांगी जा रही हो, इसका दुरुपयोग करते हैं और इसका एक ही उद्देश्य है कि आप हिंदु को मुस्लिम के विरुद्ध खड़ा कर दें। विभाजन का ऐजेण्डा पूरे देश में फैला दें, कास्ट बनाम कास्ट हो जाए, धर्म बनाम धर्म हो जाए, प्रदेश, प्रांत बनाम प्रदेश, प्रांत हो जाए और ये एक दुर्भाग्य है कि बीजेपी बार-बार करती है इसलिए इसको एक्सपोज करना इन स्पष्ट शब्दों में आवश्यक है। ये औवेसी बंधुओं को छोड़ दीजिए, ये बीजेपी का काम है।

नितीश कुमार जी के कांग्रेस के संदर्भ में दिए बयान पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं स्पष्ट कर दूं कि जहाँ तक राष्ट्रपति के चुनाव का सवाल है, वो मामला खत्म हो गया है। हमने पहले भी और माननीय कांग्रेस अध्यक्ष ने बड़ा स्पष्ट किया था कि अंततोगतवा हर पार्टी का ये अपना स्वत: निर्णय है और जो इसमें अगर पार्टी कोई भी निर्णय करती है जो पार्टी होगी वो उस स्वायत का निर्णय होगा। इसका हमारे बिहार के गठबंधन से ना तो कोई संबंध है और ना ही किसी रुप से उसको कमजोर करता है। हम मजबूती के साथ, साथ खड़े हैं और जो माननीय नितीश कुमार जी ने बार-बार कहा है, कल भी कहा है, इसलिए इसे इस संदर्भ में देखा जाए।

एक अन्य प्रश्न पर कि सूरत में GST के खिलाफ कुछ व्यापारी प्रदर्शन कर रहे हैं, उन पर लाठी चार्ज किया गया, क्या कहेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये प्रश्न आप गलत व्यक्ति से पूछ रहे हैं, ये आपको उनसे पूछना चाहिए जिन्होंने घंटो मध्यरात्रि के भी बाद जश्न मनाया था। आपने सूरत का उदाहरण दिया, मैं आपको 5 उदाहरण दे सकता हूं, जहाँ लाठी-चार्ज हो रहा है, जो अभियान कर रहे हैं। तो ये सवाल आप उनसे पूछिए जो अच्छे आईडिया को कितने अच्छे तरीके से खराब कर सकते हैं। हमने बार-बार कहा कि GST एक बहुत ही प्रभावशाली और अत्यंत आदर्श आईडियल है। लेकिन अच्छी चीज को कैसे गलत रुप से कार्य़ांवित किया जाए, उसके लिए एनडीए-भाजपा के पास जाएं। 40 प्रतिशत वस्तुओं से रिवेन्यू हटा दिया। आज आप कहते हैं GST – वन नेशन, वन टैक्स। वन नेशन कहाँ है और वन टैक्स कहाँ है, 40 प्रतिशत GST में है ही नहीं। पैट्रोल, एल्कोहल नहीं है तो वन नेशन, वन टैक्स कहाँ हुआ? जिन देशों ने सफलता से इसको कार्यांवित किया है वो एक रेट रखते हैं और एक रेट जिसे डीमैरिट रेट कहते हैं। आज की सरकार ने 7 रेट बनाए हैं। जिसको वन नेशन, वन टैक्स कहते हैं। वन टैक्स 7 रेट, तीसरा कार्यांवित करने के लिए आप इतने नाम ले रहे हैं, सूरत का या और जगहों का, ये वो सब लोग हैं जो पूरी तरह से टैक्स पे करते थे, आज भयभीत हैं कि कल हमें आरोपी बना दिया जाएगा, मैं आपना काम नहीं कर पा रहा हूं ना कम्प्यूटर से ना फार्म से। इनकी व्यथा उस जश्न मनाने वाले इस सरकार के लोगों के कानों तक उस दिन रात को नहीं पहुंची और अब भी नहीं पहुंच रही है क्योंकि ये सरकार ईवेंट मैनजमेंट बनाने में माहिर है।

एक अन्य प्रश्न पर कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने गोवा में एयरपोर्ट परिसर के अंदर ही मीटिंग कर दी, क्या कहेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि बीजेपी समझती है कि हम सरकार में है तो हर स्थिति, हर क्षेत्र, हर प्रोपर्टी उनकी पार्टी की है और दूसरा बीजेपी की ये एप्रोच है कि हर चीज में राजनीति होनी चाहिए, एयरपोर्ट में हो या बाहर हो। केन्द्र में उनकी सरकार, प्रदेश में उनकी सरकार, एयरपोर्ट की अथोर्टी उनकी सरकार के अंदर आती है, अफ्सर उनके, हम क्या जवाब दें? अगर इस तरह की गैर-जिम्मेदारी दिखाई जाएगी वो भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के द्वारा तो वो बहुत दुखद प्रसंग है, कुछ लोग शिकायत करेंगे लेकिन जो रक्षक हैं वही उस सार्वजनिक प्रोपर्टी के भक्षक हो जाएंगे तो देश का क्या हो सकता है?

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