Press Briefing in AICC on Various Issues-Hindi

ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE

24, AKBAR ROAD, NEW DELHI

COMMUNICATION DEPARTMENT

 Dr. Abhishek Manu Singhvi, MP and Spokesperson addressed the media today at AICC Hdqrs.

डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि दो मुद्दों पर मैं ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। पहला मुद्दा राफेल से संबंधित है,  सुप्रीम कोर्ट ने राफेल पर मोदी सरकार का झूठ पकड़ा है और कागजात की चोरी करने वाले बहाने को तगड़ा झटका लगा है। 56 इंच की मोदी सरकार को राफेल घोटाले का 56 पेज का शॉक लगा है, क्योंकि कागजात कई पन्नों के हैं। अपना पूरा आधार, नींव बेबुनियाद, झूठ, बरगलाने की प्रकिया, फेक तथ्यों को आपके सामने रखना, इन सबके लिए चाहे बिना डिफेंस वाले डिफेंस मिनिस्टर आ जाए, या स्पिन मास्टर कानून मंत्री आ जाएं, सच्चाई छुप नहीं सकती, सच्चाई आपके सामने है और दिन-प्रतिदिन ऊभर कर आ रही है। इन सारी सच्चाई का एक ही फोकस है, सब लोग एक आवाज में कह रहे हैं कि एक ही चौकीदार चोर है। 

अब आप जानते हैं कि उच्चतम न्यायालय में 3 मुख्य दस्तावेज थे, जिसके विषय में कल का आदेश आया है, वो बातें मैं दोहराऊंगा नहीं, ये भी नहीं दोहराऊंगा कि अटार्नी जनरल ने किस प्रकार से कहा कि ये चुराए हुए दस्तावेज है, इनमें ये कानून लगता है, इनमें वो कानून लगता है, इत्यादि-इत्यादि। मुद्दे की बात ये है कि उन तीन दस्तावेजों पर कुछ प्रश्न पूछने की आवश्यकता है।

पहला दस्तावेज है – 24 नवंबर, 2015 का, जब रक्षा सचिव ने लिखित रुप से और रक्षा सचिव लिखित रुप से अपने मंत्री, यानि रक्षा मंत्री को बहुत कम बार लिखेगा कि कृपया रक्षा मंत्री जी पीएमओ को कहिए कि साथ-साथ पैरलल नेगोसिएशन ना करें, ये अपने आपमें बहुत कम, तब ही होता है जब पानी हद से ऊपर निकल जाता है, तब रक्षा सचिव लिखता है, रक्षा मंत्री को, पीएमओ के विषय में। ये एक दस्तावेज था, जिसको उच्चतम न्यायालय में सरकार द्वारा छुपाने, लुकाने, दबाने, थ्रेट करने का प्रय़त्न किया था। तो हमारे प्रश्न उस दस्तावेज पर हैं कि मूल मुद्दा यह है कि क्यों पीएमओ में ये पैरलल नेगोसिएशन चल रहा था?

दूसरा प्रश्न है- सब जानते हैं और सबसे अहम पीएमओ और माननीय मोदी जी जानते हैं जो पीएमओ के ऊपर बैठते हैं कि इंडियन नेगोसिएशन टीम है, जो ये सब बातें उसी समय, उसी दिन, उसी वक्त कर रही है, तो उनसे बिना पूछे, उनको पहले बताए 2 चीजें सॉवरेन गारंटी भी, बैंक गारंटी भी कैसे वेव हुई? ये दस्तावेज लिखित है। सबसे ऊपर होती है सॉवरेन गारंटी, चलिए वो देश या सरकार ना माने, तो बैंक गारंटी होती है, उससे नीचे होती है। यहाँ पैरलल नेगोसिएशन में दोनों को हटा दिया और कंफर्ट लैटर को रखा गया, जिसे आप फाड़ कर कूड़ेदान में फैंक सकते हैं, ये उसका कानूनी अस्तित्व होता है।

तीसरा प्रश्न है- 30,000 करोड़ रुपए एडवांस पे करेंगे, पहला जहाज आने से पहले। ये भी मुद्दा उठाया है कि ये कैसे है कि आप 30,000 करोड़ रुपए रकम एडवांस दे रहे हैं, उसके खिलाफ बैंक गारंटी नहीं है, सॉवरेन गारंटी नहीं है, कुछ तो होना चाहिए हाथ में।

चौथा प्रशन है – ये सब किस कारण से हुआ, हमारा आरोप है कि कारण एक ही हो सकता है कि जल्दबाजी थी, कॉन्ट्रैक्ट आपको क्वीड प्रो के कारण जल्द लेकर अपने महत्वपूर्ण डबल OO 7,जैसे डबल AA को देना था। ये जल्दबाजी के अलावा इस प्रकार से अपनी नेगोशिएटिंग कमेटी में पीएमओ इंटरफेयर करे, ये हमने आज तक सुना नहीं और रक्षा सचिव पीएमओ के बारे में पत्र लिखें, ये भी बहुत कम सुना है। इस बात का एक प्रकार से पुष्टिकरण हुआ, जब ओलांद, जो उस देश के पूर्व राष्ट्रपति हैं, उन्होंने कहा था कि हमें तो बोला गया कि एच.ए.एल. को नहीं किसी और को देना है, आपको याद है ये हमने यहाँ से दिया है। इसका सीधा पुष्टिकरण होता है। आज एक बात पक्की है, आपने उच्चतम न्यायलय से जरुर छुपाने की कोशिश की है कि पैरलल नेगोसिएशन हो रहे थे, अब उसका क्या जवाब है, क्या स्पष्टीकरण है, क्या जस्टिफिकेशन है, वो उच्चतम न्यायालय की अगली सुनवाई में कोई हलफनामे में मनघढ़ंत, अजीबो-गरीब कहानी बनाई जाएगी, वो सामने आएगी। लेकिन एक बात जरुर है कि इतने बड़े कॉन्ट्रैक्ट में एक प्रकार से आप नेगोसिएशन टीम को सुपरसीड़ कर रहे थे।

दूसरा दस्तावेज है, उतना ही अजीबो-गरीब है, ये बताईए कि आपने कब सुना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार नेगोशिएटिंग टीम का हिस्सा होता है या नेगोसिएशन में हिस्सा लेते हैं, ना उनके अधिकार क्षेत्र में है, ना ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रुल में है, ना हमने पहले कभी सुना। पहले भी बीजेपी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार रह चुके हैं। 

तो दूसरा प्रश्न है – अगस्त, 2016 की जो फाइल नोटिंग है, जो रिकोर्ड करता है कि इसी मुद्दे पर, इसी टांजेक्शन पर, इसी नेगोसिएशन में एनएसए अजीत डोभाल साहब फैंच साइड से मिलकर12 और 13 जनवरी, 2016 में बातचीत कर रहे हैं। भारत सरकार एक तरीके से चलती है, सीधा अगर वो पैराशूट करके, वो अगर राष्ट्रीय सलाहाकार है, तो भी वो सीधा नहीं पहुंच सकता और वो भी अत्यंत महत्वपूर्ण है और अन्य ऐसे कई प्रावधान जो भारत को सुरक्षित रखते हैं, उनको हटाते हैं, विशेष रुप से आर्बिट्रेशन कहाँ होगा, अगर झगड़ा होगा तो आर्बिट्रेशन यहाँ होगा या विदेश में होगा? इस देश में ना कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी है, ना डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल है, सब निरस्त हो गई है क्योंकि मोदी जी की सरकार में सीधा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ऊपर से ये सब कर सकता है।

तो प्रश्न है कि किस आधार पर, ट्राजेक्शन बिजनेस रुल से, किस आधार पर, किस पत्र से, किस अधिकार क्षेत्र से श्री अजीत डोभाल जी वहाँ थे, 12,13 जनवरी, 2016 को?

दूसरा प्रश्न है कि  रक्षा मंत्री ने रिकॉर्ड किया है, 7 मार्च, 2016 की मीटिंग में कि एनएसए ने, यानि डोभाल जी ने पेरिस में नेगोशिएट किया है, ये रिकोर्डिड है।

तीसरा, अगस्त, 2016 में नेगोसिएशन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी, तो एक तरफ रिपोर्ट एक बॉडी दे रही है, दूसरी तरफ एनएसए साहब गैर कानूनी रुप से, बाहरी रुप से, किस रुप से इस प्रक्रिया में दुष्प्रभाव कर रहे हैं। इसका जवाब भी हमें चाहिए। ये बात भी उच्चतम न्यायालय से छुपाई गई थी, निश्चित रुप से हलफनामा में कोई ना कोई बहाना बनाकर जवाब दिया जाएगा। लेकिन आज देश ये जवाब मांगता है।

चौथा है, जिसको कहा गया था कि नेगोशिएटिंग टीम के एक हिस्से का मत था, आप जानते हैं कि नेगोशिएटिंग टीम में तीन सदस्यों ने बड़ा विस्तृत लिखा, और वो दस्तावेज आपके सामने है, आपको डर, भय नहीं होना चाहिए कि ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट है कि मैं हूं या आप हैं, बीजेपी वाला है जो आपको प्रभावित करेगा, ये सब पब्लिक डोमेन में है जो उस वक्त धमकी देकर दबाने की कोशिश की गई थी। तो इस कागज में लिखा है कि तीन व्यक्ति लिखते हैं –

पहला, कि सबसे गंभीर यही है, बेंच मार्क प्राईस 55 प्रतिशत से बढ़ गई है, बढ़नी नहीं चाहिए, क्यों? ये वो लिख रहे हैं, प्रश्न पूछ रहे हैं, अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रहे हैं।

दूसरा, और लोग हैं जिन्होंने बिड किया है, उनके नाम लिखे हैं, एक यूरो फाईटर है, जिसने डिस्काउंट दिया है, 25 प्रतिशत का लिखित रुप से, क्या आप, यानि वो तीन लोग लिख रहे हैं बाकी समिति के लिए, क्या आपने इस ऑफर को अकाउंट किया है या नहींएक तरफ आपकी कीमत 55 प्रतिशत ज्यादा है, दूसरी तरफ आपने 25 प्रतिशत का डिस्काउंट फैक्टर इन किया है की नहीं

तीसरा, बैंक गारंटी की कुल 10-12 करोड़ की कोस्ट है, आप सोचिए। पूरी रकम की बैंक गारंटी तो होती है, अगर समस्या हो तो, लेकिन उसको बनाने की कोस्ट 10-12 करोड़ है, उस कोस्ट के लिए आपने वेव क्यों कियाहजारों, करोड़ की डील में बैंक गारंटी की 10-15 करोड़ की कोस्ट के लिए शर्त कैसे वेव हो सकती है

चौथा, ये अफसरों ने लिखा है, लैटर ऑफ कंफर्ट कहाँ से आ गया, कितनी डील हैं जिनमें लैटर ऑफ कंफर्ट किया है, अगर भारत सरकार लैटर ऑफ कंफर्ट में काम करना शुरु कर देगी, तो एक नया मापदंड बन जाएगा, मील पत्थर नया हो जाएगा। ये प्रश्न पूछा है।

पांचवा, जो इंडिया स्पेसिफिक एनहैंसमेंट के नाम बार-बार लिए जा रहे हैं, वो क्या हैं? क्योंकि कीमत 55 प्रतिशत से ज्यादा बताई जा रही है, हमने कहा 1500 करोड़ ज्यादा हैं, तो कुछ तो बताईए। ये बहाना कि बताएंगे तो राष्ट्रीय सुरक्षा कॉम्प्रोमाईज हो जाएगी, मजाक है। आप डिटेल थोड़ी दे रहे हैं।

अंतिम प्रश्न, जो हम नहीं पूछ रहे हैं, ये प्रश्न आपकी फाइल में, आपकी समिति ने पूछा है कि जो डिलिवरी की समयसीमा है, वो पुराने यूपीए के ड्राफ्ट डील से कहीं ज्यादा है, ये क्यों हैये मान सकते हैं कि समय सीमा बढ़ा दीजिए, पैसे कम कर लीजिए, पैसे बढ़ा दीजिए, समय सीमा कम कर दीजिए। ये दोनों को थोड़ा परिवर्तित करके बैंक गारंटी ले लीजिए, ये आदान-प्रदान होता रहता है। लेकिन ये तो एक ऐसा दस्तावेज है जो बताता है कि हर मापंदड में भारत को इस सौदे में मुंह की खानी पड़ रही है। ये सब चीजें याद रहें, ये दो-तीन दिनों के लिए बहस हुई थी, तब ये सब कहाँ थे? ये तो देश के लिए सौभाग्य की बात है कि ये आप लोगों के जरिए, उन याचिकाओं के जरिए पब्लिक डोमेन में आग गए, नहीं आते तो ये सामने नहीं आते। जब ये आ गए तो उसके बाद अटॉर्नी जनरल के द्वारा झूठ, चोरी का इल्जाम, ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट का इल्जाम लगाया गया। ये तो गनीमत है कि ये कोर्ट ने निरस्त किया, नहीं तो ये आज पहले खुद नहीं लाए, खुद ने सप्रेस किया, दूसरा लाया उसको धमकाया और छुपाने का प्रयत्न किया। निश्चित रुप से चोर की दाढ़ी में तिनका नहीं है, पूरी दाढ़ी ही तिनकों की है। तिनके ही तिनके हैं। क्योंकि 10-12 तिनके तो मैंने आपको दिखा दिए।

राफेल के मुद्दे पर न्यायालय की अवमानना के बारे में पूछे एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि याचिका कर दें, कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट में अर्जी डाल दें, 30 सैंकड लगते हैं, हिम्मत तो करें, मैं तो वापस चुनौती दे रहा हूं। अभी तो आप खुद कंटेम्प्ट से बचे नहीं है। आपने तीन कागजात सप्रेस किए, आपने फाइल नहीं किए और हमारे ऊपर कंटेम्प्ट का इल्जाम लगा रहे हैं। कागजात सप्रेशन का अगर कंटेम्प्ट होता तो कंटेम्प्ट उनके विरुद्ध होगा। तीन कागजात आप फाइल ही नहीं करते हैं, जो लोग फाइल करते हैं, उनको कहते हैं कि चोरी वाले कागजात है और कहते हैं ऑफिशियल सीक्रेट है। आज जब सुप्रीम कोर्ट ने आपकी अर्जी निरस्त की है तो कहते हैं कंटेम्प्ट हमने किया है। क्या मजाक की बात है।

एक अन्य प्रश्न पर कि सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं कहा कि चौकीदार चोर है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट नहीं कहता है कि चौकीदार चोर है।

एक अन्य प्रश्न पर कि प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी बार-बार इसलिए राफेल का मुद्दा उठा रहे हैं क्योंकि उन्हें कहीं ना कहीं जो बात उन्होंने की है, उसको छुपाना चाहते हैं, डॉ. सिंघवी ने कहा कि जिस व्यक्ति, जिस प्रधानमंत्री ने दो वर्ष से करीब-करीब राफेल में चुप्पी साधी है। नंबर दो, जिस प्रधानमंत्री ने कभी भी राफेल के तथ्यों पर बोला नहीं, वो अचानक चुनाव के दौरान चले आते हैं और बिना किसी तथ्य के ऐसे भद्दे आरोप लगाते हैं तो कैसे कहा जाए कि ऐसे व्यक्ति प्रधानमंत्री जैसे उच्चतम पद को होल्ड करने के लायक हैं। आपने दो वर्ष में राफेल के तथ्यों के विषय में इस प्रधानमंत्री से क्या सुना हैअगर उनको थोड़ा भी इसमें संदेह है, संकोच है तो राहुल गांधी जी ने बार-बार कहा है कि गाली दो, लेकिन राफेल पर डिबेट करो। ये तो भद्दी गाली है ना, तो आप गाली देते रहो, आपको शौक है गाली देने का, आपको शौक है तथ्यों से दूर भागने का। आप राहुल गांधी जी से डिबेट क्यों नही करते, एक भी तथ्य पर आपने दो वर्ष से देश में डिबेट नहीं की।

चुनाव आयोग द्वारा ईडी और आयकर विभाग को कार्यवाही से पूर्व सूचना देने से संबंधित निर्देश पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयोग की सीमाएं, लाचारी हम सब समझते हैं। बहुत सारी चीजें इवैंट के बाद ही कर पाते हैं, लेकिन चुनाव आयोग को सख्त से सख्त रुख अख्तियार करना चाहिए, क्योंकि दो-तीन मुद्दे बड़े स्पष्ट हैं। 70-72 वर्ष में इस देश मे चुनाव पहले भी हुए हैं, दुराव, भेदभाव पहले भी हुआ है, राजनीतिक पार्टियां पहले भी जबरदस्त लड़ी हैं, लेकिन 73 वर्ष में आपको, हमको, किसी और को कभी याद है कि चुनाव के दौरान उस 40 दिन की समयसीमा के अंदर इस प्रकार की रेड हुई हैंदूसरा, इन दिनों जो 15 या 16 रेड़ आपने प्रकाशित की हैं या हुई हैं उन सबमें दूध से नहाए सफेद सिर्फ एक पार्टी के ही लोग हैं, जो सुबह-शाम तुसी ग्रेट हो बोलते हैं और काले वो विपक्ष के लोग हैं अखिल भारतीय स्तर पर, सब गलत काम वही करते हैं। तीसरा, 100 य़ार्ड दूर अरुणाचल प्रदेश में, मुख्यमंत्री अरुणाचल प्रदेश, उप-मुख्यमंत्री और सत्तारुढ पार्टी के मंत्री कमरे में, गेस्ट हाउस से 100 यार्ड दूर पौने 2 करोड़ रुपए गाड़ी में मिलता है। दो दिन बाद चुनाव आयोग एफ.आई.आर. जरूर करती है और उसके साथ-साथ कोई व्यक्ति आता है और कहता है ये मेरा पैसा है। इंकम टैक्स नहीं होता, वो तो लुप्त और सो रहा है। कुंभकरण की नींद सो रहा है क्योंकि यहाँ तो सत्तारुढ़ पार्टी के मुख्यमंत्री हैं। पैसा बरामद होता है, कोई आदमी दो दिन बाद आकर कहता है कि ये मेरा पैसा है। ये क्या हो रहा है इस देश में और अगर समतल जमीन, लेवल प्लेईंग फील्ड जो हमारे बेसिक स्ट्रक्चर का अभिन्न अंग है, मूल ढांचे का अभिन्न अंग है, वो संविधान से भी ऊपर है। संविधान संशोधन भी असंवैधानिक हो सकता है, अगर मूल ढांचे का उल्लंघन करे। अगर आप समतल जमीन के आधार पर, मैं सत्तारुढ़ पार्टी, यंत्र-तंत्र का दुरुपयोग करके आप पर दुष्प्रभाव डाल सकता हूं, रेड कह लीजिए, ईडी कह लीजिए, सीबीआई कह लीजिए तो बेसिक स्ट्रक्चर का उल्लंघन हो रहा है तो जो चुनाव आयोग ने किया है, वो जैसा अंग्रेजी में कहते हैं too little too late  है। It is too little too late. They have to act with lightening speed and they have to set example.  तो सिर्फ ये कह देना कि हमें खबर करके करो, ये भी देखना पड़ेगा कि रेड़ अचानक जो हो रही हैं, सिर्फ एक पक्ष के विरुद्ध चुनाव के दौरान पक्षपात हो रहा है तो ऐसा होना ही नहीं चाहिए।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जी की सुरक्षा पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि पहले आप एक बात समझ लीजिए कि कांग्रेस ने कोई पत्र नहीं लिखा है। मैं वो ढूंढ रहा हूं जो वक्तव्य आया है होम मिनिस्ट्री का, वो मैं आपके लिए पढ़ देता हूं, कांग्रेस ने कोई पत्र नहीं लिखा है, ये स्पष्ट कर दूं। होम मिनिस्टर ने बड़ा संतुलित और बड़ा व्यापक और बड़ा स्पष्ट उत्तर दिया है, आप चाहें तो पढ़ दूं या आपके पास होगा।

इसी संदर्भ में डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये तो आपको मालूम करना पड़ेगा कि कौन सा कैमरामैन है, मैंने आपके सामने वक्तव्य पढ़ दिया है। मैंने आपको साफ बोल दिया कि कांग्रेस ने कोई पत्र नहीं लिखा, लेकिन हमारे बोलने से ज्यादा जरुरी है कि आपने पहला वाक्य शायद नहीं सुना कि मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयरस का, जो सरकार संभाल सकती है, उसमें लिखा है – “MHA has not yet received any letter regarding the alleged breach in security of Congress President Shri Rahul Gandhi.  मैं भी तो यही कह रहा हूं। मैंने 4 बार नकार दिया है कि कांग्रेस ने कोई पत्र नहीं लिखा है। जब मैं बोल रहा हूं कि पत्र नहीं गया है, चिठ्ठी नहीं लिखी गई है तो उसके क्या मायने है कि वो चलाया जा रहा है, चल रहा है, आ रहा है, इसका मतलब क्या हुआ?

ईवीएम पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि आज पहला दिन है, एक प्रकार से 91 के आस पास व्यापक संख्या है। इसलिए एक प्रकार से आज अच्छा दिन है, एक अच्छा अवसर है कि सभी को और विशेष रुप से चुनाव आयोग को सब चीजों को नोट करना चाहिए, जो आज हुई हैं या नहीं हुई हैं और 7-8 चरण के चुनाव में ये दोहराया ना जाए। मेरे पास कई विचित्र और बहुत गंभीर शिकायतें हैं। इसकी सूची होगी जो हम आपको बाद में देंगे। लेकिन दो-तीन उदाहरण दूं, बिजनौर में बूथ नंबर 16 में जब कांग्रेस का बटन दबता था तो कमल पर वोट जाता था। ये स्पष्ट चीज मैं आपको बता रहा हूं, नाम के साथ और जगह के साथ। दूसरा, कांग्रेस का सिंबल जो बटन वाला है, वो पुंछ में, जम्मू और कश्मीर के पुंछ में लोकसभा में काम नहीं कर रहा है, इसका ट्वीट हुआ है, उमर अब्दुल्ला ने भी किया है, और लोगों ने भी किया है। तीसरा, उत्तर प्रदेश में, मुजफ्फरनगर में सैंकड़ों नाम मिसिंग हैं, इसका आरोप आ रहा है, कई नामों का। चौथा – ये बड़ा महत्वपूर्ण है क्योंकि शोभना कामिनी अपोलो अस्पताल की चीफ हैं और रेड्डी परिवार की बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, वो कहती हैं I feel cheated as a citizen, does my vote not count?‘,क्योंकि हैदराबाद की लिस्ट से वो गायब हैं। नागालैंड के उप मुख्यमंत्री उनका नाम है वाई. पैटन, वो देखे गए हैं बीजेपी का स्कार्फ पहन कर, बीजेपी फॉर इंडिया का स्कार्फ है और बूथ पर खड़े हैं, 8 बार ईवीएम का बटन दबा रहे हैं। ये जो वोटर लिस्ट मिलनी चाहिए ये बाहर छाप कर बीजेपी वर्कर ले रहे हैं, ये उत्तराखंड में देहरादून के निशंक जी के विषय में। तो ये सब चीजें उदाहरण हैं लेकिन गंभीर हैं, बिखरी हुई हैं भारत के पूरे उत्तर-दक्षिण भागों में। अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और तुरंत बहुत स्ट्रोंग एक्शन लेना चाहिए, इऩका तो लेना ही चाहिए इस केस में तो, लेकिन भविष्य के लिए किसी और चरण में ना दोहराई जाएं, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

 एक अन्य प्रश्न पर कि वीएचपी ने कहा कि वो राम नवमी के दिन पश्चिम बंगाल में शोभा यात्रा निकालेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि वीएचपी अगर ये कहती है तो मैं ये पूछता हूं कि अपने हृदय पर हाथ रखिए और खुद से पूछिए कोई अंधा, अराजनैतिक, नासमझ व्यक्ति भी कहेगा कि इसका उद्देश्य एक ही है। इसका उद्देश्य एक ही है कि कानून तो कोई मायने रखता नहीं, सेक्शन 120 (6), Representation of the  Peoples Act तो मायने नहीं रखते, चुनाव आयोग की गाइड लाइन मायने नहीं रखता, हमारे जो बेसिक सुप्रीम कोर्ट के 10 जजमेंट हैं, वो मायने रखती नहीं। लेकिन सिर्फ दोराव, मतभेद और मदभेद और आईपीसी का ऑफेंस है, करने के लिए इसका उद्देश्य स्पष्ट हो जाता है। दो बातें मैं आपको बता दूं, जो आपको मालूम नहीं, ये रथयात्रा के नाम से पिछले वर्ष जुलाई में प्रयत्न शुरु किया था बीजेपी में। मैं खुद उसमे वकील था, पश्चिम बंगाल सरकार में। 5 बार प्रयत्न किया है और हमेशा उच्च न्यायालय, सुप्रीम कोर्ट से, मुंह की खानी पड़ी है। मैं इसलिए कह सकता हूं क्योंकि मैं कोलकाता में पेश हुआ और यहाँ पेश हुआ। आखिरी बार 1 फरवरी, 2000 में मुंह की खाई थी, याचिका का नाम बीजेपी था, वीएचपी नहीं था। फरवरी से वो चुप हैं। परसों एक नई याचिका लगाई जो कल लगी है उच्चतम न्यायालय में कि हमें अनुमति दी जाए, इस चीज की नहीं, इसी प्रकार की चीज की। जहाँ तक मुझे मालूम है, महानुभाव आने वाला है, जो पेश भी होंगे। आज एक याचिका लगी है कि कल जो याचिका लगाई है उसको विदड्रो करना चाहते हैं। तो ये हथकंडे हैं, ये चालाकियां हैं, ये तौर तरीके हैं एक माहौल बनाने का, लोगों को बरगलाने का, लोगों को कन्फ्यूज करने का, आपसी वैमनस्य फैलाने का, विभाजन करने का और दोगुली आवाज में बात करने का। कल क्या होगा, हमें नहीं पता लेकिन कल जो याचिका आई है, उसको विदड्रो करने के लिए एक और आज याचिका लगी है। मुझे ये इसलिए पता है क्योंकि इसमें मैं पेश हो रहा हूं।

ये ट्रांसपेरेंसी के विपरीत चीज है। ये हमारा लिखित प्रतिवेदन है वित्त मंत्री को। दूसरा, चुनाव आयोग का पुराना स्टेंड है पत्र में और उसके बाद उन्होंने कहा कि आप डोनेशन जरुर दो, लेकिन याद रखिए, पहले 20 हजार की डोनेशन की चुनाव आयोग अनुमति दे सकता था, विडंबना देखिए आप। 20 हजार के डोनेशन को चुनाव आयोग प्रश्न चिन्ह लगा सकता था। आज 20 करोड़, 200 करोड़ पर नहीं बोल सकता, क्योंकि ट्रांसपेरेंट है, क्य़ा ट्रांसपेरेंट है? तीसरा, इसलिए चुनाव आयोग ने कहा कि इसमें जीरो ट्रांसपेरेंसी है, ये बात सही है कि इंकम टैक्स रिटर्न में आएगा, लेकिन क्या आप इंकम टैक्स रिटर्न को आरटीआई में देख सकते हैं, क्या इंकम टैक्स रिटर्न को खुद जाकर एक्सेस कर सकते हैंचौथा, सबसे महत्वपूर्ण, प्रकाशित है कि सब पार्टी को मिलाकर भारत में इलेक्ट्रोल बांड 10 प्रतिशत से कम मिला है, बीजेपी को अकेले 90 प्रतिशत मिला है और आपको पता नहीं इन्होंने दिया है, इन्होंने दिया है और ये भी नहीं पता कि इनके देने और इनके देने की एवज में सरकार ने क्या काम किया। बड़ी मजेदार पारदर्शिता है ये तो, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़े कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया है और कहा है यह कि कालेधन को सफेद करने का तरीका है, ये मेरे शब्द नहीं है, ये सुप्रीम कोर्ट के शब्द हैं। कालेधन को सफेद करने का तरीका है, ये आज का है। आदेश नहीं है लेकिन ये कोर्ट में टिप्पणी हुई है। इसलिए मैं समझता हूं कि पूरे देश को बार-बार बरगलाने का प्रयत्न करना ये जो सरकार है, जिसको महान प्रधानमंत्री कहते हैं कि हम तो दूध के धुले हैं, ये सब क्या हो रहा हैपूरे भारत की सभी पार्टियों को एकसाथ जोड़कर 10 प्रतिशत से कम मिला है और उनको 90 प्रतिशत, किससे मिला है, फर्क नहीं पड़ता ये जानने में।

                              Sd/-

(Vineet Punia)

Secretary

Communication Deptt.

                                                                        AICC

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