Dr. Abhishek Manu Singhvi, MP and Spokesperson AICC HQ

डॉ. अभिषेक सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि लोभ, लालच और लूट भाजपा की कार्यशैली का अभिन्न अंग, एक हिस्सा हैं। रिश्वतखोरी, खरीद-फरोख्त और राजनीतिक प्रलोभन वो उपकरण हैं, जिसके बिना भाजपा के electoral machinery कभी नहीं चलती, ये सीधा आरोप सिर्फ हम नहीं लगा रहे हैं, हम तो उनका आरोप दोहरा रहे हैं, जिन्होंने आपके समक्ष स्पष्ट प्रमाण रखे हैं, उनमें से कुछ प्रमाण मैं भी आपको अभी दिखाने और सुनाने वाला हूं।

भाजपा एक के बाद एक हर उस संस्था को कमजोर कर रही है जो लोकतंत्र को मजबूत करती है या करने की क्षमता रखती है। हम प्रमाण के आधार पर ये कह रहे हैं कि भाजपा गुजरात में निश्चित हार अपने सामने दिवार पर लिखी हुई देख रही है और इसलिए उस निश्चित हार के आधार पर, उसके अनुमान पर आरोप है कई व्यक्तियों का कि वो खरीद-फरोख्त, विधायक को खरीदना, प्रभावित करना, दुष्प्रभावित करना, horse trading जो किसी ने कहा था कि, बेचारे घोड़े को बदनाम करते हैं क्योंकि horse trading शब्द इस्तेमाल करके, क्योंकि ये तो व्यक्ति करते हैं, घोड़ा तो नहीं करता। Misuse of money और वो सभी गैर-कानूनी चीजें जो भद्दी हैं, एक विशाल, व्यापक लोकतंत्र में।

पर आज विशेष रुप से मैं आपको पुरानी चीजों की स्मृति दिलाऊँगा वापिस, क्योंकि हम भूल जाते हैं। लेकिन आज हम कल वाली बात पर आपको एक प्रसंग दिखाएंगे, जिसमें हार्दिक पटेल जी ने बड़ा स्पष्ट दिखाया है, आरोप लगाया है कि भाजपा और उनके वरिष्ठ नेता इसको प्रोत्साहन दे रहे हैं, इस प्रकार की भ्रष्टाचार रिश्वत और खरीद-फरोख्त को।

आज कल का विशेष 1200 करोड़ वाला आरोप है। जिसको श्री हार्दिक पटेल ने कहा था कल प्रैस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक रुप से और मैं quote कर रहा हूं उनको, उन्होंने कहा था, मेरे कहने की आवश्यकता नहीं, मैं सिर्फ उनको दोहरा रहा हूं, “I am not ‘bikau’ otherwise I could have accepted an offer of Rs. 1200 crores from K. Kailashnathan when I was in Jail”.

जो लोग नहीं जानते हैं, उनके अभिज्ञान के लिए श्री कैलाशनाथन Chief Principal Secretary हैं, गुजरात मुख्यमंत्री श्री रुपाणी जी के। ये कोई नई बात नहीं है। मैं हमेशा कहता हूं कि हमारी संस्थापिक स्मृति कमजोर है, इसलिए ये जरुरी है कि ये जो window shopping नहीं, एक वास्तविक शोपिंग पर निकली है बीजेपी, गुजरात में, उसको बेनकाब करना है।

नंबर एक, आपको याद है कि महसाना के convener थे, पाटिदार आंदोलन समिति के श्री नरेन्द्र पटेल, उनका हम हिंदी का लिखित अनुवाद देने वाले हैं आपको। नरेन्द्र पटेल जी ने कहा था, एक टेप दिखाया था। वरुण पटेल जो बीजेपी में चले गए हैं और नरेन्द्र पटेल के बीच में, नरेन्द्र पटेल हार्दिक पटेल के साथ हैं और वरुण पटेल पहले साथ में और फिर बदल गए थे। उन्होंने बात की थी कि 60 प्रतिशत अभी लीजिए, 40 प्रतिशत बाद में लीजिए, वो टेप में है। उसका मैं आपको अनुवादित हिंदी कॉपी देने वाला हूं। उसके बाद माननीय प्रधानमंत्री जी ने कुछ कहा, माननीय अध्यक्ष बीजेपी ने कुछ कहा, कुछ प्रमाणित किया?

एक दूसरे पाटिदार नेता थे निखिल सवाणी, उन्होंने बाद में बीजेपी को ज्वाईंन कर लिया था। उन्होंने भी ऐसे ही प्रकरणों का पूरा विवरण किया था और उस वक्त हमने ओडियो क्लीप जारी की थी, श्री नरेन्द्र पटेल और श्री वरुण पटेल की, जो मैं आपको लिखित अनुवाद दे रहा हूं, वो उस ओडियो क्लीप का है। जिसमें 4 लाईनें बड़ी स्पष्ट हैं कि 60 प्रतिशत अभी दो और 40 प्रतिशत बाद में दो। उस वक्त हमने कहा था कि FIR दर्ज होनी चाहिए तुरंत, पूरी बीजेपी संस्था के ऊपर और अध्यक्ष बीजेपी के विरुद्ध, जीतू भाई वाघाणी, श्री वरुण पटेल इत्यादि जो भी ऑफिसर हैं, पदाधिकारी हैं बीजेपी के। कोई इसमें आश्चर्य की बात नहीं है। कुछ भी नहीं हुआ, कोई कार्यवाही नहीं हुई, कोई रिपोर्ट नहीं आई।

हमारा कहना है कि लगभग 14 जो विधायक थे, जो आपने प्रकरण देखा था, श्री अहमद पटेल के चुनाव के वक्त भी और वैसे भी। उनमें से कई विधायक थे और मैंने नाम लिए, गुना भाई कामत, जो व्यारा से हैं, मंगल भाई कामत, डांग से और ईश्वर भाई पटेल, धर्मपुर से हैं। उन्होंने आपके समक्ष सार्वजनिक रुप से, बीजेपी की खरीद-फरोख्त की जो आदत सी हो गई है, बेशर्मी से खरीद-फरोख्त की, उसको बेनकाब किया था और हमने बताया था कि किस प्रकार से एन.के.अमीन बड़े सुप्रसिद्ध superintendent of police हैं, उनका दुरुपयोग किया गया था। जो आंकड़े बताए गए थे उस प्रसंग में, वो उस वक्त आज के जो कल कहे हैं हार्दिक पटेल जी ने, उन आंकड़े से कई ज्यादा थे, करोड़ों में थे।

एक और चौथा उदाहरण, एक कल का उदाहरण, एक वरुण और नरेन्द्र पटेल वाला उदाहरण, एक एन.के.अमीन वाला, अहमद पटेल जी के चुनाव के दौरान वाला उदाहरण, तीन मैंने आपको दिए हैं। शुरुआत कल वाले से हैं, जिसका खुलासा हार्दिक पटेल ने किया है।

चौथा, हमने ये लिखित में, बड़े स्पष्ट रुप से आरोप किया था कि,  बीजेपी चाहती है कि किसी भी आधार से किसी भी बहाने से, चुनाव आयोग से चुनाव की तिथि की घोषणा को स्थगित करें, विलंब करें, क्यों जिससे window ज्यादा मिले बीजेपी को। अवसर ज्यादा मिले, समयकाल ज्यादा मिले, अपनी इस प्रकार की भ्रष्ट गतिविधियों के लिए। जितना ज्यादा window मिलता है, उसका उतनी ही आसानी से और दुरुपयोग होता है। और दुर्भाग्य की बात है चुनाव आयोग इस झांसे में इस हद तो आ गया कि कम से कम दो या तीन हफ्ते के विलंब के बाद ये घोषणा की गई।

अंतिम, हमने ये भी मुद्दा उठाया था कि, उत्तर प्रदेश में हमने आपको स्पष्ट उदाहरण दिए थे कि आप किसी भी पार्टी, किसी भी चिन्ह का अगर EVM में बटन दबाते हैं तो, वोट सीधा बीजेपी को जाता है। आपको याद है हमारे यहाँ written publish आंकड़े दिए थे, हमने लिखित रुप से दिए थे, AICC आपको दुबारा दे देगा। कि अमूक constituency की अमूक नंबर वाली EVM में ऐसा हुआ था। ये सिर्फ बीजेपी के साथ क्यों होता है? कहीं भी दबा दीजिए बटन, तो वोट बीजेपी की तरफ ही क्यों जाता है? और इसलिए सिर्फ VVPAT पर्याप्त नहीं है, याद रहे VVPAT भी हमारे अभियान के बाद आया है। अभी 6 महिने तक कोई VVPAT की घोषणा नहीं थी, मैं खुद पेश हुआ हूं उच्चतम न्यायालय में उस जनहित याचिका में। आश्वासन अब मिला है जाकर कि VVPAT होगा और ये पूरा हल नहीं है अगर मशीन खुद ही rigged है तो हर VVPAT को कौन चैक करने वाला है। तो ये गंभीर मुद्दा है। मैं आपके जरीए 4 प्रश्न पूछना चाहता हूं।

  1. जो अभी हम पिछले 3 साल से hyper active इंकम टैक्स विभाग और ईडी विभाग देख रहे हैं, ये क्यों नहीं करते कभी-कभी, कम से कम सौ में से एक बार ये विभाग किसी बीजेपी विधायक के यहाँ जाकर चैक करें कि खरीद-फरोख्त कैसे हो रही है? कभी किसी बीजेपी रैली को चैक करें। तो खरीद-फरोख्त के इतने बड़े आंकड़े हार्दिक पटेल जैसा व्यक्ति आरोप लगा रहा, नरेन्द्र पटेल का आपको वीडियो दिखाने वाले हैं। तो कम से कम कभी तो भूल-भटके एक साल में एक बार तो किसी बीजेपी पदाधिकारी के यहाँ भी तो प्रश्न-उत्तर के लिए जाना चाहिए, इन निगरानी वाली संस्थाओं को?
  1. हमने कई महिने पहले FIR दर्ज करने की मांग की थी, वो पहले आरोप के विषय में, जो पटेल साहब ने की थी। सभी बीजेपी के पदाधिकारियों के विरुद्ध, क्या हुआ उसका? किसी प्रकार की कोई जांच तो कीजिए, आज महिने भर से ज्यादा हो गया है और हमने उस पर electoral malpractice का स्पष्ट आरोप लगाया था।
  1. जो कल बोला गया है, नाम लिया गया है, कैलाशनाथन रिश्वतखोरी केस का आरोप लगाया है, मैंने नहीं लगाया है, हार्दिक पटेल ने लगाया है। क्या हम उसमें भी वही परिणाम की आशा कर सकते हैं, या परिणाम की आशा न की जाए, जो पिछले हमारे आरोप की हुई थी, यानि चुप्पी और कोई कार्यवाही नहीं। यंत्र-तंत्र आपके पास केन्द्र में भी हैं और प्रदेश सरकार में भी… दुर्भाग्य के रुप में हैं। अगर आप उस यंत्र-तंत्र का प्रयोग नहीं करेंगे तो इसका मतलब है कि आप बिल्कुल अपने उत्तरदायित्व को नहीं निभा रहे।
  1. जब माननीय प्रधानमंत्री ने इतने पुरजोर तरीके से, प्रभावशाली तरीके से कहा था कि ‘ना खाऊंगा ना खाने दूंगा’, उसके मायने क्या है, उसकी अस्मिता क्या है, उसकी आत्मा क्या है? उस आत्मा का आंशिक रुप से प्रयोग कीजिए, क्या ये सिर्फ उन लोगों के लिए है जो बीजेपी में नहीं है, क्या ये सिर्फ उन लोगों के लिए हैं जो बीजेपी के विधायक नहीं है? एक तो उदाहरण दीजिए इसका?

हमने इतने ही व्यापक रुप से आरोप लगाया है EVM के विषय में। मैंने आपको उसकी डिटेल बता दी हैं। हम ये वापस दोहरा रहे हैं, चुनाव आयोग की तरफ भी और बीजेपी की तरफ से कि एक निष्पक्ष उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश हों, या निष्पक्ष न्यायाधीश हों, सेवानिवृत हों या सेवारत हों, इसकी जांच करवा ली जाए और उसके हमने 3 या 4 लिखित उदाहरण दिए हैं, मैं खुद गया था चुनाव आयोग में उस डेलिगेशन में कि यूपी में कहीं बटन दबाओ, किसी पार्टी को बटन दबाओ तो बीजेपी को वोट क्यों जाता है।

असम के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत विश्व शर्मा द्वारा कैंसर जैसी बीमारियों को पिछले पापों का फल बताने संबंधी विवादित बयान के प्रश्न के उत्तर में  डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं ये कम से कम न्यूनतम आशा करता हूं कि इस भयंकर बीमारी का इलाज भी वो यही नहीं बताएँ। इस देश में किसी कैंसर पीड़ित को ये इलाज लिखित रुप से डॉक्टर की तरह,  prescribe करना ना शुरु कर दें। क्योंकि हमारे देश में भेड़चाल बहुत हो रही है। एक महान मंत्री वो पूरे नोर्थ ईस्ट के मंत्री हैं वो तो, वो असम के मंत्री थोड़े ही हैं, वो तो 7 प्रदेशों के मंत्री हैं। उनके आधार पर सब डॉक्टर prescriptions देना शुरु कर देंगे तो मैं समझता हूं कि इस देश का दुर्भाग्य हो जाएगा। ये किस प्रकार की भाषा है, शैली है, कभी उन्होंने सोचा… पीड़ा… उस कैंसर पीड़ित से बात कीजिए और उसको ये वाक्य सुनाईए, एक तो कैंसर से पीड़ित है और उस पर आप ये बोल रहे हैं कि ये पापों का फल है। मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ, मैंने चैक किया बाद में। तो ये आज का चाल, चेहरा है। इस प्रकार के भद्दे स्टेटमेंट जो अंधविश्वास के आधार पर हैं। अंधविश्वास के आधार पर देश चलाया जाता है, वो आपको मध्यप्रदेश से नोर्थ ईस्ट तक, राजस्थान से लेकर छत्तीसगढ़ तक, मंत्री महोदय से लेकर बीजेपी पदाधिकारियों तक, बार-बार पिछले 3 वर्षों में ऐसे बयान आए हैं और मैंने कल एक संकल्न दिया था, abuse का। मैं पूरा विश्वास रखता हूं कि AICC जल्द एक ओर  संकल्न देगी ऐसे अंधविश्वासी वाक्यों का।  मैं इसकी भर्त्सना करता हूं, कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं आपके जरिए, बताएं कि ऐसे मंत्री कौन सा पोर्टफोलियो होल्ड कर सकते हैं, जहाँ ऐसे अंधविश्वासी स्टेटमेंट नहीं दिए जाएं, शायद खेल में भी ऐसे अँधविश्वासी बयान देना शुरु कर दें।

एक अन्य प्रश्न पर कि बीजेपी नेता जी.वी.एल. नरसिम्हा राव ने राहुल गाँधी जी के मंदिर जाने को लेकर विवादित ट्विट किया है, क्या कहेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि अब आप देखिए कि मैं कहाँ तक आपको सूची दूं। मैंने कल आपको भाजपा के 18 वक्तव्य दिए थे, उसमें से 12 मौखिक वक्तव्य थे माननीय प्रधानमंत्री के और छह थे पिछले एक हफ्ते में। उसमें ये 19वाँ आप कृपा जोड़ लीजिए। अब इसको कौन रोकेगा? एक ऐसी चीज पर बवंडर बनाया गया, जो ना हमने कही, जिसके बारे में जिसने कही, उसने माफी मांग ली और हमारी तरफ से सुरजेवाला जी ने भी कहा कि अगर किसी और ने भी कहा, तो ये हमारा मत नहीं है, विचार नहीं हैं। आप समझ सकते हैं कि एक संस्कारी राजनीति, चरित्रवान राजनीति, एक विरासत वाली जो हमारी गणतांत्रिक विरासत है, उसको होल्ड करने वाली राजनीति है और यहाँ पर ये जो बोल दे, आप समझते हैं, इसका कोई खंडन करेगा, निंदा करेगा, माफी तो बहुत दूर की बात है, बीजेपी निंदा कर दे तो बहुत बड़ी बात है जबकि ये बीजेपी के अधिकृत प्रवक्ता हैं।

एक अन्य प्रश्न पर कि बीजेपी ने कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को बसाने को लेकर बहुत लंबे-लंबे भाषण दिए थे, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ, क्या कहेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि इस सरकार की एक ही प्रशासनिक प्रणाली है, वायदे आसमान छूते हैं। delivery outcomes पाताल से भी आगे निकल जाती है, पाताल से भी नीचे निकल जाती है। जुमलेबाजी का मतलब क्या होता है, जुमलेबाजी का असली मतलब यही होता है कि वायदे वहाँ और परिणाम यहाँ भी नहीं। आप बिल्कुल सत्य कह रहे हैं कि ऐसे मैं आपको 10 मुद्दे गिना सकता हूं, राष्ट्रवाद की बात की जाती है, कश्मीरी पंडित की बात की जाती है, ऐसे हजारों मुद्दें हैं। इनका सिर्फ एक सस्ती राजनीति खेलने का उद्देश्य है, चुनाव के वक्त उठाने का उद्देश्य है और राजनैतिक रोटियाँ पकाने तक का उद्देश्य है और आज ये स्पष्ट हो गया है इस देश को कि, कोई भी ऐसी चीज को गंभीरता से नहीं लेता है इसलिए इतना आक्रोश है कि आप बेझिझकी से और बेशर्मी से जो आता है, कह देते हैं । जवाबदेही के वक्त किसी को पता नहीं कि उत्तर कहाँ है, दक्षिण कहाँ है?

एक अन्य प्रश्न पर कि गुजरात में जो अभी विवाद आया है सामने, EVM मशीन के मुद्दे पर, उसमें क्या आप इसको चुनौति देंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि क्या करें आप बताएँ। कोई गणतांत्रिक तरीका बताईए हम तैयार हैं करने के लिए। हमने चुनौति दी है, 2014 में एक निर्णय आया था उच्चतम न्यायालय का, उसमें चुनाव आयोग ने एक आश्वासन दिया तब तो VVPAT भी नहीं था, कि हम करेंगे, कोई तिथि भी नहीं थी। 2017 में हमने चुनाव आयोग ने,अभियान चलाया, 2017 के मध्य में मैं खुद और हमारे साथी पेश हुए उच्चतम न्यायालय में वहाँ स्पष्ट कर दिया, पहले भी कहा है कि जो हम बार-बार कहते कि करेंगे-करेंगे… आज हम स्पष्ट आश्वासन देते हैं कि इस 2018 की इस तिथि तक सौ प्रतिशत हो जाएगा। नंबर 3, इसका कारण हमने बताया उच्चतम न्यायालय को कि इतने हजार-करोड़ लगते हैं उसका 10 प्रतिशत दिया है, अभी तक। तो तुरतं उसके दो हफ्ते के अंदर सरकार ने कहा कि हम बाकि जारी कर रहे हैं, ये अभी की बात है, 3 महिने की बात है। नंबर 4, उसके बाद हमने कहा कि साहब VVPAT की बात खत्म हुई लेकिन VVPAT 100 प्रतिशत स्वीकार नहीं है। VVPAT तो एक प्रकार से रिइंशोरेंस हैं, चैक कर लो, सैंपल चैक कर लो, लेकिन मूल मुद्दा है मशीन का। हमारा इतना भय नहीं था, जब तक कि हमने वो 3 स्पष्ट उदाहरण और दो उदाहरण शायद महाराष्ट्र के थे, मैं भूल रहा हूं, 5 उदाहरण थे, जहाँ पर बटन ये दबाओ और वहाँ वोट आता है बीजेपी को, बटन ये दबाओ तो वोट उन्हें जाता है। तो आप ये समझिए कि अगर आप ये 5 प्रतिशत मशीन और 10 प्रतिशत मशीन में हो गया तो VVPAT क्या करेगा? उसके लिए एक अभियान चलाया है, उसके लिए एक और याचिका पेंडिग है, हम चुनाव आयोग गए, वापस जाएंगे। सबसे जरुरी मैं समझता हूं कि आपके जरिए हम उनको बेनकाब करें, लेकिन इससे ज्यादा गणतंत्र, लोकतंत्र में हम ये नहीं कह सकते कि अगर हम कहेंगे कि चुनाव नहीं होने देंगे, तो आप कहोगे कि चुनाव से भाग रहे हैं। यही तो विडंबना है, इसको आप ही हल कर सकते हैं, हम नहीं। इसको सही से आप समझाएं, इस प्रक्रिया को जनता को तो ये बहुत महत्वपूर्ण है। मैंने आपको आखिरी बिंदु बताया है, इसका 75 से ये प्रक्रिया, VVPAT और मशीन की प्रक्रिया बैसिक स्ट्रक्चर का अभिन्न अंग है। ये कोई मामूली चीज नहीं है। क्योंकि लैटर ऐसे बनता है मशीन के जरिए वोट, वोट के जरिए निष्पक्ष और फेयर चुनाव। चुनाव के जरिए लोकतंत्र और लोकतंत्र अभिन्न अंग है, बैसिक स्ट्रक्टर का। हम कह रहे हैं कि 100 प्रतिशत मशीन को चैक करके बताईए कि सब सही है। ये तो गुजरात के चुनाव हैं सिर्फ। वो कह रहे हैं कि हम VVPAT चैक कर लेंगे सेंपल के तौर पर।

एक अन्य प्रश्न पर कि 26 और 27 नवंबर को गुजरात में 50 से अधिक केन्द्रीय मंत्री चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं, क्या ये भाजपा में किसी तरह का भय को दर्शाता है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि रैली करने का अधिकार सबको है, शोक से करें और करें। लेकिन भय नहीं बौखलाहट… अत्यंत भय, घबराहट, आज से नहीं कई दिनों से है। आप उनके हर चीज में देख रहे हैं। इसका आपने उदाहरण दिया। आप इसको उसमें भी देख रहे हैं कि किस प्रकार से शीतकालीन सत्र को 3-4 हफ्ते आगे कर दिया। आपने उसको देखा कि चुनाव आयोग से किस प्रकार से विनतियाँ करके विलंब किया गया। उसके उदाहरण देखे 50 प्रलोभन, खरीद-फरोख्त के आरोप में। इस प्रकार की चीजों में आपने उदाहरण देखे, तो ये 5 उदाहरण मैं आपको दे रहा हूं, ये क्या है, ये बौखलाहट, frustration, घबराहट और एक प्रकार से निश्चित हार उन्हें दिखाई दे रहा है।

एक अन्य प्रश्न पर कि चुनाव आयोग द्वारा घोषणा करने से पहले ही तमिलनाडू के मुख्यमंत्री ने कह दिया है कि चुनाव आयोग का फैसला उनके पक्ष में आ गया है, क्या कहेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं बड़ा स्पष्ट करना चाहता हूं, मैं कांग्रेस पोडियम से इसके अंदर नहीं जाना चाहता। और ना मैंने इसको देखा है और ना मैं इसको मानता हूं और ना इसके सत्य को मानता हूं। ना मैंने देखा है, अगर आप सत्य कह रहे हैं, मैं 100 वीं बार दोहरा रहा हूं, अगर आप सत्य कह रहे हैं तो राजनैतिक के अलावा, किसी पार्टी के अलावा, किसी राजनीतिक बाउँडरी के अलावा, ये अत्यंत गंभीर मामला है चुनाव आयोग के लिए और ये अत्यंत गंभीर मामला है हमारे लोकतंत्र के लिए, लेकिन जैसा मैंने कहा कि मेरे पास कोई तथ्य नहीं कि मैं आपको इसका पुष्टीकरण करुं।

तीन तलाक पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैंने स्पष्ट कहा था आपको कि जान बूझकर आपको डिफेंसिव में डालने के लिए इस प्रकार की चीजें की जाती हैं, या चुनाव के वक्त ऐसी चीजें की जाती हैं।  मैंने आपको कल तीन बिंदु स्पष्ट कहे थे। पहला, इस उच्चतम न्यायालय के निर्णय की प्रक्रिया शुरु होने से पहले, हमने स्पष्ट रुप से इस मंच से gender justice महिलाओं के लिए…Article 40 non discrimination के आधार पर स्वागत किया था। वो निकाल लीजिए AICC से, आपको मिल जाएगा। नंबर दो, जब ये उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई तो हमने gender justice के आधार पर इस प्रक्रिया का समर्थन किया था, औपचारिक रुप की बात कर रहा हूं। नंबर 3, जब निर्णय आया तो हमने उसका स्वागत किया अन-कंडिशनल। नंबर 4 हम समझते कि जो वो चीज gender justice के आधार पर कर सकते हैं, कानूनी और उस परिधि में जो उच्चतम न्यायालय ने लिखकर दे दिया है, वहाँ तक हमें आपत्ति नहीं है। अंतिम मैने कल भी caveat लगाया था कि अगर आप उसे बार-बार किसी राजनीतिक रोटी पकाने के लिए, किसी जुमले के लिए किसी चुनाव के दौरान कोई चीज एक playing to the gallery वाली प्रक्रिया करना चाहते हैं तो तो लोग समझ सकते हैं, ना हम किसी रुप से समर्थन कर सकते हैं कि आप इस प्रकार के स्टंट टाईप का अप्रोच लें, इस अहम और इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर।

एक अन्य प्रश्न पर डॉ. सिंघवी ने कहा कि मीडिया नहीं हम मीडिया के जरिए जनता को बताना चाहते हैं। हमने कांग्रेस ने कभी ये नहीं कहा कि बैलेट पेपर पूरे वापस आ जाएं, हम ये नहीं कहते कि हम वापस पुरातत्व में चले जाएं। हम ये चाहते हैं कि 100 प्रतिशत VVPAT हो। पहले तो VVPAT था ही नहीं और जब आया तो 100 प्रतिशत का आश्वासन नहीं देखा हमने। अगर 100 प्रतिशत हो तो आपको आश्वस्त करना होगा कि EVM किसी निर्दलीय निष्पक्ष संस्था को कि, 100 प्रतिशत EVM मशीनें सही हैं और अगर आप वो नहीं कर पाते हैं तो तब बैलेट पेपर की आवश्यकता पड़ेगी।

Related Posts

Leave a reply