Highlights of the Sound Byte- Hindi

ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE

24, AKBAR ROAD, NEW DELHI

COMMUNICATION DEPARTMENT

Dr. Abhishek Manu Singhvi, MP, Spokesperson, AICC addressed the media today at AICC Hdqrs. 

डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अभी मेरा वक्तव्य एडमिरल रामदास के वक्तव्य से मेल रखता है, जो उन्होंने लिखित रुप से 2 मई, 2019 को अपने दस्तावेज में लिखा है। उसके मुख्य बिंदु आपने देख लिए हैं, आपके समक्ष हैं। मुख्य बिंदु हैं – जो माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा वो गलत है, उसका सही शब्द, जो उन्होंने प्रयोग नहीं किया, झूठ बोला है, ये होना चाहिए। दूसरा, 32 वर्ष पुरानी चीज के विषय में भी कई लोगों से याद करके, बात करके एडमिरल अरुण प्रकाश, एडमिरल मदनजीत सिंह इत्यादि और आज के समय में अरुण प्रकाश, विनोद पसरीचा, मदनजीत सिंह सबसे बात करके ये वक्तव्य बनाया गया है। सबकी स्मृति एक ही है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी औपचारिक, ऑफिशियल विजिट पर गए थे। औपचारिक, ऑफिशियल विजिट पर प्रधानमंत्री जी की पत्नी हमेशा साथ जा सकती हैं। एक भी विदेशी उनके साथ नहीं था, उनका औपचारिक, ऑफिशियल विजिट त्रिवेंद्रम को था, वहाँ से लक्षद्वीप जाना था, वो भी औपचारिक ऑफिशियल ड्यूटी पर और इसलिए वो विराट में गए, इत्यादि-इत्यादि। वो वक्तव्य आपने पढ़ा है।

मैं वापस दोहराऊंगा नहीं। लेकिन मैं आपसे कुछ मूल प्रश्न पूछना चाहता हूं।

क्या इस देश की अपेक्षा ज्यादा है अगर वो अपने प्रधानमंत्री से यह अपेक्षा करता है कि वह झूठ नहीं बोलें?

क्या इस प्रकार का मिथ्या प्रचार प्रधानमंत्री के पद पर आसीन व्यक्ति को शोभा देता है?

क्या चुनाव के दौरान कुछ भी चलता है, झूठ, उससे बड़ा झूठ और उससे भी बड़ा झूठ?

क्या 32 वर्ष पहले की चीज कोई भी संदर्भ रखती है आज के रोजगार से, आज के नोटबंदी के दुष्प्रभाव से, आज के कृषि की समस्या से, आज के एमएसएमई जो तड़प रहे हैं उनसे?

क्या प्रधानमंत्री माफी मांगेगे, क्या प्रधानमंत्री में वो ह्यूमिलिटी है, विनम्रता है, राहुल गांधी जी से नहीं तो, उनके मृत पिता से नहीं तो देश से माफी मांगेगे?

कब ये स्टंटबाजी बंद होगी, कब ये सस्ती राजनीतिकरण बंद होगा? कब एक पूर्व प्रधानमंत्री को मौनी बाबा कहना, दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाना, कभी और किसी विराट के बारे में बात करना, जो पूरी तरह से 100 प्रतिशत असत्य है?

देश तंग आ गया है। देश समझ गया है कि अगर भारत की पहचान है सत्य के प्रतीक से, राजा हरिश्चंद्र से तो झूठ की पहचान है, दुर्भाग्यपूर्ण है माननीय नरेन्द्र मोदी जी चुनाव के दौरान उनके वक्तव्यों के वक्तव्यों के बाद, एक के बाद एक, उनसे।

कब माननीय प्रधानमंत्री लोगों को मुद्दों से भटकाने से बाज आएंगे और ये प्रयत्न बंद करेंगे? ये प्रधानमंत्री किसी रुप से विश्वसनियता नहीं जगाते हैं क्योंकि ऐसी बातों पर अगर मिथ्या प्रचार कर सकते हैं, झूठ बोल सकते हैं तो मैं समझता हूं कि ये बहुत दयनीय, दुखद परिस्थिति है।

सबसे सर्वोपरी हम जानते हैं, जनता जानती है, आप जानते हैं माननीय प्रधानमंत्री कि दो हफ्ते के अंदर आप हार रहे हैं, बुरी तरह से हार रहे हैं। आप जा रहे हैं, छोड़ रहे हैं, इसका मतलब ये नहीं है कि आप अपने इतने ज्यादा भय के अंदर, इतने ज्यादा फस्ट्रेशन के अंतर्गत इस प्रकार की चीजें कहेंगे और आपने इस प्रकार से हमारी सेना के अंगों को इस झूठ में घेरा, ड्रैग किया और क्या आपको ये शोभा देता है? क्या पहले किसी प्रधानमंत्री ने कभी 70 वर्ष में ऐसा किया?

ये 10 प्रश्न हैं, मैंने 10 प्रश्न रखे हैं, मैं बिल्कुल मान के चलता हूं कि एक का भी उत्तर नहीं आएगा, मैं उससे भी ज्यादा मान कर चलता हूं कि माफी नहीं मांगेगे, लेकिन आपके जरिए, जनता के जरिए उनको कटघरे में खड़ा करना अति आवश्यक था।

Sd/-

(Vineet Punia)

Secretary

Communication Deptt.

                                                                        AICC

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