डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा देश के लिए सबसे ज्यादा अहमियत रखती है और महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई, राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय में शब्दों का दुरुपयोग, राष्ट्रीय सुरक्षा का जामा पहनकर कई गलत चीजों को कहना या गलत कामों को करना मैं नहीं समझता कि पिछले 35 महीनों से जितना इस सरकार ने किया है कभी किसी ने किया हो, जितना इस प्रधानमंत्री ने किया है। सत्य और वाक्य में कितना फर्क हो सकता है, कथनी और करनी में कितना फर्क हो सकता है,जुमलेबाजी और तथ्यों में कितनी बड़ी एक खाई हो सकती है, मैं ये आपके सामने आंकड़ों के आधार पर 5 आयामों में रखना चाहता हूं। आप सब जानते हैं भारतीय सुरक्षा के कई आयाम हैं। मैं संक्षेप में रखने के लिए 5 बिंदुओं को बताऊंगा। से आयाम हैं– पहला– जम्मू–कश्मीर,दूसरा पाकिस्तान–भारत का रिश्ता, तीसरा– नॉर्थ ईस्ट, चौथा– नक्सल, पाँचवा– भारत और चीन के बीच। इन पाँचों आयामों में राष्ट्रीय सुरक्षा का महत्व रखते हुए मैं शुरुआत करता हूं माननीय मोदी जी के कुछ वक्तव्यों से, तिथियों के साथ। माननीय मोदी जी उस वक्त प्रधानमंत्री नहीं थे, 11 अगस्त 2013 को उन्होंने कहा था–
फिर उन्होंने मनमोहन सिंह जी की तरफ कहा–
ये तो हुई कथनी, अब कथनी से करनी में चलते हैं, जुमलेबाजी से तथ्यों में चलते हैं। इस सरकार को लगभग 35 महीने हुए हैं। आंकड़े मेरे पास एक–एक तारीख के हैं। 35 महीनों के तुलनात्मक चार्ट देख लीजिए। इस सरकार की तुलना जम्मू–कश्मीर से शुरु करते हैं। 35महीनों में कुल 91 सिविलियन मृत्यु हुई हैं और जवानों की मृत्यु हुई हैं 198, इसकी तारीख हैं– जून से दिसंबर 2014 का, जनवरी से दिसंबर 2015 का, 2016 का और जनवरी से अप्रैल2017 का। Source है – साऊथ एशियन टैरिरिज्म पोर्टल एंड इंडियन आर्मी प्रैस रिलिज। उसके प्रिसिडिंग 35 महीनों में यानि 2011 से 2014 में कुल सिविलियन मृत्यु 50 थी यानि करीब–करीब 55 प्रतिशत थी, 45 प्रतिशत कम थी। आज के मोदी जी के राज के आंकड़ों से55 प्रतिशत ये आंकड़े थे, 45 प्रतिशत कम थी। दुबारा 50 प्रतिशत कम थी जवानों की मृत्यु103, ये वो व्यक्ति हैं जिसने कहा कि
अब बात करते हैं नक्सल की, 35 महीनों की इस सरकार के दौरान 442 सिविलियन मृत्यु, मैं सिर्फ सुकमा की बात नहीं कर रहा हूं, ना कुपवाड़ा, ये बहुत भयानक, दर्दनाक, दयनीय, पीड़ा वाली चीजें हैं। लेकिन मैं आपको आंकड़ों के आधार पर जिसका कोई प्रतिउत्तर हो नहीं सकता, दे रहा हूं। नक्सल में 442 सिविलियन और 278 जवानों की मृत्यु हुई। उससे पहले367 सिविलियन यानि 33 प्रतिशत कम थी पिछले 35 महीनों में और 268 मृत्यु जवानों की थी। एक में 30 प्रतिशत कम और एक में 10 प्रतिशत कम। ये आंकड़ों की होड़ नहीं है, लेकिन एक जवान जब जाता है तो बहुत पीड़ा होती है। आप 56 ईंच छाती की बात क्यों करते हैं बार–बार, आप राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई क्यों देते हैं, राष्ट्रवाद के इतने भाषण क्यों देते हैं? मैं उसकी बात कर रहा हूं।
अब बात करते हैं नॉर्थ ईस्ट के बारे में– तीसरा आयाम। UPA के 35 महीने में 2011 से 2014के बीच 229 सिविलियन और 47 जवानों की मृत्यु हुई थी। मोदी जी के 35 महीनों में 100 से ज्यादा की वृद्धि हुई है, 344 सिविलियन और ड़बल हुई हैं जवानों की मृत्यु 99। जम्मू–कश्मीर में आंकड़े ड़बल हैं, नॉर्थ– ईस्ट में आंकड़े ड़बल हैं। 229 पहले के आंकड़े, इनके 344, 47 पहले और अब 99। एक में 33 प्रतिशत और एक में 50 प्रतिशत की वृद्धि।
अब बात करते हैं पाकिस्तान के विषय में– पाकिस्तान के विषय में बड़ा भयानक है। माननीय मोदी जी ने चुनाव के वक्त में बोला था, वो आपको याद होगा। UPA के समय के 35 महीनों में470 सीजफायर वॉयलेशन, 85 आतंकवादी हमले थे। मोदी सरकार के 35 महीनों में 1343सीजफायर वॉयलेशन यानि 125 प्रतिशत की वृद्धि और 172 आतंकवादी हमले, 100 प्रतिशत अधिक।
वो अलग बात है कभी आप नाम देते हैं –ऊरी, नगरोटा, पठानकोट, कभी आप जांच पड़ताल के लिए पाकिस्तान से आयोग को बुलाते हैं। आंकड़े डबल से भी ज्यादा है।
अब बात करते हैं चीन की। साबरमती के तट पर झूला झूलना बड़ा अच्छा लगा था। उसके कुछ ही हफ्तों के बाद देखा था आपने क्या हुआ था। एक अच्छा और रोचक शब्दों का जाल बनाया था। आप संसद में पूछते हैं कि चीन के कितने incursion हुए हैं। माननीय मंत्री महोदय हम आपको तारीख देते हैं,
शब्दों में फंसा रहे हैं आपको। मैं आपको वापस मोदी जी के बयानों की तरफ ले जाता हूं।
चीन के विषय में हैदराबाद में इलेक्शन रैली में मोदी जी ने कहा था–
अब आप हमें समझाएंगे कि माननीय मंत्री महोदय जी और माननीय प्रधानमंत्री जी केincursion और transgression में क्या फर्क है और कितना फर्क है? शायद फर्क ये है कि पुरानी सरकार होती तो उसको incursion कहा जाता और आपकी सरकार है तो उसेtransgression कहा जा रहा है, क्या यही फर्क है?
और भी रोचक है माननीय गृहमंत्री जी का वक्तव्य. कई अखबारों में भी छपा है, उन्होंने कहा था–
याद रहे झूले के तुरंत बाद transgression ड़बल से भी ज्यादा बढ़ गए हैं। हाफ़िज़ सईद के लिए आपको अपमानित किया जाता है चीन के द्वारा, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर। UNSC के वक्त एक बहुत अपमानित रुप से भारत का विरोध किया जाता है। ये अंतर्राष्ट्रीय डिप्लोमेसी है मोदी जी की और 6 नाम अरुणाचल प्रदेश के बदल दिए जाते हैं।
ढींगरा कमीशन पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में श्री सिंघवी ने कहा कि ये चुनचुन कर, जानबूझ कर रिपोर्ट लीक करने की प्रक्रिया इस सरकार की बहुत पुरानी आदत है, क्योंकि प्रतिशोध की राजनीति में इस सरकार की पीएचडी है। और प्रतिशोध की राजनीति में निश्चित रुप से सूझ–बूझ और सोच अंधी हो जाती है। उस अंधेपन में, उस घोर प्रतिशोध की भावना के अंदर आपके पास एक ही चीज होती है कि आप जो चाहें सिलेक्टिविली उसको लीक करें और एक परोक्ष रुप से किसी के ऊपर आक्रमण करें। लेकिन इसे करने के वक्त आप 2-3 चीजें भूल गए हैं और बहुत कानूनी हैं, महत्वपूर्ण हैं और कानून में सही रुप से लागू हों तो खतरनाक भी हैं आपके लिए। एक कि इस रिपोर्ट को पब्लिश करना, प्रसारित करना, प्रकाशित करना किसी भी रुप से हाईकोर्ट के 2 आदेशों द्वारा प्रतिबंद्धित है। वो दो आदेशों की तिथि है– 23 नवंबर2016, 26 अप्रैल 2017। दो या तीन दिन हुए हैं, वही ऑर्ड़र रिपिट हुआ है। तो आप इसे प्रकाशित नहीं कर सकते हैं। तो मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि कैसे आपके पास ये पहुंचा है और अगर पहुंचा है तो आपको सलाहाकारों ने क्यों नहीं बताया कि आप इसे प्रकाशित नहीं कर सकता। इस आदेश का एक मुख्य कारण ये था, ये चौंकाने वाली बात है, कि ढींगरा समीति ने तो रॉबर्ट वाड्रा जी को कोई नोटिस ही नहीं दिया था, उनके पास कोई नोटिस नहीं आया है। उससे भी रोचक है– दूसरा नाम आप प्रकाशित करते हैं, श्री बी.एस.हुड्डा साहब का। उनके पास चिट्ठियाँ आई, उन्होंने कहा कि जो आधारित कानून है– एल.के.आडवाणी का निर्णय है उच्चत्तम न्यायालय का, किरण बेदी का निर्णय है। उसके अंतर्गत आपको मुझे 8-B का नोटिस देना पड़ेगा अगर आप मेरे विरुद्ध कुछ होल्ड करते हैं। तो रोचक बात ये है कि ढींगरा साहब ने लिखकर दिया कि हम आपको 8-B का नोटिस नहीं दे सकते। तो अगर आपने 8-B नोटिस नहीं दिया और कोई नोटिस नहीं दिया वाड्रा जी को, तो ये बताएं कृपया करके कि आपने इतने बड़े–बड़े पैराग्राफ कैसे लिख दिए और उनको आप लीक करके प्रकाशित कैसे करवा रहे हैं? उनका कानूनी अस्तित्व क्या है? वो शून्य हैं। Null & Void है।
वैंकेया नायडू के बयान पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में श्री सिंघवी ने कहा कि मुझे बड़ा रोचक लगा ये वक्तव्य। कोर्ट का आदेश तो 6 महीने पुराना है, उसका उल्लंघन आप करते हैं और आप कहते हैं कि आप कोर्ट का सहारा ले सकते हैं। मैं ये इनकी बात समझ नहीं पा रहा हूं। कोर्ट का आदेश ही तो है ये। 2 कोर्ट के आदेशों के बाद आप कहते हैं। दो ही व्यक्ति लीक कर सकते हैं– ढींगरा कमीश्न और सरकार। ये निर्णय कर लीजिए कौन कर सकता है। तो ये लीक किया गया है और मैंने बताया ऐसे संदर्भ में जहाँ किसी को नोटिस नहीं मिला और दूसरे व्यक्ति को एक भी नोटिस नहीं मिला, आपके बारे में कहेंगे और नोटिस देंगे नहीं, नोटिस ही नहीं दिया तो आप लिख कैसे सकते हैं?