Statement Issued by Dr Abhishek Manu Singhvi, Spokesperson, AICC
‘पुत्र विकास’ और ‘जनता विनाश’
पुत्र मोह पर आधारित अच्छे दिन का मॉडल
देश ‘विकास की जय’ की प्रतीक्षा करता रह गए 4½ सालों से
और यकायक ‘जय का विकास’ हो गया।
‘पुत्र तरक़्क़ी जन हिसाब सम्मेलन’
यह क्या भेद-भाव है – पुत्रों के लिए जादू और कृषकों के लिए टोटका
BPL (Below Poverty Line) संख्या की वृद्धि में और ‘बेटा प्रोग्रेस लेआउट’ (BPL) की गति और दिशा में
एक तरफ़ पुत्र विकास की ‘bullet train’ पर सवार है और दूसरी तरफ़ आम जनता महँगाई और मंदी की ‘बैलगाड़ी’ को हांक रही है।
हम चेता देना चाहते हैं यहाँ की जनता को कि माननीय ‘शाह-रमन’ जोड़ी ‘जनसेवकों’ की नहीं है, ‘निजी मुनाफ़ाख़ोरों’ की है।
इतना अंधापन जो प्रधानमंत्री जानबूझ कर दिखा रहे हैं वो तो धृतराष्ट्र ने भी नहीं दिखाया था।
जनता अनुमति नहीं देगी कि प्रदेश को PVT Limited Company के रूप में चलाया जाए।
Cash Rich शासक और Cashless जनता की उपलब्धि
‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ के जुमले पर बनी भाजपा सरकर ने पिछले 4½ सालों में खाने और खिलाने के कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए। अब थोड़ा विश्लेषण करते हैं किस प्रकार से ‘पुत्र विकास’ और ‘जनता विनाश’ केंद्र में शाह साहब वाली सत्तारूढ़ सरकार और प्रदेश में रमन सिंह सरकार चला रही है। ये पुत्र मोह पर आधारित अच्छे दिन का मॉडल इतना आकर्षक है कि मैं चाहूँगा कि इसको पूरी तरह से छत्तीसगढ़ में भी एवं भारत में भी कार्यान्वित किया जाए।
जैसा की आप सब जानते हैं कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आज छत्तीसगढ़ के दौरे पर हैं, रमन सिंह सरकार का प्रचार करने, उनके देश व प्रदेश को दिए गए जुमलों को एक क़दम और आगे लेकर जाने को। लेकिन, सिर्फ़ जुमलों के प्रचार से काम नहीं चलेगा। अमित शाह जी को छत्तीसगढ़ की जनता को अपने बेटे के जादुई formula के बारे में बतलाना पढ़ेगा।
कुछ समय पहले समाचारों द्वारा यह उजागर हुआ था कि मोदी जी की नाक के नीचे ही, उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष, उनके नानों भाई श्री अमित शाह के आंगन से ही परिवार व पुत्र, श्री जय शाह की कंपनियों तथा व्यापारिक गतिविधियों पर गंभीर सवालिया निशान व शंकाएं खड़ी हो गई हैं। ‘शाह-ज़ादे’ साहब कि व्यापारिक गतिविधियों पर सार्वजनिक रूप से कई प्रश्न उठाए गए हैं।
देश ‘विकास की जय’ की प्रतीक्षा करता रह गए 4½ सालों से और यकायक ‘जय का विकास’ हो गया।
देश की जनता, छत्तीसगढ़ प्रदेश की जनता, आरोपों की तह तक जा सच्चाई जानना चाहती है। जनता सात सवालों का जवाब चाहती है अमित शाह जी को और रमन सिंह जी को प्रदेश में चुनाव प्रचार में नहीं उतरना चाहिए, बल्कि उससे पहले जनता को जवाबदेही देनी चाहिए, एक ‘पुत्र तरक़्क़ी जन हिसाब सम्मेलन’ करके।
- ‘टेंपल इंटरप्राईज प्रा. लि.’, जो कि श्री अमित शाह की धर्मपत्नी, पुत्रवधू व पुत्र- श्री जय शाह की कंपनी है, ऐसा क्या व्यापार करती थी जो साल के भीतर 16000 गुना कारोबार बढ़ा रही थी? इसमें क्या संपत्तियां थीं, कितने कर्मचारी थे, क्या देनदारी थी व इन सबका पैसा कहां से आ जा रहा था? और जादू की वो कौन सी छड़ी थी, जिससे साल 2012-13 व 2013-14 में नुकसान कमाने वाली कंपनी ने भाजपा सरकार बनने के एक साल के भीतर 16000 गुना (यानि 16 लाख प्रतिशत) कारोबार बढ़ा लिया?
- ऐसा क्या कारण था कि 16000 गुना बढ़े कारोबार वाली इस कंपनी, यानि टेंपल इंटरप्राईज प्रा. लि., को अक्टूबर, 2016 में नुकसान दिखा बंद करने की नौबत आ गई? क्या आयकर विभाग की जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि वो ऐसी संदिग्ध स्थिति में बंद होने वाली कंपनी को नोटिस दे जांच करते? गुजरात व देश का व्यापारी तो अपने सही व्यवसाय व बैंक में पैसा जमा कराने पर भी इंकम टैक्स विभाग द्वारा उत्पीड़ित किया जाता है, तो श्री अमित शाह के पुत्र की कंपनी के अचानक फायदे व अचानक नुकसान के बारे में आंख पर पट्टी क्यों बांध ली जाती है? जनता यह भी जानना चाहती है कि इस उक्त कंपनी के एक कमरे के कार्यालय में ऐसी क्या विलासितापूर्ण वस्तुऐं व सुविधाएं थीं कि उसका किराया 80 लाख रु. दिखाया गया? यह ऐसा फायदे का मॉडल, साझे का आदर्श मॉडल, राज्य के विकास के लिए बन जाना चाहिए। और यह साझा होना चाहिए इस जादुई तरक़्क़ी के लिए प्रदेश के बेबस किसान के साथ, हताश व्यापारी के साथ, निराश नागरिक के साथ – ऐसा सच्चा राष्ट्रवाद मोदी-शाह-रमन सिंह कब दिखाएँगे ?
- श्री अमित शाह के पुत्र, श्री जय शाह की कंपनी, टेंपल इंटरप्राईज़ प्रा. लि. के खातों में यह भी दर्शाया गया है, कि 51 करोड़ रु. की राशि विदेशों से आई है। जनता जानना चाहती है कि ऐसी कौन सी खरीद फरोख्त या व्यवसाय किन-किन देशों में किया गया, जिससे करोड़ों रुपया विदेश से कंपनी के खाते में आया? क्या श्री अमित शाह व जय शाह इस पर प्रकाश डालेंगे? क्या करोड़ों की राशि विदेश से कंपनी के खाते में आने पर किसी सरकारी एजेंसी के कान नहीं खड़े हुए व कभी कोई पूछताछ क्यों नहीं की गई? यदि यही राशि, किसी साधारण व्यक्ति की कंपनी (जिसका कारोबार 1 साल पहले तक मात्र 50,000 रु. हो) में आ जाता तो फिर क्या ई.डी./सी.बी.आई/इंकम टैक्स आदि विभाग उसका जीना दूभर नहीं कर देते?
- ऐसे क्या कारण थे कि श्री अमित शाह के पुत्र, श्री जय शाह की कंपनी, टेंपल इंटरप्राईज प्रा. लि. को केआईएसएफ फाईनेंशियल सर्विसेस द्वारा 15.78 करोड़ रु. का ‘अनसिक्योर्ड लोन’ दिया गया। सार्वजनिक पटल पर यह जानकारी भी है कि केआईएफएस फाईनेंशियल सर्विसेस को शेयर व्यापार में ‘सेबी’ द्वारा चेतावनी भी दी गई और व्यापार करने पर भी रोक लगाई गई। जनता का प्रश्न यह है कि क्या श्री राजेश खंडवाला को इस अनसिक्योर्ड लोन के एवज में कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष राहत या फायदा प्राप्त हुआ या फिर यह सारा कर्जा, सिर्फ एक प्रेमभरी समाजसेवा थी? प्रश्न यह भी उठता है कि क्या श्री अमित शाह के पुत्र की कंपनी के अलावा भी ऐसे अनसिक्योर्ड लोन केआईएफएस फाईनेंशियल सर्विसेस द्वारा किसी और कंपनी को भी दिए गए, क्योंकि उनकी बैलेंस शीट में ऐसी कोई जानकारी नहीं दिखती? तो यह उपकार श्री जय शाह की कंपनी पर ही क्यों? यह क्या भेद-भाव है – पुत्रों के लिए जादू और कृषकों के लिए टोटका; इधर पुत्रों के लिए जादू और उधर ग़रीबी, बेरोज़गारी, व्यापार मंदी और महँगाई पर क़ाबू।
- अब दूसरी कंपनी – कुसुम फिनसर्व प्रा. लि. – की बात करें, जिसे बाद में एलएलपी में बदला गया। यह भी श्री अमित शाह के पुत्र, श्री जय शाह की कंपनी है। उक्त कंपनी को कालूपुर कमर्शियल कोआपरेटिव बैंक द्वारा 25 करोड़ का ऋण महज 6.20 करोड़ की दो संपत्तियों को गिरवी रख दिया गया। एक संपत्ति श्री अमित शाह की मल्कियत है और दूसरी, श्री यशपाल चुदासमा की। यह वही यशपाल चुदासमा हैं जिन्हें सीबीआई द्वारा सोहराबुद्दीन व कौसर बी. फर्जी एनकाउंटर केस में आरोपित किया गया था, व साल 2015 में सीबीआई कोर्ट ने इन्हें व श्री अमित शाह को बरी कर दिया। देश की जनता रिज़र्व आर.बी.आई. से पूछना चाहती है कि क्या आरबीआई व बैंक के नियम इस बात की अनुमति देते हैं कि मात्र 6.20 करोड़ की संपत्ति पर 25 करोड़ का ऋण दिया जा सके? क्या इन्हीं उदार शर्तों पर कालूपुर बैंक द्वारा ऐसा ऋण अन्य किसानों व छोटे व्यवसायियों को भी दिया गया है या फिर मापदंड अलग-अलग हैं?
5A. यह इस देश का और इस प्रदेश का दुर्भाग्य है कि एक तरफ़ इस प्रकार की उन्नति, समृद्धि एवं ख़ुशहाली पुत्रों की हो रही है और दूसरी तरफ़ छत्तीसगढ़ उतीर्ण हो रहा है, प्रथम स्थान पर पहुँच गया है, BPL से नीचे रहने वाले व्यक्तियों की संख्या में। ये दुर्भाग्यपूर्ण होड़ है, BPL (Below Poverty Line) संख्या की वृद्धि में और ‘बेटा प्रोग्रेस लेआउट’ (BPL) की गति और दिशा में। शायद छत्तीसगढ़ ही एक ऐसा प्रदेश है जिसके जन्मदिन पर 37% लोग BPL रेखा के नीचे थे और आज केंद्र सरकार के ख़ुद के आँकड़ों के आधार पर क़रीब 42% लोग इस रेखा के नीचे हैं। वैसे, अगर मोदी जी के ‘फेंकू आँकड़ों’ को लिया जाए तो 50% लोग BPL रेखा के नीचे हैं, क्योंकि हाल में ही माननीय प्रधानमंत्री ने वक्तव्य दिया है कि 1.30 करोड़ लोगों के ‘जन-धन’ अकाउंट छत्तीसगढ़ में खोले गए है जबकि प्रदेश की सामूहिक जनसंख्या 2.6 करोड़ है। आप सब जानते हैं कि ‘जन-धन’ अकाउंट सिर्फ़ BPL रेखा के नीचे के लोगों के लिए खोला जा सकता है। तो जहाँ एक तरफ़ या तो 42% या 50% ग़रीबी रेखा के नीचे हैं इस प्रदेश में, वहाँ दूसरी तरफ़ ‘पुत्र विकास’ में गणित नहीं algebra चल रहा है क्योंकि 16,000% बड़ा है।
- श्री अमित शाह के बेटे श्री जय शाह की कंपनी, कुसुम फिनसर्व की अनोखी दास्तां यहीं समाप्त नहीं होती। इस कंपनी का प्राथमिक धंधा तो शेयर व्यापार व आयात-निर्यात का है। 2014 में मोदी सरकार बनने व श्री पीयूष गोयल के केंद्रीय बिजली मंत्री बनने के बाद, इस कंपनी ने 2016 में पवन चक्की (विंडमिल) द्वारा 2.1 मेगावाट बिजली उत्पादन का प्लांट भाजपा शासित मध्यप्रदेश के रतलाम में लगाने का निर्णय लिया। बिजली मंत्रालय के रिन्यूएबल एनर्जी के तहत मिनी रत्न संस्था (प्त्म्क्।) द्वारा 10.35 करोड़ का ऋण भी जय शाह की कंपनी को दे दिया गया। देश जानना चाहता है कि वो ऐसे कौन से मापदंड हैं, जिनके तहत शेयर व आयात निर्यात का धंधा करने वाली कंपनी, जिसे बिजली उत्पादन का रत्ती भर भी अनुभव नहीं था, भारत सरकार द्वारा सस्ते ऋण के योग्य पाया गया?
देश यह भी जानना चाहता है कि रतलाम में लगाए जाने वाले पवन ऊर्जा प्लांट की मौके पर वस्तुस्थिति क्या है? देश तो यह भी पूछ रहा है कि मौके पर ऐसा कोई पवन ऊर्जा प्लांट है भी या नहीं? क्या श्री पीयूष गोयल यह भी बताएंगे कि उनके मंत्रालय द्वारा बगैर तजुर्बे की कितनी कंपनियों को इस प्रकार सस्ते ऋण की सहायता दे, भाजपा शासित प्रदेशों में प्लांट लगावाए गए? क्या बेरोजगारी दूर करने का न्यू इंडिया में यह न्यू मॉडल है? एक तरफ़ पुत्र विकास की ‘bullet train’ पर सवार है और दूसरी तरफ़ आम जनता महँगाई और मंदी की ‘बैल गाड़ी’ को हांक रही है।
- सबसे विचित्र घटना तो तब घटी तब भारत सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री, श्री पीयूष गोयल एक औचक प्रेस वार्ता में श्री जय शाह का बचाव करते दिखे। वो भी तब जब उनके खुद के मंत्रीकाल में ही उनके मंत्रालय द्वारा श्री जय शाह की कंपनी को करोड़ों रु. का सस्ता ऋण उपलब्ध करवाया गया था। सवाल यह उठता है कि क्या श्री जय शाह, मोदी मंत्रीमंडल में मंत्री हैं या फिर भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी? यदि नहीं तो फिर क्यों भारत सरकार के मंत्री एक निजी व्यक्ति के बचाव में अकारण खड़े हैं? भाजपा के मंत्रियों ने कितने और लाभकर्ताओं व ऋण लेने वालों की ऐसी वकालत सार्वजनिक तौर पर की है? हम चेता देना चाहते हैं यहाँ की जनता को कि माननीय ‘शाह-रमन’ जोड़ी ‘जन सेवकों’ की नहीं है, ‘निजी मुनाफ़ाख़ोरों’ की है।
पनामा पर्दाफ़ाश
क्या छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का बेटा विदेशी बैंक खाता रैकेट चलाता है ?
भाजपा का पुत्र मोह सिर्फ़ यहीं तक सीमित नहीं हैं। ‘बेटों के विकास’ और ‘जनता के विनाश’ की भाजपाई परम्परा को आगे बढ़ाते हुए श्री अमित शाह की तर्ज़ पर डा. रमन सिंह ने भी छत्तीसगढ़ को भुखमरी, बीमारी और बदहाली से त्रस्त कर डाला और ख़ुद के पुत्र के विदेशी बैंक खातों को मालामाल कर दिया।
ICIJ (International Consortium of Investigative Journalist) ने कुछ साल पहले कुछ कागज निकाले। 2013-14 में ICIJ की वेबसाईट पर, आज भी आप देख सकते हैं, एक नाम प्रमुख तौर पर सामने आता हैं, “अभिषाक सिंह”, श्री रमन सिंह, छत्तीसगढ़ के 15 साल से मुख्यमंत्री के बेटे अभिषेक सिंह, जो राजनंदगांव से भाजपा के सांसद भी हैं।
इनकी कंपनी का नाम दिखाया गया है- “Quest Heights”- British Virgin Islands में। वेबसाईट पर इस कंपनी का पता आता है- C/O Raman Medical Store, New Bus Stand, Vindhyavasini Ward No.20, Kavardha.
British Virgin Islands में उनकी कंपनियां खोली गई हैं। कांग्रेस ने इसको बार-बार देश के सामने उजागर भी किया हैं और छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने आप लोगों के सामने भी।
तो आप देख रहें हैं कि जहाँ जनता फ़र्श पे है, वहाँ पुत्र अर्श पे हैं।
भाजपा के कई राष्ट्रीय अध्यक्षों के शंकास्पद आचरण व आर्थिक अनियमितताओं के इल्जामों का चोली दामन का साथ रहा है। पिछले वर्षों में तीन भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्षों को संदेह के घेरे में लगे इल्जामों के चलते पदमुक्त होना पड़ा। सबको याद है कि जैन हवाला केस के बाद, श्री लाल कृष्ण आडवानी ने त्याग पत्र दे जांच व मुकदमें के निर्णय तक कोई पद न लेना स्वीकार किया था। तहलका कांड में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष, श्री बंगारु लक्ष्मण ने रिश्वत लेते पकड़े जाने पर इस्तीफा दे दिया था। श्री नितिन गडकरी ने तो आरोप लगते ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने अपना मित्रता धर्म व दलगत राजनीति को चुन लम्बी चुप्पी बनाई रखी और एक बार फिर सत्यता व नैतिकता को परे रख दिया। मोदी जी, देश देख रहा है, देश समझ रहा है। इतना अंधापन जो प्रधानमंत्री जानबूझ कर दिखा रहे हैं वो तो धृतराष्ट्र ने भी नहीं दिखाया था।
हम विनम्र अनुरोध करेंगे, माननीय श्री अमित शाह से एवं श्री रमन सिंह जी से कि यह जादुई मॉडल जिसका हमने विस्तार से विवरण किया है और जो इन्होंने अपने पुत्रों के व्यवसाय विकास के लिए निर्माण किया है, उस मॉडल को प्रदेश के किसान, छोटे व मध्यम वर्ग के व्यापारी, नोटबंदी से ग्रस्त और त्रस्त जनता एवं पकौड़े बेरोज़गारी से ध्वस्त लोगों – सबको सिखा दें।
‘शाह-सिंह’ जोड़ी को हम यह भी चेतावनी देना चाहते हैं कि इस देश और इस प्रदेश की जनता कभी यह अनुमति नहीं देगी कि प्रदेश को PVT Limited Company के रूप में चलाया जाए। न ये बर्दाश्त करेगी की ‘शाह-जादा’ मॉडल कार्यान्वित हो। और न ये होने देगी कि Cash Rich शासक और Cashless जनता की उपलब्धि ये दोनो व्यक्ति जो ‘जन-हित’ से ‘पुत्र-हित’ की यात्रा में लगे हैं, वो ये हासिल कर पाए।