ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE
24, AKBAR ROAD, NEW DELHI
COMMUNICATION DEPARTMENT
Dr. Abhishek Manu Singhvi, MP, Spokesperson AICC addressed the media at AICC Hdqrs. today.
डॉ. अभिषेक सिंघवी ने कहा कि संघीय ढांचा नहीं है, संघीय सहयोग नहीं है, इस सरकार की सच्चाई है, संघीय फासीवाद, फासिज्म। सत्ता से लोलुप्त मोदी-शाह जोड़ी ने निश्चित कर लिया है कि भारत के सभी प्रदेशों की सांस्कृतिक पहचान पर बार-बार, बारंबार प्रहार करेंगे, बुल्डोज करेंगे। मोदी सरकार ने इस प्रकार की सांस्कृतिक पहचान पर प्रहार कर-करके भारत के संघीय ढांचे का मजाक अनेक बार किया है। ‘टीम इंडिया’ ये शब्द जो मोदी जी बार-बार इस्तेमाल करते हैं, उसको बनाने का नाटक कई बार एक्सपोज हो गया है, वो नाटक बेकार हो गया है।
हम भर्त्सना करते हैं, कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करते हैं, जिस प्रकार से अपमानित किया, नष्ट किया बंगाल में एक राष्ट्रीय आईकोन ईश्वरचंद विद्यासागर को। एक ऐसा महान व्यक्ति शिक्षाविद, सुप्रसिद्ध, विश्व प्रसिद्ध शिक्षाविद, बंगाली एल्फाबेट और लिखने के तरीके पर इतनी शोध की, इतने परिवर्तन लाए, संस्कृत के मूर्धन्य ज्ञानी, एक अथक समाज सुधारक, विधवा पुर्नविचार अधिनियम में इतना प्रयत्न किया, ऐसे व्यक्ति के विषय में बीजेपी और संघ परिवार के इस प्रकार के तत्व, इस प्रकार की चीजें करते हैं, भारत देश में ऐसा पहले कभी हुआ नहीं। सच्चाई ये है कि आज इस सत्तारुढ पार्टी ने एक नई संस्कृति पैदा कर दी है – जंगल राज, मोबोक्रेसी। उसको जानबूझ कर प्रोत्साहित किया जाता है। हम सीधा आरोप लगाते हैं कि सांस्कृतिक पहचान, इस जंगलराज, मोबोक्रेसी के लिए 100 प्रतिशत मोदी-शाह जोड़ी, बीजेपी सत्तारुढ़ सरकार जिम्मेवार है।
संघीय ढांचा संविधान की बात नहीं है, संघीय ढांचा आदर सत्कार होता है, प्रादेशिक स्तर पर हर चीज के लिए। आदर सत्कार होता है भाषा के लिए, विभिन्नता के लिए, विभिन्न संस्कृतियों के लिए, खाने के लहजे और खाने की चीजों के लिए। सबसे ऊपर सर्वोपरी होती है पहचान उन प्रादेशिक स्तर पर, ट्राईबल स्तर पर जो निवासी हैं उनकी। संघीय ढांचे के इस हर तत्व पर जबरदस्त प्रहार किया है इस सरकार ने, जो पहले कभी 72-73 साल में नहीं हुआ। तीन नए डीज निकाले हैं, जो मैंने कहा – डिस्ट्रक्शन (destruction), डेमोलिशन (demolition), डेसिक्रेशन (desecration)। नष्ट करना, तोड़ना, अपमानित करना और बड़े सहज और बड़े सोचे-समझे, बड़े प्लान तरीके से ये अखिल भारतीय स्तर पर किया जा रहा है, पूरे राजनीतिक वातावरण को प्रदूषित करने के लिए, विष से घोलने के लिए।
इसके विपरीत कांग्रेस पार्टी सदैव और विशेष रुप से राहुल गांधी जी इस अथक परिश्रम में लगे हैं शुरुआत से कि सांस्कृतिक पहचान को कैसे बचाया जाए, प्रोत्साहित किया जाए, हर जगह। आप लोग समझते है कि दो जगहों पर सिर्फ चुनाव लड़ रहे हैं माननीय राहुल गांधी, जहाँ तक उनकी सोच है, वो भिन्न है इससे। उनके अनुसार अमेठी से वायनाड, उत्तर से दक्षिण भारत की पहचान को एक साथ पिरोना अति आवश्यक है। भारत की पहचान को एक कॉमन अंबरेला में दिखाना अति आवश्यक है और उस विभिन्नता को सैलिब्रेट करना। ये चीजें हम भूल जाते हैं, इसलिए मैं आपको कुछ उदाहरण देना चाहता हूं। ये अति आवश्यक है कि हमारी संस्थापित स्मृति को वापस उजागर किया जाए।
एक एच राजा हैं, बीजेपी के शीर्षस्थ नेतृत्व के, तमिलनाडु का हिस्सा, उनका वक्तव्य था कि मैं शपथ लेता हूं कि पेरियार की मूर्ति को हम नष्ट करेंगे। ये उन्होंने सार्वजनिक रुप से शपथ ली थी, आपने प्रकाशित भी की थी। श्री राम माधव उनसे भी ज्यादा वरिष्ठ व्यक्ति हैं, उन्होंने समर्थन करने का प्रयत्न किया कि क्यों कुछ मूर्तियों को हटाना चाहिए, क्या किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध कुछ एक्शन हुआ, निलंबित, निष्कासन हुआ, जी नहीं, उनको प्रोत्साहित किया गया, चुप्पी से प्रोत्साहित किया गया, हंस कर प्रोत्साहित किया गया, आँख मूंद कर प्रोत्साहित किया गया। चेन्नई में हमारे सबसे बड़े आईकोन अंबेडकर जी की मूर्ति पर लाल रंग आप लोगों ने प्रकाशित किया कि मिला है। सबसे घृणात्मक अगर आप घृणा के अलग-अलग दर्जे देख सकते हैं, मुझे तो विश्वास नहीं होता है कि भारत में ये कैसे हो रहा है, 2018-19 में, नाथूराम गोड़से की मूर्ति को हार चढ़ाया जाता है, प्रशस्ति पत्र जैसे पेश हो रहा हो, तालियां बजती हैं और उसके बाद गांधी जी की एक छोटी मूर्ति को लेकर एयर पिस्टल से शूट किया जाता है। ये कितनी बार हुआ है 70-72 साल में, क्या ये हमारी सांस्कृतिक पहचान है, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र, गणतंत्र की?
अब जरा संघीय ढांचे पर चलें संवैधानिक रुप से, आर्थिक रुप से। आपने जो ढोंग किया, जो 100 प्रतिशत मिथ्या प्रचार किया आंध्र प्रदेश के स्पेशल स्टेट्स के बारे में, विशेष दर्जे के बारे में, वो संसद में दोनों हाउस में कई बार एक्सपोज हो गया है। ना तेलंगाना को, ना आंध्र प्रदेश को ये स्पेशल स्टेट्स मिला जो पहली सरकारों ने, इस सरकार ने कई बार वायदा किया है। आप बात करते हैं मोदी जी सहयोग वाले संघीय ढांचे की, कॉम्पिटशन वाले संघीय ढांचे की, बड़े-बड़े लेक्चर देते हैं, इतने प्रखर वक्ता हैं आप, सच्चाई क्या है आपके संघीय ढांचे की? उस सच्चाई का नाम है अरुणाचल प्रदेश। आपने पढ़ा है कि उच्चतम न्यायालय ने क्या स्ट्रिक्चर पास किए थे? उस सच्चाई का नाम है उत्तराखंड, आपने पढ़ा कि उच्च न्यायालय को क्या कहना पड़ा? उस सच्चाई का नाम है गोवा और मणिपुर, जब बहुमत गायब और सरकार को येन, केन, प्रकारेण इंस्टॉल करना है, मेघालय। ये सच्चाई है आपके संघीय ढांचे की।
आपने अरुणाचल प्रदेश जैसे नाजुक बॉर्डर प्रदेश के विषय में परमानेंट रेजिडेंट सर्टिफिकेट्स जो वहाँ के निवासियों के विषय में आपने एक स्कीम की, वो 6 नोन ट्राईबल कम्युनिटी के लिए आपने जोर लगाकर करने का प्रयत्न किया है, कर दिया है, उससे वहाँ बहुत अशांति है। सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल, नागरिकता वाला विषय, हम सब जानते हैं उत्तर पूर्व में कितना आक्रोश है, वहाँ के लोग, जो मूल निवासी हैं वो इसको अपनी सांस्कृतिक पहचान पर सबसे बड़ा आघात मानते हैं, 70-72 साल में। जम्मू-कश्मीर हमारे देश का सबसे नाजुक प्रदेश है, राष्ट्रीय सुरक्षा का एक बहुत जबरदस्त, एक महत्वपूर्ण पहलू आपने मोदी जी 80,000 करोड़ के पैकेज का वायदा किया था, आपके प्रकाशित आंकड़े हैं, 31 प्रतिशत दिया गया है अभी तक, एक तिहाई से कम। इतने बड़े-बड़े भाषणों से सच्चाई नहीं छुप सकती। बिहार जहाँ आपको जीतने की इतनी तीव्र इच्छा थी, 2015 में आपने सवा लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की थी। अभी एक-डेढ़ साल से नीतीश कुमार जी की आवाज दबी-दबी रहती है, निकलती नहीं है, शायद अगले बदलाव के साथ उनकी आवाज भी निकलनी शुरु हो जाएगी। सवा लाख करोड़ रुपए में कितना रुपया बिहार को मिला है, जरा देश को बताईए। आप बार-बार कहते हैं कि 42 प्रतिशत हम प्रदान करेंगे, टोटल जो फंड होते हैं, यानि कि जो संविधान के अंदर केंद्र को प्रदेशों को देने होते हैं, 35 प्रतिशत डिवोल्व हुए हैं। सीएसएस और कई सेंट्रल स्कीम कम हो गई हैं, 75 प्रतिशत से 50 प्रतिशत, ये नई परिभाषा है, विकृत परिभाषा है संघीय ढांचे की, कॉपरेटिव सहयोग वाले ढांचे की।
मैं अंत में ये कहूंगा कि जो हमारे संविधान के मूल स्तंभ हैं, नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल उसको भी आपने निरस्त कर दिया। सब चीज आप नीति आयोग से जोड़ते रहते हैं, जहाँ ब्यूरोक्रेट बैठे हैं, जो आपके स्पोकसपर्सन बनते हैं। अभी विद्यासागर जी के अलावा आपने जिस प्रकार से इतने प्यारे शब्दों का प्रयोग किया बंगाल के विषय में, कंगाल बंगला आपने कहा, ये आपकी समझ है, परिभाषा है, आदर है, सत्कार है, संघीय ढांचे के बारे में, सांस्कृतिक पहचान के बारे में, विविधता के बारे में, डिसेंट्रलाइजेशन के बारे में और इसी सच्चाई को हम एक्सपोज करना चाहते हैं।
बंगाल के विषय में अमित शाह के दिए बयान पर पूछे एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि अमित शाह जी कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहने लगे हैं, समय नहीं मिलता उनको फैक्ट चैक करने के लिए। जब भी वो चाहें फैक्ट चैक करने के लिए हम बैठे हैं। जुमलेबाजी, फैंकुबाजी के लिए वो अपने प्रधानमंत्री से पूछ सकते हैं, फैक्ट चैक के लिए हमसे पूछ सकते हैं। आपने बोला कि बंगाल में हिंसा क्यों होती है, तो मैं फैक्ट चैक करा दूं उनके लिए कि अभी त्रिपुरा में चुनाव आयोग ने पूरा रिइलेक्शन कर दिया, पूरा चुनाव ही निरस्त हो गया है, वो क्या हिंसा के बिना हुआ?अभी इसी चुनाव में, दो हफ्ते पहले। केरल में क्या हिंसा का नाम नहीं सुना आपने? किस देश की बात कर रहे हैं अमित शाह जी, भारत में हैं या विदेश में? तमिलनाडु में हिंसा नहीं हुई क्या?कर्नाटक में आप लोगों ने इतनी रिपोर्ट की और इसके अलावा अभी कुछ दिनों पहले की बात है, हरियाणा में जो मंत्री महोदय मनीष ग्रोवर के विषय में आप सबने सुना, पढ़ा, बात हुई। बिहार में, झरिया में, जमशेदपुर में, मुजफ्फरपुर में, ये सूची तो अभी लंबी है अमित शाह जी, आप किस देश में रह रहे हैं? सच्ची बात क्या है, सच्ची बात ये है शाह साहब कि जहाँ-जहाँ बीजेपी का वर्चस्व शून्य है, जहाँ-जहाँ आप जलाकर और आवाजें निकाल कर अपने वर्चस्व और पहचान को बनाने के प्रयत्न में लगे हैं, जहाँ शून्य है, वहाँ हिंसा आप करवा रहे हैं, वहाँ हिंसा आप कर रहे हैं, वहाँ अपने आपको स्थापित करने के लिए, आपकी पहचान ना जाए इसके लिए कर रहे हैं और आप ऐसे अनभिज्ञ बन रहे हैं। मैं एक चीज सीधा बोल दूं मैं कड़े से कड़े शब्दों में किसी के द्वारा किसी प्रदेश में कहीं भी किसी प्रकार से हिंसा की भर्त्सना करता हूं, ये हमारा यूनिवर्सल सिद्धांत है।
एक अन्य प्रश्न पर कि खबरें आ रही हैं कि यूपीए चेयरपर्सन की तरफ से 23 तारीख को सभी विपक्षी पार्टियों को बुलाया गया है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि इन सब चीजों पर बात इस प्रकार से करने का कोई औचित्य नहीं है। जब ऐसा होगा तो आपको सूचना देंगे और आपको आमंत्रित भी करेंगे। लेकिन इसके बारे में कुछ भी कहना अभी संभव नहीं है, ये मैं किसी तथा-कथित रिपोर्ट पर टिप्पणी नहीं करुंगा। बातचीत राजनीतिक प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है, बातचीत राष्ट्रीय चुनाव के दौरान अगर नहीं होगी तो कब होगी और अलग-अलग स्तर पर मैं नहीं कह रहा हूं, कांग्रेस कर रही है, मैं कर रहा हूं या आप कर रहे हैं, ये 24 घंटे का प्रोसेस होता है। जो आप प्रश्न पूछ रहे हैं, सूत्रों और प्रकाशित खबर के बारे में, उसके ऊपर मैं जवाब देने में असमर्थ हूं।
प्रधानमंत्री के बंगाल के विषय पर दिए बयान पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं इसका जवाब दो बार दे चुका हूं। जहाँ तक दूसरे का सवाल है, वो आप उनसे और ममता बनर्जी जी से पूछिए, मुझे बीच में पड़ने की जरुरत नहीं है, ये राजनीति कैंपेन है, इसमें निश्चित रुप से हर व्यक्ति को ये लाजमी है कि राजनीतिक रुप से कुछ कहना हो, लेकिन जिस प्रकार से अपशब्दों का बार-बार प्रयोग किया जा रहा है, मैं उससे सहमत नहीं हूं, लेकिन ये मामला उनके और ममता जी के बीच में है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि इस वक्त इन सब चीजों की बात करना पूरी तरह से प्रिमैच्योर है। वक्तव्यों के ऊपर टिप्पणी करना बिल्कुल अनुचित है, अनावश्यक है। आप आश्वस्त रहें कि 23 तारीख के बाद नोन एनडीए, नोन बीजेपी, नोन मोदी, नोन शाह सरकार इस देश में आ रही है। उस सरकार का क्या स्वरुप होगा, क्या कोंपनेंट होंगे, उससे हम आपको निकट भविष्य में अवगत कराएंगे। ये स्टेटमेंट बाजी से निश्चित कुछ नहीं होने वाला है।
Sd/-
(Vineet Punia)
Secretary
Communication Deptt.
AICC