डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि ये एक बहुत गंभीर मुद्दा है, क्योंकि जैसे-जैसे कर्नाटक का चुनाव निकट आ रहा है, जिसको मैंने अंग्रेजी में कहा 3F यानि Fear, Frustration and Follies. भय जो बीजेपी का है, बौखलाहट जो है और जो उनकी गलतियाँ हैं, वो दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं,एक ऐसी रफ्तार से कि वो देखने लायक है। आपने इसको कई पहलूओं में देखा है, एक अगर मैं आम उदाहरण दूं तो कल का ही पहलू है, देश के उच्च स्तर के प्रधानमंत्री के पद के आसिन व्यक्ति भारत के आईकॉन के विषय में, इतना बड़ा असत्य कह सकते हैं, जो उन्होंने जनरल के.एस. करिअप्पा और जनरल थिमैया के विषय में कल कहा। इससे और कुछ बात सिद्ध होती है कि नहीं होती है, कांग्रेस की निंदा होती है कि नहीं होती है? लेकिन एक बात जरुर सिद्ध हो जाती है कि हमारे प्रधानमंत्री जी का इतिहास का ज्ञान बहुत कमजोर है। वो भारत का इतिहास समझने और आत्मसात करने में असमर्थ हैं और साथ-साथ ये भी सिद्ध हो जाता है कि उनके पास जो एक पूरी फौज है रिसर्च करने की, वो उनसे भी ज्यादा असमर्थ है, उनको सही तथ्य देने में। लेकिन ये तो मैं एक छोटा उदाहरण मानता हूं, ये बौखलाहट का उदाहरण है, ये भय का उदाहरण है।
किसी भी कारण सच्चा-झूठा, मिथ्या प्रचार करके कांग्रेस की निंदा करने का कारण है। लेकिन इससे ज्यादा आप गंभीर चीज देखिए, आपको इतनी ज्यादा लालच है कि हर वाक्य में कांग्रेस को आप भर्त्सना करें तो कम से कम साथ-साथ कर्नाटक के इतने गौरवशाली प्रदेश के बैंगलूरु के गौरवशाली नागरिकों को आप साथ-साथ अपमानित क्यों कर रहे हैं? आपने एक ही वाक्य में इस शहर को, उस प्रदेश को गारबेज तो कह दिया, क्राईम सिटी भी कह दिया, साथ-साथ valley of Sinभी कह दिया, यानि अनैतिकता से भरपूर immorality, Sin का मतलब immorality से भरपूर शहर। जबकि उस शहर की पहचान है, जन्म दिया है उसने पूरी हमारी आईटी इंडस्ट्री को। जो विश्व स्तर के आईटी के इंडस्ट्री है, वो वहाँ जन्मे हैं। वो एक टेक्निकल हब है, वो एक स्टार्ट अप हब है और मोदी जी वाला ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टेंडअप इंडिया’ वाला हब नहीं है। ये वास्तविक, सच्चा स्टार्टअप हब है। आप एक तरफ रोजगार नहीं बनाते, एक तरफ कृषकों पर प्रहार करते हैं और दूसरी तरफ आप अपमानित करते हैं बेंगलूरू जैसे शहर के विकास को, कर्नाटक जैसे प्रदेश के विकास को।
मैं माननीय प्रधानमंत्री जी को याद दिलाना चाहूंगा विनम्रता से कि हाँ, ये शहर ‘SIN’ का है, लेकिन जो sin आप समझते हैं ये वो नहीं है। ये वो ‘SIN’ है, आप समझते हैं, आपके अनुसार ये एक बहुत significant insult है, लेकिन वस्तविक रुप से ये ‘SIN’ है – Superior Information Technology और Novelty का, ‘SIN’. वास्तव में में ये ‘SIN’ है Super Highway का, I का IT और N का Network, ये समझने में बीजेपी, सत्तारुढ पार्टी असमर्थ है। उनको तो समझ आता है कि Internet वैदिक समय से था, जो मुख्यमंत्री बताते हैं, उनको ये समझ नहीं आता है कि बेंगलूरु इसका जन्म स्थान है। लेकिन मैं बहुत विनम्रता से कहूंगा कि आप हमको गाली-गलौच दीजिए, कर्नाटक के लोगों का ऐसे अपमान मत कीजिए, वोटों के लिए, राजनीति के लिए और इसके लिए आपको करारा जवाब मिलने वाला है, हफ्ते– 10 दिन में।
ये घबराहट, ये भय प्रमाणित है भद्दे मानहानि से भरे और फौजदारी मुकदमा करने के लिए उपयुक्त वक्तव्यों द्वारा। जानबूझ कर समुदाओं और धर्मों के बीच में एक खाई बनाने वाले वक्तव्य। हमने कल एक उदाहरण दिया, चुनाव आयोग को। मैंने उस डेलिगेशन का नेतृत्व किया था। जिस प्रकार से लिखा गया है – देशभक्तों के मर्डरर, उस विज्ञापन में और ऊल्टा चोर कोतवाल को डांटे स्टाईल में ‘कि सांप्रदायिक्ता कांग्रेस कर रही है’। जिस पार्टी के लोग अनंत हेगड़े जैसे व्यक्ति हैं, जो हमेशा इतनी अमृतवाणी करते हैं, वैसी पार्टी के लोग आज आरोप लगा रहे हैं, कर्नाटक के चुनाव के संदर्भ में, हमारे ऊपर।
उस विज्ञापन में मजाकिया बात ये है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी जी की छाया से भी घबराए हुए हैं बीजेपी के लोग। उसमें एक छाया दिखाई गई है और उसके बाद ये वक्तव्य बनाए गए हैं। तो मैं समझता हूं कि वो राहुल गाँधी जी की छाया से भी घबराए हुए हैं।
आज ये सब क्यों हो रहा है, ये सब हो रहा है इन कारणों से कि ध्यान आकर्षित करना है कहीं और, सच्चे, सही मुद्दों से ध्यान डॉयवर्ट करना है। लोगों को बरगलाना है, मूर्ख बनाने की प्रक्रिया चल रही है और वो कौन से मुद्दे हैं, जिनकी तरफ से ध्यान डॉयवर्ट करना है, मैं दो-तीन उदाहरण दे रहा हूं, ऐसे बहुत से उदाहरण हैं।
पहला कि कावेरी के विषय में, कल ही 24 घंटे पहले, आपको चेतावनी मिली उच्चत्तम न्यायालय से और आप असमर्थ सिद्ध हुए, जहाँ तक कर्नाटक के इंट्रस्ट का सवाल है। कल की बात है। ना आप समन्वय और संतुलन रख पाए, फैडरलिज्म के विषय में, कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच में और कर्नाटक के इंट्रस्ट का सीधे रुप से, हानिकारक रुप से उसका ध्यान रखा है, जो कल उच्चत्तम न्यायालय ने उसके विषय में एक आदेश भी किया है।
उससे ज्यादा गंभीर जो घड़ियाली आँसू बहाते हैं आप, बड़ी-बड़ी इमारतों और प्रतिमाओं का उद्घाटन करते हैं आप, लेकिन जो दाग लगा है आपके दामन में,वेमूला से लेकर, ऊना से लेकर, अलवर से लेकर अखिल भारतीय स्तर पर, उसे मिटा नहीं पाते हैं और उसका सबसे बड़ा प्रमाण था कि कुछ हफ्तों पहले आप असमर्थ हे अपना पक्ष सही रुप से रखने के लिए उच्चत्तम न्यायालय के समक्ष। जिस कारण से SC-ST Atrocity Act के अंतर्गत FIR दायर करने के विषय में उच्चत्तम न्यायालय ने कई ऐसे आदेश दिए जो आजतक कि भारत सरकार की नीति के विरुद्ध है और उससे ज्यादा असमर्थ हुए आप कल। एक तरफ तो माननीय प्रधानमंत्री जी कर्नाटक में उपदेश देते हैं, SC-ST के बारे में और आप पूरी तरह से असमर्थ हुए SC-ST के उन विषय के उन मामलों पर उच्चत्तम न्यायालय से अपना मत बदलने में या बदलवाने में। उच्चत्तम न्यायालय ने वो मत कल नहीं बदला है। तो आपने गलती की और उस गलती को दोहराया। ऐसे कई उदाहरण हैं,जहाँ से आप ध्यान डॉयवर्ट करना चाहते हैं।
एक तीसरा उदाहरण है कावेरी के अलावा, SC-ST के अलावा। आपके खुद के RBI जो सबसे एक शीर्षस्तरीय संस्था है, वहाँ के एक रिसर्चर का एक बहुत ही आंकड़ों से भरा हुआ रिसर्च पेपर आया है। अभी हफ्ते, 10 दिन, चार-पाँच दिन पहले। मैं quote कर रहा हूं, There is being significant deceleration in rural wages since 2014. ग्रामीण आय वेजिस में बहुत जबरदस्त कमी हुई है, 2014 से और आगे कहते हैं, वापस में quote कर रहा हूं, because of spell of high inflation growth in real wages has slipped into negative territory. Negative territory तो एक गंभीर आरोप होता है। क्योंकि आपको एक वास्तविक मिलने वाली आय तो हो सकती है 10 रुपए, 10 रुपए का मूल्य जो है, वो दोनों पर है, ये होती है negative territory और ये भी ध्यान आकर्षित या उसको डॉयवर्ट करने का तरीका है। जब आपने मनरेगा को आपने इतनी गालियाँ दी, मनरेगा के विषय में सौतेला व्यवहार किया। मनरेगा को कांग्रेस की स्कीम समझा, ये नहीं कि विश्व भर की सबसे ज्यादा, व्यापक, समाज कल्याण की स्कीम समझा, नहीं, कांग्रेस की स्कीम समझा। तो यही बड़ा गंभीर परिणाम होने वाला था, जो 2008 जैसे ग्लोबल स्लोडाउन में नहीं हुआ, ग्रामीण सेक्टर में हमारे देश में, जो 2010-11 में नहीं हुआ। लेकिन आज significant deceleration in rural wages.
अंतिम उदाहरण है कि पेट्रोल और डीजल के विषय में आपकी सरकार आने के बाद कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में गिर कर लगभग 66% to 67 % पहुँच गए हैं । ये तो हम सोच भी नहीं सकते, हम स्वप्न भी नहीं ले सकते। कोई भी देश विश्व का ये स्वप्न लेता है कि अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में दो तिहाई गिरावट आए, 67% और उसके साथ-साथ पेट्रोल और डीजल की 2014 की बात कर रहा हूं, सिर्फ उसके बाद के समय की। साथ-साथ वहाँ 67% गिरावट है और यहाँ पेट्रोल और डीजल कीमतें 110% ऊँचाई पर हैं। आज हम 4 साल से चिल्ला रहे हैं, रो-पीट रहे हैं, हल्ला कर रहे हैं, संसद के अंदर और बाहर कि कम से कम अब पेट्रोल-डीजल और हम तो कह रहे हैं कि रियल एस्टेट और एलकोहल को GST में डाल दीजिए। GST में तो हमें बहुत त्रुटियाँ मिली हैं, हम उसकी बहुत निंदा करते हैं कि आप 28प्रतिशत तक टैक्स कर सकते हैं और 18 प्रतिशत पीछे करते हैं, लेकिन 18 प्रतिशत भी जो आप का टैक्स लग रहा है पेट्रोल और डीजल, उससे तो बेहतर है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें 110 प्रतिशत बढ़ गई हैं, जबकि अंतर्राष्ट्रीय कीमतें दिन-प्रतिदन गिर गई हैं।
अब इसका क्या उत्तर है आपके पास? आप एकसाथ नहीं करना चाहते तो दो फेज में कर दो। कांग्रेस स्टेट थोड़े कर सकता है ये। आज आपने GST काउंसिल बनाई है, GST काउंसिल में सब स्टेटस हैं, अंततोगत्वा वहाँ बहुमत द्वारा निर्णय होता है। अब ये थोड़े ना है कि ये कांग्रेस स्टेट है, प्रणव झा और ये एक बीजेपी स्टेट है, इसने मना कर दिया तो वीटो कर दिया। वो तो सब लोग सहमति से लेते हैं ना निर्णय। तो आज आप ये कह रहे हैं कि हम केन्द्र सरकार हैं, GST काउंसिल हमारी है, लेकिन हम कांग्रेस रुल स्टेट के ऊपर डाल रहे हैं ये बात कि हम पेट्रोल नहीं कर सकते हैं। आपने उनकी कितनी बातें मानी हैं? आपने हर प्रदेश के वित्त मंत्रियों की कितनी बातें मानी हैं और कितनी बातों से आप असहमत रहे हैं? फिर भी कार्यांवित किया है ना आपने। हमारे तो आधे से ज्यादा प्रदेश कह रहे थे कि आप दिसंबर में कार्यांवित कीजिए। तो ये तो आप जानते हैं, बहकाने की चीजें हैं, लोग घास नहीं खाते हैं। आज कुछ भी हो, जब कांग्रेस ने इस मंच से, कांग्रेस का स्टेंड बता रहा हूं आपको, कि आप लागू कीजिए तीनों को GST में, तो कौन सा प्रदेश है, क्या फर्क पड़ने वाला है। ये कांग्रेस का स्टेंड है।
पाकिस्तान के ऑफिशियल ट्वीट से टिपू सुल्तान पर किए ट्वीट संबंधी एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि वहाँ से एक ट्वीट आता है और यहाँ से एक वक्तव्य से आता है, ये तो टेंडम वाला डांस हो रहा है और ये टेंडम वाला डांस मैं समझता हूं कि पाकिस्तान के हमारे बहुत निकट मित्र जो हैं, इतने दशकों से चुप रहे और टीपू सुल्तान के बारे में अचानक से उनको कैसे याद गया, ठीक कर्नाटक चुनाव के एक हफ्ता, 10 दिन पहले और उस याद आने के स्मृति के 30 सेंकड बाद। हमारी सत्तारुढ़ पार्टी की टिप्पणी भी पढ़ दी आपने, मैं समझता हूं, I rest my case, I leave it to the whole people of this country to judge for themselves. ये सस्ता है, ये सनसनीखेज है, ये शोभा नहीं देता है एक सत्तारुढ़ पार्टी को और जब एक सत्तारुढ़ पार्टी ये करती है तो मेरे शुरुआत वाले 3 F वापस हो जाते हैं- Fear, Frustration and Follies प्रमाणित हो जाते हैं, भय, बौखलाहट और गलतियाँ, दिन प्रतिदिन रात चौगुनी बढ़ रही हैं।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि उसकी बात थोड़े ना हो रही है, उनको मरे हुए 200 – 300 साल हो गए, पाकिस्तान को बने हुए आज 70साल हो गए हैं। 70 साल में जो चीज नहीं हुई, आप लोग ज्यादा जानते होंगे, आपकी संस्थापित स्मृति ज्यादा है, कभी हुआ हो, मुझे तो याद नहीं आता है।
एक अन्य प्रश्न पर कि समाजवादी पार्टी के प्रवीण निषाद ने जिन्ना की तुलना महात्मा गाँधी जी और नेहरु जी से की है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि जो कुछ भी ऐसा कोई करता है, किसी पार्टी का व्यक्ति है या पार्टी के बाहर अराजनैतिक व्यक्ति है, मैं बड़ा स्पष्ट कह दूं, मैं इस मंच से निंदा करता हूं, भर्त्सना करता हूं। जो आप उसका शब्द इस्तेमाल करना चाहें. किसी रुप से हमारे देश के वो आईकॉन नहीं हैं, ना माने जाते हैं और ना मानते हैं। लेकिन ये जो मुद्दा और कृत्रिम मुद्दा बनाया जा रहा है अलीगढ़ में, ये दो अलग चीजें हैं। आज कोई जय-जयकार नहीं करता है जिन्ना की, ना करने की आवश्यकता है। लेकिन ये बताईए मुझे कि ठीक चुनाव से 10 दिन पहले पुरानी 10 सों साल पहले एक तस्वीर किसी के यहाँ टंगी हुई है और कोई राजनैतिक दल उसके अंदर जाकर वहाँ तोड़ फोड़ करता है तो ये सीधा उद्देश्य नहीं है कि जानबूझ कर उत्तेजना फैलाए, प्रवोक करे, उसका एक मुद्दा बनाए। मैं अगर आज आपके आइडेंटिटी आपको याद नहीं दिलाता हूं, तो सबकुछ ठीक है। मैं अगर जानबूझ कर घूंसा मारकर कहता हूं तो ऊल्टा आपका विपरीत रिएक्शन होता है और वो विपरीत रिएक्शन निकालने के लिए ये सब चीजें की जा रही हैं। दो अलग-अलग मुद्दे हैं।