डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हमने आपको इस मंच से कई बार कहा है कि निजता पर वार, बना मोदी सरकार का एकमात्र हथियार। निजता, privacy पर वार इनका मुख्य हथियार बन गया है। ये आम लोगों के जीवन पर तांक-झांक करना, जासूसी करना, उस पर नियंत्रण रखना, आँख रखना, ये भाजपा का इकलौता उद्देश्य हो गया है। इसके कई उदाहरण पहले के हैं और आज और उदाहरण हम देने वाले हैं, पुराने कई उदाहरणों के बारे में याद दिलाने वाले हैं। आज के उदाहरण की रोचक बात ये है कि वो खुद जनता के पैसे का इस्तेमाल करके या दुरुपयोग करके जनता पर ही निरिक्षण, परिक्षण करना चाहते हैं और इसलिए हमने कहा कि George Orwell की 30 में लिखी गई 50 वर्ष पुरानी किताब ‘1984’, आज 1984 से भी 40 वर्ष बाद मोदी सरकार सिद्ध कर रही है, यानि ‘Big brother is watching you’, It will always watch you. Big brother syndrome ये Big Brother syndrome क्या है? अभी इसका रोचक प्रसंग आया है, आज कल में। एक टेंडर निकाला गया है Information and Broadcasting Ministry द्वारा – Social Media Communication Hub बनाना है, ये उसका उद्देश्य लिखा हुआ है, उसके कागजात आपको ई-मेल पर, 66 – 67 पेज का टेंडर है, पूरा आपको देंगे, उसमें जोScope of work लिखा है, मैं quote कर रहा हूं, Social media analytics software and tool used to create detailed profiles of people by collecting intimate personal details from our social media accounts and e-mails. ’ये जो है कॉट्रेक्टर को कहा गया है और उसका जो मुख्य Scope of work लिखा गया है, वो आपके लिए मैं पढ़ देता हूं कोटेशन में, आप अपने आप निर्णय कर लें। Scope of work – ‘a technology platform is needed to collect digital media chatter from all core Social Media Platforms which means Twitter, Face Book and WhatsApp etc. as well as digital platform like news, blogs and forums along with a proprietary Mobile Inside Platform in a single system providing real time insights, metrics and other valuable data. The platform will be deployed in the private data center and will need to integrate with the mobile platform database for a seamless view across all data platforms’.
Listening and responding capabilities – The platform is expected to not only listen to the standard digital channels listed below but also enable easy extension to integrate proprietary data sources like the mobile insights platform. The following need to be supported “FaceBook, Twitter, You Tube, Google+, Instagram, LinkedIn, Flickr, Tumbir, Pinterest, Play Store, e-M ail, News, Blogs, Forums, Complaint Websites.
ये जो following digital challenge restrict below हैं, उसमें लिस्टिड है, Facebook, You Tube, Twitter, Instagram, Google +, LinkedIn, Flickr, Tumblr, Pinterest, Playstore, E-mail, News, Blogs, Forums, Complaint Websites, अब मैं तकनीकी चीजों में नहीं जाना चाहता, लेकिन मूल बात क्या है – एक टेंडर बनाया गया 42 करोड़ का, कि हमको सॉफ्टवेयर दीजिए; कि हम सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर listen कर पाएं, consolidate कर पाएं,analyse कर पाएं, सुन पाएं और वो कौन से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं, जिनके 12-15 नाम मैंने अभी पढ़े हैं।
अब प्रश्न ये उठता है कि नंबर एक, इसमें कोई प्रावधान सावधानी बरतने का, सेफ गार्ड कौन सा है? अगर आपका उद्देश्य सुनना, consolidate करना है, तो आपने कौन सा प्रावधान रखा है, जिससे encrypted चीज decrypted हो जाए? अगर decrypted हो जाती है तो निजता कहाँ बची? ये प्राईवेट कॉन्ट्रेक्टर को कहा गया है कि ये आप करिए, ये टेंडर बनाते वक्त क्या आपने ध्यान दिया कि इतना व्यापक 9 जजों का निजता वाला निर्णय जो अभी आया है, कुछ ही महीनों पहले। आप जानते हैं कि इन मामलों में हमारी निजता कानूनी तौर पर, सैद्धांतिक तौर पर बरकार है। क्या आपने ध्यान दिया अनुच्छेद 21 का – संविधान का, जो जबसे संविधान बना, तबसे हैं? क्या आपने ध्यान दिया अनुच्छेद 19 का, आपको सब मानवाधिकार दिए हुए हैं उसमें? क्या आपने ध्यान दिया आईटी एक्ट का, उसके प्रावधना सेक्शन 3, सेक्शन 6, सेक्शन 9, कोई आदमी आपके डेटा पर हस्तक्षेप नहीं कर सकता। अब इस टेंडर जिसके पूरे 66 पृष्ठ मैंने देखे हैं और आपको जो दिए जाएंगे, उन्होंने पेज 40 पर लिखा है, मेटा डेटा भी मिलना चाहिए। तो मेटा डेटा भी मिलना चाहिए, वो एडिशनल चीज हुई, पर ये कहीं नहीं है कि जो मेटा डेटा मिलेगा आपको वो decrypt नहीं हो पाएगा। जब आप इतना समेटेंगे, इतना सामूहिक रुप से बटोरेंगे, तो ये decrypt होगा तो हमारी निजता कहाँ रही और इसमें तो सभी सोशल मीडिया लिस्टिड है, Facebook, You Tube, Twitter, Instagram, मैंने 12 प्लेटफार्म पढ़ दिए आपके लिए।
ये अत्यंत गंभीर चिंताजनक विषय है और ये इसलिए चिंताजनक ज्यादा है कि पिछले 4 वर्षों में हमने बार-बार इस सरकार, इस सत्तारुढ़ पार्टी की एक निरंतर नीति देखी है कि किसी रुप से आपके घर के अंदर घुस जाएं, आपके मन के अंदर घुस जाएं, आपके बदन के अंदर घुस जाएं, आपके सभी औजारों और यंत्रों, तंत्रों के अंदर घुस जाएं। इसके उदाहरण पहले भी हमने इसी मंच से दिए, मैं आपको सिर्फ याद दिला रहा हूं, संक्षेप में – आपको याद है एक नमो एप की शुरुआत की थी, मैंने ही प्रेस वार्ता की थी इस पर। नमो एप क्या था वो, कि नमो एप के नाम पर आप मुझे 22 बिंदुओं पर, 22 कसौटियों पर, 22 मापदंड पर मुझे अपने सूचना और तथ्य दीजिए। अब नमो एप के लिए आवश्यक नहीं कि 22 बिंदुओं पर आपको तथ्य देने की आवश्यकता हो। उसमें लिखा है, contact, video, friends, family location, उसी वक्त आपको याद है हमने बताया था आपको कि 13 लाख NCC कैडेट जो कि सिर्फ एक interaction था प्रधानमंत्री जी से, उसके लिए पीएम के ऑफिस ने उनका सबकुछ मांग लिया। आईडी क्या है, एड्रैस क्या है, ये जो अजीबो-गरीब जो अप्रोच है, आपको पता है कि पंजाब और उत्तर में एक चण्डीगढ़ के जर्नलिस्ट के विरुद्ध एफ.आई.आर. फाईल कर दी गई, क्योंकि उसने ये साबित कर दिया कि एक करोड़ आधार के डिटेल 10-15 रुपए में निकाल कर अगर 500 रुपए दे दो, वो तो सिर्फ एक स्टिंग करके प्रमाणित कर रहा था, असलियत में वो घूस नहीं खा रहा था। 500 रुपया, 100 रुपया लेकर, एक करोड़ डिटेल निकाल रहे हैं। उसके पीछे पूरी व्यापक जांच करना तो दूर, उसके खिलाफ एक एफ.आई.आर. दायर कर दी। आपको एक उदाहरण दिया था कि 4 मई, 2017 को, करीब एक साल पहले माननीय अटॉर्नी जनरल ने खुद ये स्वीकार किया कि आधार डेटा में भी breach हो सकता है और उन्होंने कहा कि जब breach नहीं होता सिर्फ इसलिए कि 13 फुट ऊँची और 5 फुट मोदी दिवार है, तो किसी ने मजाक किया कि दिवारों से अगर ये breach रुक जाते तो, आपत्ति क्या थी? हमारे पास और बहुत उदाहरण हैं, मैं आपको अभी नहीं दे रहा हूं। कैम्ब्रिज एनालिटिका का भी इदाहरण है जिसने हमारे अनुसार बीजेपी के लिए 2014 में लोकसभा में और झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा में पूरी तरह से कैंपेन किया था। 2018 में फरवरी 23 को यानि इसी वर्ष पंजाब नेशनल बैंक डेबिट – क्रेडिट कार्ड डिटेल 10,000 कस्टमर के लीक हुए थे, इत्यादि-इत्यादि।
इस संदर्भ में हमारे सीधे कुछ प्रश्न है, माननीय सरकार से, प्रधानमंत्री जी से, सत्तारुढ़ बीजेपी से।
पहला, क्यों ये Social Media Communication Hub के नाम से टेंडर निकाला है? क्यों इसमें एक सरल वाक्य नहीं है, कि कुछ भी हो ये हो या वो हो, किसी रुप से encrypted डेटा के अलावा कुछ नहीं होगा। यानि डेटा encrypted नहीं हो सकता। डेटा encrypted रहेगा, uncrypted नहीं रहेगा। डेटा decryptनहीं हो सकता। जैसा encrypted है, वैसा ही रहेगा।
दूसरा, क्या स्पष्ट सेफ गार्ड समिति ने, कमीटी ने जिसने भी ये टेंडर बनाया है, क्या लिखें, क्या देखें, क्या प्रस्तावित किए, क्या लिखे, जरा ये बताएं देश को, ये मैं सीधा प्रश्न पूछ रहा हूं?
तीसरा, क्या इस विषय में टेंडर फाईनलाईज करने से पहले कोई भी विचार, विमर्श आम आवाम से, स्टेक होल्डर से, जनता जनार्दन से किसी रुप से किया गया?टेंडर किसी बाहरी सरकारी अफ्सर ने बना दिया। आपने किसी रुप से आदान-प्रदान मतों का, सिविल सोसाईटी के साथ किया की नहीं?
चौथा, पृष्ठ 30 में उस टेंडर की लिखाई, शब्द, conversation जो भी हमको Archive किया जाए, तो ये Archive मैंटेंन करने के क्या उद्देश्य हैं, ये जरुरत क्यों हैं, ये आवश्यक क्यों हैं, देश को बताएं?
पाँचवा, इस चीज के लिए 42 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रेक्ट दिया जा रहा है, जिस कॉन्ट्रेक्ट से टैक्स पेयर जनता जनार्दन के पैसे के द्वारा, जनता जनार्दन की निजता पर प्रहार होने वाला है। आज अगर आपको करना भी है तो आप ही ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार एक समिति बनाई है, श्रीकृष्णा समिति, कम से कम अभी चल रही है, निकट भविष्य में आशा-विश्वास है कि निकट भविष्य में उसकी रिपोर्ट आएगी और उसके आधार पर आपको डेटा प्रोटेक्शन एक्ट बनाना है। जब आप इतना रुक गए हैं तो कुछ और वक्त नहीं रुक सकते थे आप? क्यों जल्दी थी, इस एक्ट, इस समिति की रिपोर्ट के लिए आप क्यों नहीं रुक पाए?
ये इसलिए है क्योंकि बार-बार आपका उद्देश्य ये है कि निजता पर परोक्ष रुप से, चालाक रुप से किस प्रकार प्रहार किया जाए और इसलिए देश जवाबदेही मांगता है।
एक और मुद्दे पर मैं बात करना चाहता हूं कि आज आपने बार-बार देखा है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें कहाँ पहुंच गई है, वो अलग कहानी है कि इतनी ऊँचाईयाँ छूने के बाद, आकाश छूने के बाद आपको एक पैसे की छूट दी गई और आज 5, 6 पैसे की रियायत फिर से दी गई। हम बहुत शुक्रगुजार हैं, हम नतमस्तक हैं, हम पैरों पर गिर पड़े हैं आभार प्रकट करने के लिए कि कम से कम 6 पैसे की छूट दी गई। हमारे दादा जी बताया करते थे कि उस 6 पैसे में कितना मिलता था उस समय में। आज हम आपको निमंत्रण देते हैं कि 6 पैसे में जाकर जमाना लूट लीजिए, लेकिन जो LPG की बात है, ये जो 6 पैसे की रियायत दी गई है आपको, उसके साथ-साथ जो LPG की कीमत ने ऊँचाईयाँ छू ली है, वो आपको नहीं बताया जा रहा है कि राईट हैंड से मैं आपको एक बूंद दूंगा और लेफ्ट हैंड से मैं आपका पूरा सागर खींच लूंगा। वो सागर क्या है- आज 20 करोड़ लगभग प्रति माह कस्टमर गैस सिलेंडर खरीदते हैं। उसको वो सब्सिडाईज गैस सिलेंडर को ढाई रुपए या 2.34 पैसे से बढ़ाया गया है और नोन- सब्सिडाईज को 48 रुपए से। यानि 50 में 2 कम। उसकी कुल गिनती क्या है, लेकिन 2 रुपए 34 पैसा एक सब्सिडाईज गैस सिलेंडर और जो नॉन- सब्सिडाईज के लिए 48 रुपया। आज होटल और रेस्तरां में जहाँ सबसे ज्यादा प्रयोग होता है उसका। इस वृद्धि का परिणाम है कि 77 रुपए द्वारा रेस्तरां, होटल में गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ गई है। अब माननीय मोदी सरकार के साढ़े 3 वर्ष का रिकोर्ड देंखें तो कुल मिलाकर साढ़े तीन वर्षों में 81 रुपए + पर सिलेंडर बढ़ा दिया है। मेरे पास आंकड़े हैं, 412 से 493 रुपए, लेकिन जो वृद्धि है वो 81 रुपए, 81.55, आज गैस की कीमतें, मैं सिर्फ तेल की बात नहीं कर रहा हूं, जो एसोसियेट गैस निकलती है तेल के साथ, उसकी कीमत 30 प्रतिशत गिरी हुई है अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, पेट्रोल-डीजल का भी यही हाल है, वहाँ तो भी गिरी हुई है। ये 30 प्रतिशत गिरी हुई है और हमारे समय में ये कीमतें ज्यादा थीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, इसलिए हम सब्सिडी देते थे 449 रुपए की, 449 पर सिलेंडर और इसका तुक मैं समझता नहीं हूं कि एक तरफ 5 पैसा, 6 पैसा, दूसरी तरफ ढाई रुपया और 48 रुपए की वृद्धि, तीसरी तरफ 3 वर्ष में 81 रुपए की वृद्धि गैस सिलेंडर पर, चौथी तरफ हमारी सब्सिडी 450 रुपए की गायब।
तो आप निर्णय कर लें अपने आप कि ये सरकार जो है कैसी है? एक पैसे की भाजपाई सरकार है, मुनाफाखोरी में व्यस्त है और आम आदमी त्रस्त है।
एक प्रश्न पर कि केन्द्रीय कृषि मंत्री का बयान आया है कि देश के किसान संतुष्ट हैं और जो विरोध कर रहे हैं, वो षडयंत्र कर रहे हैं, डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं समझता हूं कि जो सरकार पूरी तरह से सहानुभूति शब्द का अर्थ भूल गई है, जो सरकार क्रूरता से प्रहार एक के बाद एक कर रही है कृषकों पर, जिस सरकार के पास ना कान है, ना आँख है, कृषकों की हालत देखने की तो यही ही नहीं, आप समझते हैं कि मंदसौर से लेकर सभी बड़ी-बड़ी मंडियों पर पूरे अखिल भारतीय स्तर पर किसान बंद अगर किया गया है, अगर आप समझते हैं कि लोग अपना सारा उपजाऊ सामान जमीन पर फैंकने के लिए तैयार है, अगर लोग कह रहे हैं कि हमें एमएसपी नहीं दे रहे हैं आप, हमारी जो पैदा करने की कीमत है, वो ज्यादा है, नष्ट करने से, तो क्या वो कांग्रेस कर रही है, वो षडयंत्र कर रहे हैं आप और हम? ये तो तबसे से शुरु हुआ जब आपने अपने पृष्ठ 44 में एमएसपी की बात की और उसके डेढ़ महीने के बाद उच्चतम न्यायालय में जून, 2014 कहा कि हम नहीं करेंगे, नहीं कर सकते, ना करने वाले हैं। 4 वर्ष रुके हैं आप, एक फसल बची है जब, डेढ़ फसल बची है जब, तब आप कह रहे हैं कि हम सब करेंगे। और वो सबकुछ कहने के बाद हमने प्रकाशित किया है इस मंच में, जो एमएसपी दी है आपने, 2018 में, वो एमएसपी जो होनी चाहिए उससे 50 प्रतिशत है। क्योंकि आपने कीमत की परिभाषा दी, वो गलत है। तो इस प्रकार के षडयंत्र सरकार कर रही है, सरकार बहुत बड़ा षडयंत्र कर रही है, किसान के विरुद्ध, माननीय प्रधानमंत्री षडयंत्र कर रहे हैं ये कहकर कि हम आपकी इंकम 2022 तक डबल कर देंगे। किसी ने कहा कि इस रेट पर 1.9 या 2 प्रतिशत के प्रतिवर्ष के रेट पर 2052 में भी नहीं कर पाओगे आप।
एक अन्य प्रश्न पर कि उपचुनाव के बाद क्षेत्रिय दल कह रहे हैं कि चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस उन्हें भी गठबंधन में सहयोगी माना जाए, डॉ. सिंघवी ने कहा कि one size fit all कहीं अप्रोच नहीं होती। एक जहाँ सब जगह फैलाने की कोई अप्रोच नहीं होती है। ये क्षेत्रिय रुप से सोच-समझ कर, स्ट्रैटिजिक रुप से अलांयस सीधा एम्बिशन होता है। आप आश्वस्त रहें, उद्देश्य एक ही रहेगा। उद्देश्य है कि बीजेपी विरुद्ध वोट का बंटवारा ना हो या न्यूनत हो। उसके लिए अलग-अलग प्रदेश में अलग-अलग नीति होगी और किस प्रदेश में किसके साथ अंडरस्टेंडिग होगी, उसके लिए आपको इंतजार करना होगा।
एक अन्य प्रश्न पर कि भाजपा की उपचुनाव में हार पर सुब्रहमण्यम स्वामी ने कहा है कि ये राम मंदिर ना बनने और ना ही कालाधन वापस आने की वजह से हुआ है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये मत, विचार सबके अलग-अलग होते हैं, लेकिन जो आपने मुद्दा उठाया है, उसके ज्यादा व्यापक आयाम हैं, आप सुब्रहमण्यम स्वामी को छोड़ दीजिए, वो तो पता नहीं क्या-क्या बोलते हैं, बीजेपी में हैं या नहीं हैं, पता नहीं किसमें हैं। लेकिन जो बीजेपी के साथ हैं उनकी बात करिए, अभी आपने पिछले 3 दिनों में सुना की जेडीयू क्या कह रहा है, आपने सुना कि शिवसेना क्या कह रही है, आपने सुना कि पूर्व सांसद बीजेपी के क्या कह रहे हैं, मैं नाम नहीं लूंगा, आपने सुना कि आकाली दल कुछ दबी आवाज में क्या कह रही है, आपने देखा है कि टी.डी.पी ने क्या कर दिया और क्या कह रहे हैं? अब एनडीए आप बोलते हैं तो अजीब लगता है सुनने में, एनडीए मतलब बीजेपी और एनडीडीपी है क्या सिर्फ?
एक अन्य प्रश्न पर कि कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार और डीके सुरेश के घर पर छापे मारे गए हैं, क्या ये प्रतिशोध की भावना से किया जा रहा है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि इसमें हमें कोई आश्चर्य नहीं है। जैसे-जैसे विपक्ष की मजबूती बढ़ेगी, वैसे-वैसे बीजेपी के पैसे के नंगे नाच से राजनीति को प्रभावित करने का प्रयास दिखेगा। कांग्रेस इसका विरोध करेगी। जिस तरह से तोड़-फोड़ की राजनीति नहीं चलने दी गई कर्नाटक में, उससे भाजपा बिल्कुल बौखला गई है। उन्होंने यही प्रयास चुनाव के पहले भी किए थे, और अब चुनाव के बाद भी वहीं दोहराया जा रहा है। इस बार प्रय़त्न कर्नाटक के बाहर से हो रहे हैं, क्योंकि कर्नाटक में सरकार उनकी बनी नहीं। तो मैं नहीं समझता कि इसमें कोई आश्चर्य करने वाली बात नहीं है, इससे तो उनका चरित्र सामने आ रहा है और जिस प्रकार से आपने जो नाम लिए हैं, उन्होंने खड़े होकर, मजबूती से बीजेपी को दिखाया और बताया कि उनके जो साम-दाम-दंड-भेद के प्रयत्न थे, वो कितने विफल हुए हैं, वो अच्छा तमाचा है उनके चेहरे पर।