ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE
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COMMUNICATION DEPARTMENT
डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि, ये दुर्भाग्य की बात है कि सैनिकों की शहादत पर राजनीतिक रोटियाँ पकाने की बीजेपी की आदत है, बीजेपी के डीएनए में ये है। मोदी सरकार का सुरक्षा और सुरक्षा कर्मियों के विषय में अगर सही नारा समझा जाए तो वो है, कुर्बानी सैनिकों की हो और महिमामंडन और प्रशंसा बीजेपी की हो।
इस विषय में हम दुख से ये प्रसंग उठा रहे हैं और प्रश्न-उत्तर के जरिए सीधा सवाल कर रहे हैं, आपके जरिए, सरकार से जवाबदेही मांग रहे हैं। मूल प्रश्न है, क्या मोदी सरकार डेढ़ लाख जवानों की सर्विस काट रही है? क्या भारतीय सेना में डेढ़ लाख की कटौती कर रही है? ये भी मैंने प्रश्न पूछा है। इसके बारे में समाचार, विवरण, डिस्कशन कई दिनों से चल रहा है। हमारा मानना है कि इस सरकार की चुप्पी अपनी एक कहानी सुनाती है। इसलिए हम सीधा आपके जरिए ये पूछ रहे हैं कि डेढ़ लाख, इसका हमें उत्तर चाहिए, तुरंत चाहिए, देश को चाहिए, हमारी सेना को चाहिए, हमारे जवानों को चाहिए?
दूसरा प्रश्न, क्या ये इसलिए किया जा रहा है कि पाँच या सात हजार करोड़ इस तरह से बचाकर मॉर्डनाईजेशन के लिए या मेंटेनेंस के लिए, इक्विपमेंट की मेंटेनेंस के लिए इस्तेमाल करेंगे? लोगों की सर्विस काट कर इक्विपमेंट की मेंटेनेंस के लिए इस्तेमाल करेंगे?
तीसरा, क्या ये किसी रुप से सेना बल्कि हमारे तीनों विंग की सहमति, समझ, उनके पार्टिसिपेशन, उनसे वार्तालाप करके लिया जा रहा है या इस देश के एक डिक्टेटर का यह निर्णय है?
चौथा, क्या ये बहुत ही विकट और अजीब विंडबना नहीं है कि अपने राजनीतिक जुमले और झूठे वायदे एक तरफ। दो करोड़ रोजगार गढ्ढे में, डिमोनेटाईजेशन से लाखों रोजगार नष्ट दूसरे गढ्ढे में और उसके ऊपर आप हमारे सुरक्षा कर्मियों की डेढ़ लाख की सीमा तक की कटौती कर रहे हैं? क्या ये सबसे बड़ी हमारे देश की विडंबना, दुखद प्रसंग नहीं है?
पाँचवा, क्या ये सही नहीं है कि लगभग 5,000 करोड़ पिछले साढ़े चार साल में, अभी पाँच साल पूरे नहीं हुए हैं, मैं दोहरा रहा हूं, माननीय प्रधानमंत्री जी आपने 5,000 करोड़ पब्लिसिटी में खर्च किया है? यहाँ 5,000 करोड़ बचा रहे हैं, इन लोगों की सर्विस काट कर के। क्या ये सही नहीं है कि फिटनेस वीडियो पर 35 लाख खर्चा हुआ है? ये मैं महीने के आंकड़े दे रहा हूं, क्या ये सही नहीं है कि माननीय प्रधानमंत्री जी के पिक्चर और फोटोग्राफ अपडेट करने के लिए 60 करोड़ हर महीने खर्च हुए हैं? 1,100 करोड़ बीजेपी हेडक्वार्टर में और 2,000 करोड़ विदेश यात्रा में खर्च हुए हैं।
2,000 करोड़ विदेश यात्रा, 5,000 करोड़ पब्लिसिटी, 1,100 करोड़ बीजेपी हेडक्वार्टर पर खर्च कर दिए। दूसरी तरफ आपको क्या एक ही तरीका मिला ये पैसे बचाने का? आप यहाँ पर 11 लाख करोड़, मैं दोहरा रहा हूं, ये करोड़ नहीं हैं, ये 11 लाख करोड़ हैं, पूरी तरह से अनडिजर्व फायदा ले रहे हैं, पेट्रोल और डीजल पर टैक्स की मार से। ये आपका नहीं है, बाहर से आ रहा है। रुपया और गिर रहा है, पेट्रोल-डीजल की कीमत और बढ़ रही है, उस बढ़ती कीमत पर आपका टैक्स वैसे ही बढ़ रहा है, 11 लाख करोड़ हो गया है। आप उसमें 5 हजार, 7 हजार करोड़ रुपए हमारी आर्मी के लिए नहीं दे सकते, उनकी आपको सर्विस लेनी है और आपने अलग-अलग एस्टिमेट के अनुसार 41,000, 50,000 या 35,000 करोड़ रुपए जो ओवर प्राइसिंग की है राफेल में, जिसकी आज तक आप कीमत नहीं बता रहे हैं। कभी आप कहते हैं x % कम है, कभी कहते Y % कम है, लेकिन कभी कीमत नहीं बताते। लगभग 40, 50 या 30-35 हजार करोड़ आपने ज्यादा खर्चा वहाँ किया है। लेकिन इन सबको एक तरफ दरकिनार करके आप हमारी सेना, सुरक्षा कर्मियों के पेट पर लात मार रहे हैं। इसका आपके पास कोई जवाब नहीं है। ये बात हम आज एक हफ्ता लगभग रुककर कर रहे हैं, क्योंकि हम आशा और विश्वास कर रहे थे कि कोई आवाज उठाएगा। ये पब्लिक डोमेन में आपके माध्यम से कुछ समय से चल रही है। ये बहुत विशेष, बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है, दिन प्रतिदिन आपको राष्ट्रवाद पर, सुरक्षा पर लेक्चर मिलते हैं। जम्मू और कश्मीर में आपको पता है कि 2014 के बाद आज तक 410 जवान शहीद कर दिए गए हैं, यानि साढ़े चार साल में। 2015 के बाद नक्सल के विषय में 243 मृत्यु हुई हैं और इन जवानों को आप उनके इस कर्तव्य पालन को, उनके त्याग को भुलाकर इस प्रकार की हरकत कर रहे हैं, जिसकी कोई जवाबदेही नहीं है।
मैं आपका ध्यान संसदीय स्टेंडिग कमेटी की रिपोर्ट की तरफ आकर्षित करना चाहता हूं। जो अभी हाल में 2018 में बहुत स्ट्रोंग रिपोर्ट लिखी है, जिसमें वाईस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, लेफ्टिनेंट जनरल सारथ ने बड़ा स्पष्ट रुप से लिखित में दिया था, उसके बाद वो सेवा निवृत हो गए, मई, 2018 में कि आज केवल 8 प्रतिशत हमारा इक्विपमेंट स्टेट ऑफ दि आर्ट है, 68 प्रतिशत पुराना है, इस्तेमाल होने में पूरी तरह से टिप-टॉप नहीं है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण स्टैटिक्स है, जीडीपी का, अगर प्रतिशत लें तो सबसे न्यूनतम इस सरकार का रहा है, 1962 से लेकर आज तक। ये सब उस रिपोर्ट में लिखा है, उनके सबमिशन में लिखा है।
कथनी और करनी में जो इतना बड़ा आसमान का फर्क है, वो साफ दिखता है। इस प्रकार के झूठे जुमले एक तरफ, और ये सच्चाई है आंकड़ो की।
एक प्रश्न पर कि जो आंकड़े बताए हैं क्या वो पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी का आईडिया नहीं था, इसके उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं बिल्कुल नहीं मान रहा हूँ आपके प्रश्न का अभिप्राय, लेकिन किसी भी ब्यूरोक्रेसी ने, किसी भी सिस्टम ने प्रस्तावित कुछ भी किया है मूल मुद्दा है, क्या हमने किसी रुप से इसको कार्यान्वित किया? आज जो प्रश्न आपसे पूछ रहे हैं, नीतिगत रुप से निर्णय किया गया है कि नहीं, दो शब्दों का बड़ा सरल answer उत्तर आ सकता है। क्यों नहीं आ रहा है? ये बात जो मैंने आज पूछी है नई नहीं है। हमने भी इसको सोच-समझ कर, कुछ रुक कर पूछा है। कोई जवाब नहीं आया। आप लोगों ने इसको एक प्रकार से परोक्ष और सीधे रुप से प्रकाशित किया, अलग-अलग और विभिन्न भागों में। तो ये नीतिगत बात हो रही है, हमने तो कार्यान्वित कभी भी नहीं की, ऐसी कोई चीज। मैं प्रस्ताव की बात नहीं कर रहा हूँ।
अमित शाह जी के द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयान से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं समझता हूँ कि ऐसे वक्तव्य अपना उत्तर अपने अंदर निहित रखते हैं। मैं तो चाहूँगा कि ये बार-बार दोहराए अपने आप, जो आपने बोला, क्या अहंकार की चरम सीमा, सीमा नहीं चरम सीमा के भी पार नहीं है! अंतरिक्ष पहुँच गया है अहंकार। हम्प्टी डम्प्टी तो एक छोटी सी दीवार पर बैठा था। उसको थोड़ा सा अहंकार हुआ, कितनी जोर से गिरा? और यहाँ हमारे साक्षर हम्पटी डम्पटी अंतरिक्ष के बाहर पहुँच गए हैं। दूसरा Humpty Dumpty had a bad fall के अलावा इससे क्या लगता है कि अविश्वसनीयता है, insensitivity हैं, थिक स्किन पना है, आवाम की तरफ। आप कुछ भी कर लो, हम तो चलाएंगे सरकार, हम तो रहेंगे हमेशा। हम अजर, अमर और अजेय हैं।
विनाशकाले विपरीत बुद्धि इसी को कहा जाता है। इस प्रकार का अहंकार जब आता है तो आप समझ लीजिए कि विनाश निकट भविष्य में सामने खड़ा है और मुझे इसमे कोई संदेह नहीं है कि फॉल भी बड़ी होगी, चोट भी ज्यादा लगेगी और विनाशकाले विपरीत बुद्धि 100 प्रतिशत प्रमाणित हो गई है।
चीन की तरफ से भारतीय सीमा पार करके घुसपैठ की खबरों से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये तो आपको उनसे पूछना चाहिए, जिसको मैं सुनकर अचंभित हो गया था कि कोई मानसरोवर जाता है तो वो कहते हैं कि हम चीनियों के साथ बैठकर वार्तालाप कर रहे हैं और मित्रता कर रहे हैं। ये बिल्कुल महत्वपूर्ण प्रश्न है आपका उनसे भी पूछिए।
नम्बर दो कि उनके अनुसार पूरा नियंत्रण है, सबकुछ कंट्रोल में है, कोई इंसीडेंट ही नहीं होता है। ये राष्ट्र सुरक्षा, आज जो मेरा मुद्दा है उससे संबंधित है। आपसे शेयर नहीं करते। आप बड़ी मुश्किल से कुछ तथ्य प्रकाशित करते हैं तो उनको झुठलाया जाता है और उत्तर भी इस प्रकार से नहीं आता ये कम से कम हमने प्रकाशित देखा है, करीब-करीब ऐसी 20-25 दुर्घटनाएँ, इंसीडेंट्स हो चुके हैं पिछले महीनों में। सिर्फ चीन की बात कर रहा हूँ, पाकिस्तान तो अलग है। उसके बारे में आप लोगों को कोई सूचना दी गई, कोई शेयरिंग हुई, कुछ समझाया किसी ने। प्रेस ब्रीफिंग बड़ी जल्दी लेते हैं कि हम लोग मान सरोवर गए, उसके लिए हम चीनियों से मिले। लेकिन ये नहीं बताते कि चीनी आपके देश में क्या कर रहे हैं? और ये सीधा संबंध रखता है, राष्ट्रवाद के लेक्चर से, डेढ़ लाख हमारी सेना को कम करने से, 1.68 प्रतिशत बजट डिफेंस का रखने से, जीडीपी के रेशो में। lowest since 1962 by any Government, ये आपका प्रश्न इन सब मुद्दों से बहुत अहमियत रखता है लेकिन मैं आपको आश्वासन दिलाता हूँ, उत्तर नहीं मिलने वाला है आपको।
कपिल सिब्बल द्वारा दिए बयान से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये आदेश से मैं पूरी तरह से, उसके डिटेल से अवगत नहीं हूँ लेकिन मैं बड़ा स्पष्ट कर रहा हूँ कि अगर ये आदेश है, आदेश का मतलब पार्टी का स्टैंड है, पार्टी का स्टैंड अगर है, पार्टी के हम सब सोल्जर्स हैं और हम निश्चित रुप से कटिबद्ध हैं, पार्टी के स्टैंड का निर्वाह करने के लिए। ये पार्टी का स्टैंड एग्जैक्टली क्या है, मैं आपके शब्दों को नहीं मान रहा हूँ लेकिन अगर इस पर कोई स्टैंड है और मैं नहीं समझता इस वक्त कि बहुत आतुर है, जिन व्यक्तियों का नाम लिया आपने, दसों केस फाइल करने के बाद, दसों विभिन्न व्यक्तियों के विरुद्ध वो अपना कोई केस ऑफर करने आने वाले हैं और न मैं समझता हूँ कि हम लोग बहुत आतुर हैं उनके केसज को स्वीकार करने के लिए।
एससी/एसटी एक्ट से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि अब ये किसी हाईकोर्ट, उच्च न्यायालय ने कोई निर्णय लिया है, इस पर मैं टिप्पणी कैसे कर सकता हूँ? ये किसी एक अमुक वारदात के लिए होता है, उसके बारे में एक न एक पक्ष उसका अपील कर सकता है, जो असंतुष्ट है उससे। मैं इस पर कोई नीतिगत बात से टिप्पणी नहीं कर सकता। इतना मैं कह सकता हूँ कि जो संसद में हुआ, हमने उसका समर्थन किया था, वो आपको सामने है। अब उसके बाद जब कानून बन जाएगा तो कानून उसके बाद इंटरप्रेट करने का हक न्यायपालिका को होता है और देश भर में अलग-अलग केसेज होते हैं अमुक व्यक्ति के। उस अमुक व्यक्ति विशेष को लेकर कोई केरल हाई कोर्ट में जाए या फिर कोई इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जाए उसके अलग-अलग निर्णय होते हैं उस पर हमें टिप्पणी करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
केन्द्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल द्वारा दिए बयान से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि अब देखिए, जब इतने बड़े-बड़े हाई वैल्यू ऐसेट्स, नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स बन गए हैं और विदेश घूम रहे हैं तो ऐसे ही उत्तर मिलेंगे हमें मंत्रिमंडल से, वित्त मंत्री से। अगर किसी पूर्व गवर्नर आरबीआई के वक्तव्य को विकृत करना हो और सीखना हो कि कैसे विकृत किया जाता है वक्तव्य तो आप बीजेपी से सीखिए। सबसे रोचक बात तो और है अगर उन्हीं के वक्तव्य को आप ले लें जो मैं नहीं मानता हूँ बीजेपी के वक्तव्य को। तो जितना आंकड़ा उन्होंने उस पार्लियामेंटरी स्टेंडिग कमेटी के समक्ष दिए गए बयान के आधार पर हमारे ऊपर आरोप लगाया है, उससे चार गुना ज्यादा उसके बाद इनके कार्यकाल में चार वर्ष में हुआ है। तो जो अंग्रेजी में कहावत है What is sauce for the goose is sauce for the gander. तो जो मेरे पर लागू होता है अपने पर तो लागू करिए। उसका उत्तर दे दीजिए, मैं आपको इसका उत्तर दे दूँगा।
राफेल पर एयरफोर्स चीफ के बयान पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं किसी रुप से इस निमंत्रण को नहीं मानने वाला हूं कि मैं एक राजनीतिक मंच से, राजनीतिक वार्तालाप में लगूं, हमारे सेना प्रमुख या एयर फोर्स प्रमुख, या नेवी प्रमुख के साथ। दूसरा, मैं इसकी बड़े कड़े शब्दों में भर्त्सना करता हूं, निंदा करता हूं इस नीति की, कि 56 इंच की छाती का दावा करने वाला व्यक्ति किसी के पीछे, किसी और को आगे रख कर स्पष्टीकरण दे। ये हमारा एक आरोप, एक वर्ष से चल रहा है। आपका दो लाईन का उत्तर पर्याप्त होता, जिसको आप एक वर्ष से छुपा रहे हैं। उसका उत्तर और लोगों को सामने रखकर, प्रॉक्सी बनाकर, पीछे खुद लुके-छिपे तरीके से उत्तर नहीं आने वाला है। तीसरा हमने आज तक नहीं कहा, आपके समक्ष 10 बार कहा कि हमें राफेल एयरक्राफ्ट से कोई मतलब नहीं, हमने कभी नहीं कहा कि उसकी क्वालिटी इन्फीरियर है, हमने कभी ये नहीं कहा कि वो एयरक्राफ्ट खराब है। पहले जान-बूझ कर हमारे स्टेंड को विकृत करो और उसके बाद हम पर अटैक करो। नंबर चार, जो हमने प्रश्न पूछा, उसका उत्तर ये कैसे सकता है कि सरकार के अनुसार 9 प्रतिशत या 20 प्रतिशत सस्ती है। चलिए मान लीजिए आप सही कह रहे हैं, तो 9 प्रतिशत सस्ती किस कीमत से है, किस मापदंड से है, किस आंकड़े से है? 20 प्रतिशत सस्ती किस मापदंड, किस आंकड़े से है? ये तो कोई किंडर गार्डन का विद्यार्थी भी जानता है कि जब आप ऐसे आंकड़े फैंकते हैं कि 9 प्रतिशत सस्ता, 20 प्रतिशत सस्ता, तो किससे 100 रुपए से, 1,000 रुपए से, 1 अरब रुपए से। ये उत्तर आपको कभी नहीं मिलेगा, मैं आपको आश्वासन वापस दे रहा हूं। हमारे मूल मुद्दों का उत्तर कभी नहीं मिलेगा, आपको इस प्रकार का प्रॉक्सी वार फेयर मिलेगा। आपको उन मुद्दों का उत्तर नहीं मिलेगा, जो हमने एक वर्ष से सैंकड़ों बार पूछे हैं आपसे कि ये मेक इन इंडिया को क्या हुआ इस कॉन्ट्रेक्ट के लिए? किस नीति के अंतर्गत इस कॉन्ट्रेक्ट में मेक इन इंडिया कैंसिल हुआ? किस नीति के अंतर्गत एक ऐसी एंटिटी को ढूंढा गया, दुनियाभर, विश्वभर में एक चिराग लेकर ढूंढने के बाद आपको वही मिले, जो बैंकरप्सी के किनारे पर खड़े हुए थे। ऐसे कॉन्ट्रेक्ट के विषय में जिसका मूल्य 30,000 करोड़ ऑफसेट में था सीधा और लाईफ साईकिल मेंटेनेंस में लगभग 50 साल की लाईफ साईकिल में एक लाख करोड़। इन सबका या तो आपको निरुत्तर मिलेगा या उत्तर नहीं मिलेगा, साइलेंस मिलेगा या और प्रश्न मिलेंगे।
एक प्रश्न पर कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी द्वारा दुर्गा पूजा और मोहरम से संबंधित वक्तव्य पर क्या कहेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये प्रश्न एक प्रादेशिक सरकार का, एक निर्णय है, इसमें मैं क्या उत्तर दूं। आपको प्रदेश सरकार से पूछना चाहिए। अगर किसी को इससे आपत्ति है तो वहाँ पर प्रेजेंटेशन भी कर सकते हैं, कोर्ट भी जा सकते हैं। लेकिन नीतिगत अगर कोई निर्णय लिया है प्रदेश सरकार ने, तो हमें इस पर तुरंत इस मंच से टिप्पणी करने की जरुरत नहीं है, वहाँ अगर जरुर तथ्य होंगे तो देखा जाएगा।
Sd/-
(Vineet Punia)
Secretary
Communication Deptt.
AICC