कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए

ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE

24, AKBAR ROAD, NEW DELHI

COMMUNICATION DEPARTMEN

 Highlights of the Press Briefing 24 August 2018

डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि माँ गंगा के साथ मोदी जी का रवैया, मोदी सरकार का रवैया बिल्कुल सही नहीं है। ये ऐसे शब्द हैं जो न्यूनतम स्तर पर मैं इस्तेमाल कर रहा हूं।  चुनाव प्रचार में गंगा की बदहाली पर इतने सारे घड़ियाली आंसू बहाए गए और वही घडियाली आंसू बहाने वाले मोदी जी ने चुनाव के तुरंत बाद माँ गंगा को भुला दिया है। क्या माँ गंगा सिर्फ एक चुनावी जुमला था? क्या मां गंगा ने उनको सिर्फ वाराणसी चुनाव लड़ने के लिए बुलाया था? ये प्रश्न उठते हैं, सिर्फ कांग्रेस द्वारा नहीं, कांग्रेस तो निश्चित रुप से उठा ही रही है, लेकिन औपचारिक, ऑब्जेक्टिव, निष्पक्ष आंकड़ों के आधार पर। आपको याद है कि गंगा का नाम लेकर कितनी बार चुनावी हलकों में 2013 में, 2014 की शुरुआत में, मां गंगा को राजनीतिक रुप से भुनाया गया था और बाद में इसको नाम दिया गया था, ‘नमामि गंगे प्रोजेक्ट’। आज ये एक बहुत बड़ी विडंबना है, विचित्र भी है और विकृत भी है कि RTI query  ने ये बताया है कि प्रदूषण का स्तर आज गंगा में 2014 से कहीं ज्यादा है। एक सरल सत्य लेकिन कठोर सत्य। अब मैं आपको 4-5 उदाहरण देना चाहता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री जी इतने सक्षम हैं, इतने प्रभावशाली भाषण देने में, उन्होंने क्या कहा 2013 से लेकर आज तक और ये महत्वपूर्ण हैं क्योंकि घडियाली आंसू हों, आडंबर हो, दोगुली आवाजे हों, डबल फेस हो, ये सब महत्व रखते हैं, क्योंकि हमारी संस्थापित स्मृति के लिए ये रिवाईंड करना, ये फ्लैशबैक करना उतना ही आवश्यक है।

 

2013, दिसंबर 20 को, जब मोदी जी घोषित हो चुके थे, प्रधानमंत्री पद के लिए एक व्यक्ति की हैसियत से उन्होंने कहा था “People want answers from those who misled the nation in the name of Ganga. Those who cannot care for the Ganga cannot care for the nation! ये हिंदी में भी कहा था, अंग्रेजी में भी कहा था। मैं आपको एक्जेक्ट शब्द पढ़ रहा हूं-  Condition of Ganga is pitiable. For others, Ganga may be a river but for us Ganga is our Mother. Ganga is an integral part of our culture.” ये हुई 20 दिसंबर 2013 की कहानी।

 

24 अप्रैल, 2014 को कहा, जब वो नॉमिनेशन भरने गए, वाराणसी। While filing his nomination, Shri Narendra Modi said, “First I thought the BJP sent me here, then I thought I am going to Kashi, but after I came here, I feel Maa Ganga has called me. I feel like a child who has returned to his mother’s lap.”

 

अब आई 3 मई, 2014 की तारीख, “Ganga’s condition is worrisome. Contaminated water is a threat to children. We want to change it. It’s not about politics but about humanity.” ये अजीब बात है।

 

18 मई को जब हम परिणाम जानते थे और सरकार करीब-करीब बन गई थी, बनने वाली थी, उन्होंने कहा कि “I was stopped from talking to you during campaigning, but even then you made me victorious.There is a huge potential for development in Varanasi. अब सुनिए, I vow to make the city and Ganga clean,” मैं प्रण लेता हूं। “I did not come to Varanasi of my own volition, मुझे गंगा मां ने बुलाया था। “Now, it is time to do my bit for Ma Ganga,” Modi said. मेरा ऋण, मां गंगा को अब मुझे चुकाने का समय आ गया है और मां गंगा अपने पुत्र के लिए इंतजार कर रही है कि उसको प्रदूषण रहित कैसे करें। ये है मई, 2018 का।

 

और अंतिम मई 24 का, मैं वाराणसी का सांसद हूं और मैं इस अवसर को मुख्य रुप से गंगा मां की सेवा में और वाराणसी के विकास के लिए अर्पित करना चाहता हूं। उसका हिंदी, अंग्रेजी वर्णन है, कुछ अंग्रेजी में बोला है, कुछ हिंदी में। ये कोटेशन हैं, मेरे शब्द नहीं हैं। तारीख बता दी मैंने आपको। यानि 20 दिसंबर, 2013/ 24 अप्रैल 2014/ 3 मई, 2014/ 18 मई, 2014 और 24 मई, 2014, अब सच्चाई क्या है?

 

RTI के निष्पक्ष आंकड़े जो सरकारी और औपचारिक रुप से रिलीज हुए, मैंने पहले ही आपको बता दिया कि प्रदूषण का स्तर गंगा में आज 2014 से कहीं ज्यादा है। अब कुछ और रोचक आंकड़े देखिए आप।

 

नंबर एक, ‘नमामि गंगे प्रोजेक्ट’ में टोटल 221 प्रोजेक्ट होने थे। हुए कितने हैं, 58, एक चौथाई हुए हैं। इस सरकार का कार्यकाल एक साल से कम बचा है। one fourth of the sanctioned projects are complete. सैंक्शन तब हो गए थे।

 

दूसरा, जब ये बात हुई थी, प्रोजेक्ट हुआ था, नियम देखे गए थे, कैपेसिटी देखी गई थी, तो मूल मुद्दा था कि 329 million litres per day का sewage treatment नहीं बल्कि 2,278 million litres per day, का sewage clearance and sewage capacities हमें चाहिए मां गंगा के लिए। अभी हुआ कितना है 329, 329 को अगर आप भाग देंगे, 2200 से तो एक सातंवा हिस्सा भी नहीं है, not even 1/7. 26 प्रोजेक्ट जहाँ तक sewage treatment प्लॉन का सवाल है, सिर्फ 26 यानि एक चौथाई से भी कम हुए हैं, फंक्शनल हैं।

 

नंबर तीन, तो ये आश्चर्य है, जब मंत्रालय बदला गया है और आज के वॉटर रिसोर्सिस मंत्री गडकरी साहब ने मई, 2018 को एक नई डेडलाईन दी, जो कि मार्च, 2019 की है। मई 2018 को नए मंत्री महोदय ने एक नई डेडलाईन दी, मार्च, 2019 की। उस डेडलाईन में कहा कि 70 से 80 प्रतिशत सुधार गंगा में प्रमाणित रुप से मार्च, 2019 को दिखाउंगा। मार्च, 2019 में ये वक्तव्य कैसे दिया जा सकता है, इन आंकड़ों से सामने है।

 

नंबर चार, तो देश पूछता है कि जब आंकड़े आज बताते हैं, 9 महीने पहले, 9 महीने भी कहाँ रहे, 7-8 महीने पहले, कि आंकड़े एक चौथाई sewage treatment plant  किए हैं। एक चौथाई ये प्रोजेक्ट किए हैं, 58 out of 221, तो अगले 7 महीने में आपके पास कौन सी जादुई छड़ी है, जिससे आप- Will ensure a “70 to 80 per cent” improvement in the water quality of the Ganga. ये क्या देश के साथ एक बहुत हास्यस्पद, बहुत क्रूर मजाक नहीं है?

 

नंबर पाँच, CAG रिपोर्ट ने बताया है कि 2016-17 में गंगा का जो मुख्य भाग है, उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल, सबसे महत्वपूर्ण भाग यही है। वहाँ पर कई दिन, कई बार 6 गुना से 334 गुना ज्यादा नियमित prescribed स्तर से कई ज्यादा प्रदूषण पाया गया है। आप 6 ही मान लीजिए, 20 मान लीजिए, 25 मान लीजिए, 334 नहीं मानिए। लेकिन 6 गुना से 334 गुना, ये जो गुना होता है, 33,000 प्रतिशत more प्रदूषण, major in the principle stretch of the Ganga. This is the CAG रिपोर्ट। तो ये पैसा सब कहाँ जा रहा है? ये प्रोजेक्ट का असर क्यों नहीं हो रहा है और आपके वायदे सारे जुमले क्यों हैं?

 

National Green Tribunal जो पर्यावरण का राष्ट्रीय Tribunal है, उसने बीजेपी की सरकार को कई बार कंटेम्पट में लताड़ा है, आदेश दिए हैं कि आपके इतने सारे वायदे हैं, जमीनी सच बिल्कुल भी नहीं है और उसी समय हमने प्रेस वार्ता भी ली थी, उस समय, उच्चतम न्यायालय ने भी कहा कि –  ‘Will Ganga be cleaned in this century?’

 

अब मूल बात क्या है, अगले वर्ष कुंभ है, 2019 में। आज लगभग 4 वर्ष साढ़े चार वर्ष इस सरकार के कार्यकाल के पूरे हो चुके हैं। प्रदूषण स्तर 2014 से ज्यादा है। वायदे 6 बार प्रधानमंत्री ने खुद ने किए हैं, जबरदस्त भाषा में। sewage treatment plant एक चौथाई से कम है। 300 से ज्यादा गुना प्रदूषण बढ़ा है 2016-17 के स्तर पर, तीन प्रदेशों में। CAG कहती है, National Green Tribunal कहता है, उच्चतम न्यायालय अपने हाथ ऊपर रखकर एक पीड़ा से भरपूर आवाज में कहता है। तो क्या ये देश के साथ एक बहुत बड़ा जुमला नहीं है, क्या ये देश के साथ एक बहुत बड़ा मजाक नहीं है? क्या आज आपने भुनाया है, राजनीतिक रुप से मां गंगा को और उसके बाद आप भूल गए।

 

एक प्रश्न कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत अभी 30 प्रतिशत ही काम हुआ के उत्तर में श्री अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ये बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है औऱ इसीलिए जो मैंने आंकडे दिए हैं, उन्हें ध्यान से सुनें तो ये पूरे का पूरा जो डिफेंस है ये आपके कहते-कहते ही खत्म हो जाता है। मैंने क्या आंकड़े दिए है, ये प्रोजेक्ट कब शुरु हुआ 2014 में आज हम खड़े हैं 2018 के आखिरी चरण में। अगर ये मान लिया गया है और अगर इनमें से कोई आंकड़ा गलत है तो निश्चित रुप से हम आपके सामने जवाब देने के लिए खड़े हैं। इसलिए भी आपके पास आते हैं कि 221 करोड़ का प्रोजेक्ट था कि नहीं? जवाब हैं हाँ, 58 हुए हैं कि नहीं? जवाब हैं हाँ। इसको आप एक चौथाई कह लीजिए, जो भी कह लीजिए। तो अब क्या होगा? आप क्या ये कह सकते हैं, बाकि जो प्रोजेक्ट हैं 90 प्रतिशत हो गए हैं। ये तो नहीं कह सकते आप और अगर कोई भी इन आंकड़ो को चैलेंज करना चाहता है तो मैं खड़ा हूँ सामने। दूसरा जब आपकी मुख्य रुप से गंगा में क्या करना चाहते हैं? सीवेज ट्रीटमेंट प्लान इतने सारे और इतने प्रभावशाली और इतने व्यापक बनाने थे जिससे सीवेज ट्रीटमेंट जो सबसे बड़ी जबरदस्त तकलीफ है वो कम हो जाए। जब आपके सीवेज ट्रीटमेंट प्लान भी एक-चौथाई हैं। मैने आपको आंकड़े दिए हैं। 329 million against 2278. ये कोई वैसा आंकड़ा नहीं है जो आप सही बोल रही हैं जो आपको बोला गया हैं। ये तो मापदंड का आंकड़ा है।

 

और तीसरा, आप एक दिन नहीं लीजिए, पाँच हफ्ते अलग-अलग दिन एक-एक दिन ले लीजिए प्रदूषण का। और प्रदूषण कम होने वाला है या बढ़ने वाला है कुंभ के साथ। जब कुंभ होगा तो वहां पर क्या प्रदूषण का कुंभ नहीं होगा। तो इसीलिए ये सब बरगलाने वाली बात है, इसी बात के लिए मेरे को आंकड़ों से भी इतना मतलब नहीं है। मैं उस घड़ियाली आंसू, उस आडंबर, उस दोगली आवाज आपके सामने प्रमुख रुप से रखना चाहता हूँ और आपने वापस उसका उदाहरण देखा है किस प्रकार के डिफेंस हैं।

 

एक प्रश्न के उत्तर में श्री सिंघवी ने कहा कि मैं हमेशा बोलता हूँ कि कोई भी वक्तव्य को पूरा लेना चाहिए। ये गलती कई लोगों ने कल भी की है और आज भी कर रहे हैं थोड़ा आप संदर्भ के साथ वक्तव्य को लेंगे तो ये बिल्कुल गलत है इसके एक या दो मुख्य कारण संक्षेप में बता दूँ आपको। नंबर एक वो बात कर रहे थे किसी भी तौर-तरीके के एक्स्ट्रीम विजन की, कोई भी एक्स्ट्रीम व्यू लेने की। और उसमें उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा, विशेष रुप से उदाहरण दे रहे थे वो कि महिलाओं के एक्सक्लूजन के बारे में। जब ये वाक्य कहा गया है। तो मैं समझता हूँ कि इसमे कोई गलत बात नहीं है कि कई सारे जो एक्स्ट्रीम स्टैंडज लेती है आरएसएस वो और भी संस्थाओं में, और भी धर्मों से संबंधित कई संस्थाएं लेती हैं। तो इसमें मैं नहीं समझता, अगर आप एक वाक्य को ऐसे उठाकर विकृत करेंगे तो वो विकृत होता है।

 

एक प्रश्न की क्या कुंभ से प्रदूषण बढ़ता है के उत्तर में श्री सिंघवी ने कहा कि ये वही उदाहरण है मेरा वाला कि एक वाक्य को उठाकर विकृत कैसे किया जाए। ये बहुत अच्छा उदाहरण दिया आपने मेरा, प्रमाणित किया आपने मेरी बात को। मैं कहना ये चाह रहा था जो सब लोग बाकी समझ गए हैं लेकिन आपके लिए एक बार और दोहरा दूँ। कि जब आज एक-चौथाई प्रोजेक्ट्स 5 साल में 4 साल में हुए तो क्या आप सक्षम हैं कैपेसिटी वाइज कुंभ को हैंडिल करने के लिए। जब कुंभ में लाखों लोग आएंगे तो प्रदूषण उससे बढ़ेगा या कम होगा और उसको हैंडिल करने के लिए आपकी कैपेसिटी है कि नहीं उसकी तैयारी पूर्वानुमान से की जाती है लेकिन विकृति के लिए कोई उत्तर नहीं होता।

 

मुस्लिम ब्रदरहुड से आरएसएस की तुलना से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में            श्री सिंघवी ने कहा कि मैंने कल प्रोग्राम में भी कहा है। आप वो दो पैराग्राफ ले लीजिए कहीं भी ये नहीं कहा गया है कि आरएसएस यहां से उत्पन्न हुआ या यहां बन रहा है या मोदी सरकार बना रही है। कृपा कर वो दो पैराग्राफ्स को पढिए। वो बात कर रहे हैं अलगाव की, वो बात कर रहे हैं कि किस प्रकार से जब अमेरिका ने डीबाथिफिकेशन, डीबाथिफिकेशन उसमें लिखा है, कृपया पढिए, का एक आदेश जारी किया। डीबाथिफिकेशन के अंतर्गत कई समुदायों ने समझा कि उनको हटा दिया गया है। उन समुदायों को लगा कि उनको हटाया गया है तो उससे उनका अलगाव हूआ और वो बहुत हद तक मिलिटेंसी की तरफ चले गए। आप उससे सहमत हो या नहीं हो अलग बात है लेकिन उसको विकृत करके कहना कि वो भारत के संदर्भ में कह रहे थे वो जर्मनी के ऑडियंस से बात कर रहे थे जिन्होंने इमिग्रेशन मुद्दों पर बहुत प्रश्न उठाए गए थे। और आप वो पैराग्राफ पढ़िए मैं तैयार हूँ उन पैराग्राफ पर तर्क करने के लिए।

 

एक अन्य प्रश्न कि विदेश मंत्रालय में मोनोप्ली है उस मोनोप्ली को हटाना होगा के उत्तर में श्री सिंघवी ने कहा कि बड़ा स्पष्ट है कि वो क्या कहना चाह रहे हैं। मैं उसको बड़े स्पष्ट रुप से दोहरा भी देता हूँ। बड़ी सरल बात कह रहे हैं, बड़ी सत्य बात कह रहे हैं और वो ऐसी बात कह रहे हैं जिसका आपको आभास था, हर व्यक्ति को है, इस देश के हर नागरिक को है। वो ये आभास है कि ये सरकार एक माइक्रोमैनेजमेंट प्रधानमंत्री, एक डिक्टेटोरियल पीएमओ वाली सरकार है। वो हर चीज को कि पूरे देश में, मेरे हर मंत्रालय में, मेरे हर मंत्री महोदय के ऑफिस में कौन से रंग का पत्ता, किस वक्त, किस तरफ, किस दिशा में है, उसको देखना चाहते हैं और यही बात हुई है विदेश मंत्रालय के साथ। और ये विदेश मंत्रालय का सिर्फ उदाहरण दिया है राहुल गांधी जी ने, उनका संकेत बड़ा स्पष्ट है। जब आप देश में डिसेंट्रालाईजेशन, डेलिगेशन नहीं लाएंगे और माईक्रोमैनेज करेंगे, कंट्रोल फ्री बनेंगे तो निश्चित रुप से उसका दुष्प्रभाव आएगा और मुझे इसमे बड़ा सरलता लगती है और सत्य भी बहुत लगता है।

 

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री सिंघवी ने कहा कि जब बहुत ही, करीब-करीब, जबरदस्त और अश्लील तरीके से आज की सरकार ने तोड़ा ये नियम उसके बाद आप हमसे ये प्रश्न पूछने का अधिकार क्षेत्र खो गए हैं। राहुल गांधी जी ने बहुत ही नियमित रुप से नीतियों की निंदा की है। जो विपक्ष के नेता की हैसियत से उनका पूरा अधिकार क्षेत्र है। क्या माननीय महोदय आपको याद नहीं है कि मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनने के तुरंत 6 महीने के अंदर क्या कहा था ? आज मैं खड़ा हूँ औऱ मेरे खड़े होने से हर भारतीय जो पहले विदेश में जाकर शर्म से खड़ा होता था। आपको तब याद नहीं आया क्या बात होती है जो अपमानजनक होती है। उसके बाद, 6 महीने बाद कहा और मैं आपको इस प्रकार के 4-5 प्रसंग कोट करके कागज में दे दूँगा। ये हमारे सिटिंग प्रधानमंत्री कह रहे थे आज विपक्ष के नेता बहुत संयमित भाषा में बात कर रहे हैं। ये क्या था उदाहरण, कि बीआरआईसीएस क्या होता है? ब्राजील, रशिया उसका बीच का जो आई है इंडिया वो लड़खड़ा गया था। अब इंडिया वापस मजबूत हो रहा है। यानि मेरे पहले इस भूगोल में भारत था ही नहीं, ये तो मेरे आने के बाद ये देश का जन्म हुआ है। ऐसी बातें तो निकल गई। और तीसरी बात मुझे गर्व है कि विपक्ष के नेता अपने आप को प्रश्न-उत्तर में एक डायलॉग में इंगेज करते हैं। हमारे प्रधानमंत्री, मैं चाहूँगा, हमारे प्रधानमंत्री है कि चार-साढे चार साल आप लोग जर्नलिस्ट हैं कितनी बार उन्होंने वन-वे स्ट्रीट डायलॉग के अलावा डायलॉग किया। वन वे स्ट्रीट्स स्पीच या पुराने ईमेल में से किये गये प्रश्नों का उत्तर कोई डायलॉग होता है और जब भी ये डायलॉग होता है तो इससे ज्यादा सॉफ्ट इंटरव्यू का मजा मैने नहीं देखा कभी। मैं भी चाहता हूँ कि ऐसे कभी-कभी सॉफ्ट इंटरव्यू हों हमारे लिए।

एक प्रश्न पर कि राजस्थान के मुख्यमंत्री गौरव यात्रा निकाली थी, उसमें पब्लिक मनी इस्तेमाल की गई, डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये बहुत ही गंभीर मुद्दा है। मैं समझता हूं इसमें उच्च न्यायालय ने, उच्च न्यायालय में सब ज्यूरी है, इसलिए मैं नहीं कह सकता क्या होगा। वो स्ट्रीक्चर पास करने चाहिएं। आपके पास क्या बीजेपी और सरकार में कोई फर्क नहीं है क्या? आप बीजेपी हो तो क्या सरकार हो और सरकार हो तो बीजेपी हो। ये हमारे देश की राजनीति कब से हो गई? हमने 10 साल यहाँ पर रुल किया है, अगर हम सरकारी धन इस्तेमाल करेंगे प्रचार के लिए, तब तो मजा आ जाए हर राजनीतिक पार्टी को। ये आप जो 1 करोड़ का आंकड़ा दे रहे हैं, ये कितने समय का है? हद तो अभी शुरु हुई है, कुछ दिनों में एक करोड़ गंवा दिया, सरकारी पैसे को। राजस्थान में आपकी हार निश्चित है। लेकिन उस हार के साथ-साथ दूसरे के पैसे पर प्रचार नहीं कीजिए।

लालू प्रसाद यादव पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता, क्योंकि आज मैं खुद रांची से आया हूं, अभी आया हूं कुछ समय पहले। लेकिन आपको कुछ तथ्य पता होने चाहिए। पहली बात तो बेल खारिज नहीं हुई, ये मेडिकल बेल थी। नंबर दो, चार महीने हमने मेडिकल बेल के दो ऑर्डर ले चुके थे, वो चार महीने खत्म नहीं हुए। नंबर तीन, ऑर्डर में कहा गया है कि इस वक्त जो कुछ भी बिमारियाँ हैं, वो सक्षम है, रांची मेडिकल कॉलेज देखने के लिए और वो वहाँ पर फ्री हैं जाने के लिए। नंबर चार, अगर कोई स्थिति पैदा होती है किसी ऑपरेशन के बारे में तो उनको लिबर्टी दी गई है, कोर्ट में आने के लिए। तो बिल्कुल भिन्न मुद्दा है, ये मेडिकल बेल की बात हुई है, बेल की बात नहीं हुई है। दूसरा भिन्न मुद्दा है, उसका आज की हियरिंग से कोई संबंध नहीं है। जब मैं पेश हो रहा हूं किसी मामले में, तो मुझे इससे ज्यादा टिप्पणी करना सही नहीं होगा।

 

एक अन्य प्रश्न पर कि खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस बसपा से गठबंधन कर सकती है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि हम अच्छे सर्वे, बुरे सर्वे, मंद सर्वे, प्ल्स सर्वे, माईनस सर्वे, उन पर रिएक्ट नहीं करते हैं, यहाँ से और इस प्रकार के ट्रेक में पड़ना मैंने पहले से छोड़ दिया है। लेकिन एक बात स्पष्ट कह दूं मैं कि आज सबसे ज्यादा माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी और बीजेपी घबराए हुए हैं कि जो व्यापक भावना है देश में वह बीजेपी विरोधी, मोदी विरोधी है। विभिन्न पार्टियों की, कौने-कौने में प्रादेशिक पार्टियों में, सैमी पार्टियों की और राष्ट्रीय पार्टियों की, वो अगर स्ट्रेटेजिक अलायंस में सीट एडजेस्ट में साथ हो जाते हैं, ये सबसे बड़ा भय है मोदी जी का और ये सार्थक होने वाला है, ये सार्थक होना चाहिए, किस रुप में होगा, कैसे होगा, उसकी बात अभी नहीं होगी।

मैं आपके प्रश्न का उत्तर एक बड़े सरल प्रश्न द्वारा देना चाहता हूं। अगर आपके वाट्सअप में end-to-end encryption ऑप्शन हट जाता है, तो क्या आप वाट्सअप का इस्तेमाल करेंगे? कम से कम मैं तो उसको कूडेदान में डाल दूंगा। तो ये कोई बहुत ही अजीबो-गरीब बात है कि जुमलेबाजी के कारण लोगों का मन, ध्यान आकर्षित किसी और तरफ करने के लिए सरकार मंत्री महोदय द्वारा वाट्सअप को कह रही है कि end-to-end encryption बंद कर दो। निजता पर प्रहार जितना इस सरकार ने किया है, चाहे आधार में हो, चाहे डीएनए में हो, चाहे डेटा प्रोटेक्शन में हो, इसका एक और उदाहरण देख रहे हैं आप। ‘निजता पर प्रहार, मोदी सरकार’। मुत्तुस्वामी जजमेंट तो बाद में आया, उससे पहले भी निजता इस देश में मानी जाती थी, अनुच्छेद 21 के अंतर्गत। अब मुत्तुस्वामी की जजमेंट ने, निर्णय ने, उच्चतम न्यायालय के एक व्यापक खंडपीठ ने, ये स्पष्ट कर दिया है कि निजता हमारा एक बहुत आलौकिक मूल मानवाधिकार है। उसके बाद ऐसा प्रश्न कोई सरकार या मंत्री महोदय पूछ सकते हैं कि ब्लैक बेरी आप अपना encryption छोड़ दो, वाट्सअप आप अपना end-to-end encryption हटा दो। इसके मायने क्या हैं? ये देश को बरगलाने का उद्देश्य है और उससे ज्यादा निश्चित रुप से मैं आक्षेप और आरोप लगा रहा हूं कि 360 डिग्री कंट्रोल फ्री माईक्रो मैनजमेंट सर्विलेंस का उद्देश्य इस सरकार का सर्वोपरी है। मेरी याचिका में, जब मैं पेश हुआ था एक वकील के हैसियत से, उसमें जब उच्चतम न्यायालय ने नोटिस किया, तब उस टेंडर को सरकार ने विदड्रा किया। जो टीएमसी के एमएलए की याचिका थी, उसमें मैं पेश हुआ था। उसमें क्या लिखा था, आपको मालूम है- object is 360 degrees inputs about social issue that nationalism. ये नोटिस में लिखा है। आज मंत्री महोदय बोल रहे हैं कि encryption को हटा लो, तो फिर निजता को क्यों बोलते हैं? निजता रहेगी ही नहीं, रखने की जरुरत ही नहीं।


Sd/-

(Vineet Punia)

Secretary

Communication Deptt.

AICC

 

 

 

Related Posts

Leave a reply