Press Briefing on Indian Economy in AICC (Hindi) – 3-January-2019

Dr. Abhishek Manu Singhvi, MP, Spokesperson, AICC addressed the media today at Parliament House.

डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज दो अलग-अलग मुद्दे हैं। पहला जो कल से राफेल जिस गति और दिशा में चल रहा है, उसको आगे ले जाएंगे और दूसरा आर्थिक व्यवस्था पर एक दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणी है, जबकि वित्त मंत्री सिर्फ प्रधानमंत्री और सरकार के बचाव में बोलते हैं, डिफेंस मिनिस्टर डिफेंसिव बन जाते हैं तो आर्थिक ढांचे की क्य़ा हालत है, वो भी आपके सामने रखेंगे।

जहाँ तक राफेल का सवाल है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि अब जेटली जी डिफेंसिव मिनिस्टर बन गए हैं, defensive Minister for the Government, for the Prime Minister और उधर प्रधानमंत्री जी अपने राफेल के हर एक एग्जाम में फेल हो गए हैं, बल्कि एग्जाम देने के लिए तैयार ही नहीं है। ये वही प्रधानमंत्री हैं जो हमें सबक सिखाते हैं, उपदेश देते हैं, एग्जाम वोरियर के विषय में किताबें लिखकर, पुस्तिकाएं लिखकर या मन की बात में बोलकर। आज वे एग्जाम वोरियर खुद ही एग्जाम छोड़कर दूर भाग रहे हैं और जो कांग्रेस अध्यक्ष ने स्पष्ट चुनौती दी है, उसमें से एक चुनौती को भी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। चौकीदार फुर्र है। वित्त मंत्री को डिफेंसिव मिनिस्टर बना दिया गया है और वित्त मंत्री जब इस प्रकार के झूठे, बेईमानी पूर्ण, बिना किसी आधार के डिफेंसिव डिफेंसिज करेंगे तो देश की आर्थिक स्थिति की क्या हालत होगी, वो तीन प्रकाशित सरकारी दस्तावेजों ने पिछले 3-4 दिनों में आपको बताया है।

एक, आरबीआई का प्रकाशित आंकड़ा है कि इस सरकार के दौरान एक वर्ष में 72 प्रतिशत बैंक फ्रॉड बढ़ गए हैं। दूसरा, जब वित्त मंत्री डिफेंसिव मंत्री बन जाते हैं, सरकार के लिए, प्रधानमंत्री के लिए तो मुद्रा लोन में एनपीए की कितनी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, जो आपको बताते रहते हैं कि हमने आर्थिक दिशा में ये किया है।

तीसरा, किस प्रकार से निवेश हिंदुस्तान के 14 साल के सबसे निचले स्तर पर है।

तो राफेल से बात शुरु करें। कांग्रेस अध्यक्ष ने बार-बार चुनौती दी, वार्तालाप कर लीजिए, डिबेट कर लीजिए, ये स्पष्ट प्रश्न का उत्तर दे दीजिए, आज आपने देखा हाउस में जम्मू-कश्मीर के विषय में चर्चा चल रही है, उसमें आपने एक उदाहरण देखा कि एक भी बिंदु पर स्पष्ट जवाब मत दो, 1947 से इतिहास की बात करो, एक इतिहास का सेमिनार रखो, वही राफेल में किया गया और रक्षा मंत्री तो बोली नहीं, वित्त मंत्री जी झूठे, बेईमानी, निराधार तथ्यों के आधार पर, जिन्हें तथ्य नहीं कह सकते, बार-बार उनकी आवाज गूंज रही थी। मैं कुछ स्पष्ट चीजों के ऊपर प्रकाश डालना चाहता हूं। प्रश्न क्या था और उत्तर क्या था।

पहला, इस सरकार ने, वित्त मंत्री ने हजार बार बोल दिया है कि हम कीमत नहीं बता सकते, राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध है, कीमत हमें पता नहीं है, हम खुलासा नहीं कर सकते, इत्यादि-इत्यादि। पहला मुद्दा, कल उन्होंने खुद माना है, जो आपने आज प्रकाशित भी किया है। इन 36 हवाई जहाजों की कीमत 58,000 करोड़ रुपए है। किंडरगार्टन या तीसरी कक्षा के विद्यार्थी केल्क्युलेट कर सकते हैं कि 36 की लागत अगर 58,000 करोड़ रुपए है तो एक की लागत है 1,611 करोड़ रुपए, तो पहली बात ये आप खुद मान गए हैं। इस मामले को आपने अवमानना में बना रखा है, लेकिन आप कल माने हैं। ये आंकड़ा हमारा नहीं है ये आंकड़ा माननीय अरुण जेटली जी का है।

दूसरा, जब इस आंकड़े से वो विवश हो जाते हैं तो फिर एक और स्पिन डॉक्टरी होती है, जिसमें माहिर हैं, पीएचडी हैं कि हाँ, कीमत में कुछ ना कुछ फर्क तो होगा, लेकिन कीमत में फर्क इसलिए था क्योंकि हम तो एक टैंक दे रहे थे और यूपीए तो एक गुड़िया खरीद रही थी। वो तो कोई टॉय एयरक्रॉफ्ट ले रही थी, किसी दूसरे मुद्दे का कांग्रेस अध्यक्ष ने आपके समक्ष पढ़कर, आपको बताकर पर्दाफाश किया, इससे ज्यादा कोई क्या कर सकता है। Request For Proposal  (RFP), 2007 में प्रकाशित है, उसमें लिखा है, मैं वापस दोहरा रहा हूं, Fully loaded plane along with radar, avionics, India specific enhancements and weaponry. ये प्रकाशित RFP में लिखा है। अब अगर ये है तो सरकार और वित्त मंत्री किस गुड़िया और टॉय प्लेन की बात कर रहे हैं? चलिए मान लिया कि 526 का 700 हो सकता है, 600 हो सकता है, 526 का उसी RFP पर 1,600 हो सकता है। ये आपको कल कांग्रेस अध्यक्ष ने पढ़कर बताया।

तीसरा, जिनमें कोई जवाब नहीं है, उच्चतम न्यायालय, फिर जेटली जी स्पिन डॉक्टरी कर रहे हैं। 4 जगह लिखा है और मेरी पिछले दो हफ्ते पहले की प्रेस वार्ता में मैंने उच्चतम न्यायालय के 4 पेरा दिए हैं, जिसमें वो कहते हैं, We are ill equipped to deal with these issues. These are beyond our expertise. We are broadly looking into things. This is not a matter of judicial review. इस बात की इतने जाने-माने कानून वित्त मंत्री ने कल इतनी जबरदस्त स्पिन डॉक्टरी की है, मैं समझता हूं कि ये झूठ की चरम सीमा है।

चौथा, कांग्रेस अध्यक्ष ने वापस पूछा और ये लाजमी प्रश्न हम सब पूछेंगे, जेटली जी और सरकार ने दो चीजें बार-बार कही थी कि हमें तुरंत जरुरत थी, urgent need थी  और आप राष्ट्रीय सुरक्षा की अवहेलना करते हैं, यानि कि कांग्रेस और दूसरा कि ये आपसे हमने सस्ती ली, कभी कहते हैं 20 प्रतिशत सस्ती ली, कभी कहते हैं 9 प्रतिशत सस्ती ली। ये आपको याद है? तो कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है और हमने भी पूछा है, लेकिन जवाब नहीं आया कभी कि अगर इतनी सस्ती थी तो आपने 126 की बजाए 36 क्यों ली? सस्ती चीज को 36 लेंगे और महंगी चीज को आप 126 लेंगे। दूसरा कि इतनी जरुरत थी, जल्दी थी तो जो करारनामे में लिखा था कि 2019 से डिलिवरी शुरु हो जाएगी, तो 2012 के करारनामे को तो स्क्रेप किया आपने और अब 2022 से आपकी डिलिवरी शुरु हो रही है। तो दो तथ्य हैं, जल्दी, तुरंत, अर्जेंसी और कीमत बहुत ज्यादा कम। आपने दोनों का पर्दाफाश देखा।

ये सब बिंदु हमने और कई बिंदुओं को माननीय कांग्रेस अध्यक्ष ने स्पष्ट रुप से उठाया है। लेकिन जब आप स्पिन डॉक्टरी करते हैं और दूसरे भागते हैं, फुर्र होते हैं तो यही कर सकते हैं कि आप इतिहास के लेक्चर देकर जवाब देंगे।

पाँचवा बिंदु जो उठाया था, वो था ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी का, हमने आपको तथ्य दिए हैं, तारीखें दी हैं। किस तारीख को, डील के कुछ दिन पहले HAL से बातचीत पक्की हो गई थी। हमारे दस्तावेज में लिखा है कि HAL को सिर्फ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के आधार पर मिलेगा। ये अचानक ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी बदला कैसे? कोई उत्तर नहीं है, मैं उत्तर देता हूं आपको, जो उत्तर सरकार नहीं दे रही है, नहीं दे सकती है। ये इसलिए बदला कि अगर आप ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी हटा देंगे तो तुरंत राफेल को और भी सस्ता होना चाहिए था, लेकिन हो गया ऊल्टा। सरकार ने ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी भी हटाया और राफेल जहाज की कीमत भी बहुत बढ़ा दी। यूरो फाईटर ने सरकार को लिख कर दिया है कि हम सबकुछ के साथ 20 प्रतिशत कम में देंगे। तो अगर इतना ही था तो आप TOT कैसे भूल गए। TOT इसलिए भूले कि जिसको ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट मिला है, उसने कभी कागज वाले हवाई जहाज भी नहीं उड़ाए हैं या इसलिए भूले कि जितने भी आज देश में हवाई जहाज उड़ते हैं, वो सब HAL के साथ संबंध में या ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी या कोलेबोरेशन के साथ बने हैं, चाहे सुखोई ले लीजिए, चाहे तेजस ले लीजिए, या मिग ले लीजिए। क्या कारण था कि ये सरकार TOT को खा गई और माननीय प्रधानमंत्री जी की स्मृति लुप्त हो गई, वित्त मंत्री की स्मृति लुप्त हो गई, जब उनसे पूछा गया कि TOT का क्या हुआ?

अंतिम बात कि बैंचमार्क प्राईस जो है 5.2 बिलियन यूरो यानि 39,422 करोड़ से बढ़ाकर 8.2 बिलियन यूरो यानि, 62,000 करोड़ बैंचमार्क प्राईस क्यों हो गया, क्यों बढ़ी और क्या उन फाइलों में इन बैंचमार्क प्राईस के ऊपर रक्षा मंत्रालय की आपत्ति और विरोध लिखा नहीं है? बड़ा सीधा प्रश्न पूछ रहा हूं, इससे ज्यादा सीधा प्रश्न और कौन पूछ सकता है? क्या ये वही फाइलें हैं जो पर्रिकर जी के बेडरुम में पड़ी हैं? बैंचमार्क प्राईस 40,000 में 500 करोड़ कम और वहाँ से पहुंच गई 62,000, उत्तर तो दीजिए।

तो राफेल घोटाले की खुली छूट और अब राफेल घोटाले की खुली छूट से चलते हैं, बैंक लूट से भरोसा टूट।

आपको पिछले कुछ महीनों में विशेष रुप से आर्थिक व्यवस्था पर कितने लेक्चर दिए गए हैं, मैं अब आपको एक बड़े अचंभे की बात और बहुत सरल बात बोलने वाला हूं। पिछले तीन दिनों में, 72 घंटों में तीन सरकारी रिपोर्ट प्रकाशित हुई हैं। क्या हमारे प्रखर, मुखर प्रधानमंत्री जो भारत देश में लेक्चर दे रहे हैं, कृपया बताएंगे कि इस गणित का क्या उत्तर है?

गणित नंबर एक, आरबीआई की रिपोर्ट साढ़े तीन दिन पहले bank fraud have increased in one year by 72 %, एक साल में यानि 2016-17 से लेकर 2017-18, आरबीआई कह रहा है, मैं नहीं कह रहा हूं। अब क्या आप वापस गवर्नर बदलेंगे?

दूसरी रिपोर्ट, पिछले तीन दिन की बात है, मुद्रा लोन, आपने नोटिस किया है, आजकल प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री जनधन की बात नहीं करते हैं, मुद्रा की बात भी बहुत कम करते हैं। कुछ महीने पहले कहते थे कि पूरे रोजगार की समस्या इस देश की खत्म हो गई है क्योंकि मुद्रा लोन से सब रोजगार हो गया है। हर मुद्रा लोन एक रुपया दिया, एक रोजगार बन गया। अब वो मुद्रा लोन पर सरकार की रिपोर्ट है, हमारी नहीं है कि एनपीए सिर्फ मुद्रा लोन के डबल हुए हैं, 2016-17 से 2017-18 में, एक वर्ष में। 3,790 करोड़ से 7,277 करोड़ रुपए। ये आर्थिक मैनजमेंट है, कोई जवाबदेही नहीं है। जुमले हैं।

तीसरी रिपोर्ट, जो आज आई है, आपने प्रकाशित की है, इस देश में निवेश 14 वर्ष में सबसे निचले स्तर पर हैं। अब ये अलग अजीब बात है कि सरकार ने 14 वर्ष लिए हैं, हमने तो नहीं लिए हैं, हम तो रिपोर्ट नहीं लिखते हैं, 14 वर्ष शुरु होते हैं 2004 से। आज 14 वर्ष में लोएस्ट इनवेस्टमेंट, अगर आपको आंकड़े चाहिएं, दिसंबर क्वार्टर में 14 वर्ष का low था, 53% lower than what was projected in the previous quarter and 55% lower than the same quarter last year.  जब क्वार्टर को कंपेयर करते हैं तो आप उस वर्ष का पुराना क्वार्टर कंपेयर करते हैं, तो 53 ले लीजिए, 53 में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, 14 वर्ष में इतनी कम ग्रोथ कभी नहीं हुई।

तो प्रश्न ये है कि आपने अच्छे दिनों का सपना जगाया या चौकीदार ने देश को ठगा? ये मूल प्रश्न है। दूसरा प्रश्न ये है कि अर्थव्यवस्था का बंटाधार जो किया आपने, उसकी जवाबदेही कौन देगा। निवेश हुआ कम और इसी रिपोर्ट में लिखा है, मैंने वो बताया नहीं है आपको। रुके हुए प्रोजेक्टस सबसे ऊंचे स्थान पर चल रहे हैं, आपने नौकरियों का, रोजगार का, अर्थ व्यवस्था का बंटाधार किया। आप किसकी तूती मार रहे हैं, किस चीज की डिंगे मार रहे हैं, किस चीज का इतना अहंकार और गर्व दिखा रहे हैं? सिर्फ इसलिए कि आपने इस देश में भय फैला रखा है, जवाबदेही बंद कर दी है और एकतरफा पूर्व निरीक्षण, परीक्षण हुए प्रश्नों को करके आप साल में अपनी वाहवाही करने के लिए एक या दो बार इंटरव्यू देते हैं।

अब आप इसका जवाब क्या देंगे? लेगिसी इशू 1947 में भारत आजाद हुआ था, 1950 में हमारा संविधान बना था। यहाँ से आप लेक्चर शुरु कीजिएगा और 1952 में ये सरकार बनी थी, 1962 में ये वॉर हुआ था। ये जवाब है इसका?

 तीसरा, अब हाउस से हम जम्मू-कश्मीर पर वही लेक्चर सुनकर आ रहे हैं कि 1947 में क्या हुआ था, 1952 में क्या हुआ था, 1962 में क्या हुआ था? साढ़े चार साल के आंकड़ों पर बोलें, उसमें क्या बोले, एक शब्द नहीं, not a one word, तो हम आश्वस्त हैं कि हमें यही जवाब मिलेगा।

एक केंद्रीय मंत्री द्वारा राफेल डील को केवल कांग्रेस के दिमाग में होने से संबंधी बयान के  बारे में एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि मन बहलाने के लिए जो ख्वाब, पहले भी जिसका जिक्र किया था,सब मन बहला सकते हैं, स्वप्न लोक में रह सकते हैं। हम तो बड़े खुश हैं क्योंकि आज ये मुद्दा हर आम आदमी के जहन में है। अगर कोई ये समझता है कि ये सिर्फ कांग्रेस के माथे में है, तो उनको बधाई, वो अपने जुमले वाले संसार में रहें, बाहर निकलिए, सच्चाई देखिए। Smell the coffee, get out of your ivory tower, when Rs 30,000 crores is given to a private corporate. If it doesn’t concern you, me and the aam-aadmi’, I don’t know what does. When, HAL is your own baby gets no TOT, I don’t know whether it concerns only the Congress or the country. So, I don’t bother who is speaking what. I don’t have any answer for an inconsequential comment.

प्रधानमंत्री द्वारा एक दंगे के आरोपी को मुख्य मंत्री बनाए जाने बारे से संबंधित भाषण के संदर्भ में पूछे गए एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं समझता हूँ कि किसी निचले स्तर के राजनीतिज्ञ को भी ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, प्रधानमंत्री तो बहुत बड़ा स्थान है। थोड़ा सोच-समझकर आधार पर, तथ्यों पर बात करें, ऐसा उन्हें मेरा विनम्र निवेदन है।

आज एक प्रदेश का मुख्यमंत्री बना है आपको धूल चटाकर। पाँचो प्रदेश आप हारे, तीन प्रदेश हम जीते तो कम से कम ग्रेस तो दिखाइए डिफीट पर। नम्बर दो, आज 1984 के बाद 30-35 साल निकल गए, किसी केस में आरोपित नहीं हुए थे, किसी केस में प्रक्रिया नहीं चली, किसी इंक्वायरी रिपोर्ट में कसूरवार नहीं, किसी केस में दंडित नहीं हुए। भई, आप प्रधानमंत्री हैं, आप अगर इस आधार पर चलिएगा तो आप तो आरोपित हैं, आपके राष्ट्रीय अध्यक्ष तो कोर्ट कचहरी के माध्यम से चले गए हैं, आपको तो उस पर बैठना ही नहीं चाहिए। मैं तो प्रधानमंत्री की सीधी कसौटी को वापस उनके ऊपर लागू कर रहा हूँ। माननीय प्रधानमंत्री, माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा के आप किसी केस में आरोपित थे, कहीं एक्यूजड थे, वो केस कहाँ तक चले, एसआईटी किसने बनाई, उसमें मुख्य अभियुक्त कौन था, आप हमको प्रीच कर रहे हैं, इससे ज्यादा शर्मनाक बात नहीं है।

एक बात और मैं बता दूँ, आपको ये शायद पता नहीं है किसी को कि जो एक कंविक्शन (conviction) हुआ है अभी, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री ने आज नहीं किया पहले करते रहते थे, आपको चार तिथियाँ पता हैं, उसके बारे में? सज्जन कुमार केस में एफआईआर कब की है? 2005 में। स्पेशल पब्लिक प्रोसीक्यूटर कब नियुक्त हुए? श्री चीमा (RS Cheema) 2008 में। चार्जशीट कब हुई? 2010 में, एक्विट कब हुए, 2013 में और तुरंत एक्विटल के बाद अपील किसने फाइल की, यूपीए सरकार ने 2013 में और उस अपील का निर्णय अब आया है, 2013 के बाद कुछ भी नहीं हुआ, सिर्फ न्याय प्रक्रिया चली। आज माननीय वित्त मंत्री जी और प्रधानमंत्री जी आपको ये कह रहे हैं कि मैंने निर्णय लिखा, मैंने कंविक्ट करवाया। क्या किया आपने? मेरे एक तथ्य को झुठला दीजिए।

आपको मैं चुनौती देता हूँ, प्रधानमंत्री जी, वित्त मंत्री जी, किसी को, सज्जन कुमार केस पर किया क्या है आपने? जिस केस में श्री सज्जन कुमार कंविक्ट हुए हैं, उसकी मैंने आपको पाँच तिथियाँ दी हैं, छः तिथियाँ, उसमें अगर एक सुई के बाल जितना भी योगदान रहा हो भाजपा का तो बताईएगा हमको।

इसी संदर्भ में एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैंने आपको तथ्य दिए हैं, आप अपने आप उसका निर्वाह कर लीजिए। कितना झूठा और कितना बेमानी है किसी का कहना कि हमने ये किया, हमने वो किया। अपील, 2013 में इक्विटल के बाद अपील किसने फाइल की? चीमा साहब जो बहस करते हैं कोर्ट में, उनको नियुक्त किसने किया? प्रधानमंत्री जी बोलते हैं, उनके तथ्यों का कुछ तो कम से कम सक्षम कोई डिसिप्लिन होना चाहिए, कोई और, ऐसा आम आदमी थोड़े ही बोल रहा है और ये मैंने इसीलिए बोला क्योंकि आपने मुझे उदाहरण दिया एक ऐसे व्यक्ति का जो आज तक 40 साल में, 35 साल में आरोपित भी नहीं हुआ है, वो भी प्रधानमंत्री जी बोल रहे हैं। जो मर्जी आए जुमले में बोल दो, जो मर्जी हो जाए किसी रैली में बोल दो।

ट्रिपल तलाक से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का बड़ा स्पष्ट मत है, कोई नई बात थोड़े ही है। कांग्रेस पार्टी का ही स्टैंड नहीं है, टीएमसी का है, जेडीयू का है, जेडीयू किसके साथ है? और मैं पाँच नाम ले सकता हूँ, एसपी का है,बीएसपी का है, एआईएडीएमके का है, एआईएडीएमके क्या है? हम इसमें प्रॉपर तीन चीज चाहते हैं, इसका अवलोकन हो, ये बिना अवलोकन के उस हाउस में हुआ, हमारा अलग अधिकार क्षेत्र है, इवैल्यूएशन हो।

नम्बर दो, सिलेक्शन कमेटी करे, स्टैंडिंग कमेटी करे, जो आप चाहें तरीका निकाल लें। नम्बर तीन, अगर आपने पिछले तीन महीने में ये अनुमति दी होती तो अभी तक रिपोर्ट आ गई होती। नम्बर चार, वो सिलेक्ट कमेटी या वो कमेटी रिपोर्ट इस बात पर भी विचार करेगी कि क्या कोई ऐसा प्रावधान है किसी भी धर्म के विषय में, जहाँ मैं अपनी बीवी को एबेंडन कर दूँ, मैं किसी भी धर्म का हूँ अगर मैं अपनी बीवी को एबेंडन कर दूँ, मैं अपनी बीवी पर प्रताड़ना करुँ तो उस पर डिवोर्स हो जाए, कुछ भी हो जाए, लेकिन उसके बाद क्रिमिनल लॉ से दंडित हो जाउँ, किसी में है। नम्बर पाँचवी चीज जो वो समिति देगी कि क्या उच्चतम न्यायालय ने ये आदेश दिया है कि इसको क्रिमिनलाइज करुँ। अब मैं गलत हूँ क्योंकि माननीय मोदी जी सही हैं, लेकिन ये  पाँच प्रश्न लाजमी हैं कि नहीं हैं, वो दिखा दीजिए,पैरा मुझे उच्चतम न्यायालय का जिसमें कहा है कि इसको क्रिमिनलाइज करो और आप मानते हो तो कम से कम wisdom of Parliament is representative in many committees of Parliament उनको भेज दीजिए। ये स्टैंड हमारा बड़ा स्पष्ट है, ही वही है पहले,वही अब भी है, वही कल भी रहेगा, वही परसों रहेगा।

किसानों की कर्जमाफी से संबंधित प्रधानमंत्री जी के द्वारा दिए बयान से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि अभी आप देख रहे हैं, पिछले 2-3 दिनों में कैसी-कैसी चीजें छप रही हैं, कैसी-कैसी स्कीम छप रही हैं, बार-बार। चुनाव हारने के बाद सब याद आने लगा अब। गुजरात में क्या स्कीम हो रही है, आज आपके अखबारों ने प्रकाशित किया है कि स्कीम बहुत एडवांस स्टेज पर है कि दूसरे नाम से डायरेक्ट बैनिफिट दिया जाएगा। तीसरी स्कीम है कि जो फर्क है एमएसपी पर और असली प्राइस पर उसको दिया जाएगा। ये क्या हुआ? सिर्फ एक राजनैतिक चपत से बातें सही लगने लगीं और उसी बात की हमको सीख दे रहे हैं कि हमने तो राष्ट्रीय स्तर पर हमारी सरकार ने लोन वेवर करके दिखाया था।

हमने गलत किया होगा, लेकिन हमने तो किया न, वायदा किया और किया उसको और इस बार हमने चुनाव के बाद नहीं या चुनाव जीतने के, हमने जो कहा अपने प्रदेश मैनिफेस्टो में, वो किया है। अगर हम नहीं करते तो ये नहीं बोलते मोदी जी कि मैनिफेस्टो में प्रॉमिस किया है, क्या किया भईया?

To a question, Dr. Singhvi said let the ‘Janta’ decide and let Mr. Modi stop all these sops. It is now common ground, common view of lot of sections of political class that the RBI’s store house is being raided to support such schemes by Mr. Modi’s Government – why – under the same breath he has given lectures about how to fulfill our manifesto promise – we made a manifesto promise.

वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा जेम्स बांड के संदर्भ में विवादित बयान से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि पर इतनी बात तो पक्की है कि ईएन फ्लेमिंग को बहुत दुःख हुआ होगा उससे। एक बात तो पक्की है क्योंकि उनके फैक्टस गलत थे, उनका पर्यायवाची, उनकी समानताएं गलत थी और दूसरा ये है कि 007 नाजायज फायदा नहीं उठाते थे, जो ट्रिपल ए वाले हैं, डबल ए तो कल बोल दिया कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी ने, जो डबल ए और ए लगाते हैं, वो नाजायज फायदा बहुत उठाते हैं। भई जेम्स बांड में थोड़ा दम था।

जिस आदमी ने कागजी हवाई जहाज भी नहीं उड़ाया, जो डबल ए को 30 हजार करोड़ का फायदा हुआ।

राफेल घोटाले से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि सीधी कानूनी लड़ाई, इसमें कानूनी लड़ाई कोई है ही नहीं। हम तो डे वन से कह रहे हैं कि इसमें तो सिर्फ संसदीय लड़ाई होनी चाहिए, जेपीसी इंक्वायरी होनी चाहिए। इंक्वायरी करता है या तो मजिस्ट्रेट या जेपीसी या कोई तहकीकात की समिति। सुप्रीम कोर्ट कभी इंक्वायरी करता है डायरेक्टली? सुप्रीम कोर्ट कैसे करेगा इंक्वायरी, तो हम इसीलिए डे वन से कह रहे हैं, हम तो पार्टी भी नहीं थे, हमने याचिका भी फाइल नहीं की और उच्चम न्यायालय ने चार पैराग्राफ में कहा है कि हाँ हम असक्षम हैं, इसकी सूक्ष्मता में जाने के लिए और कहीं मना नहीं किया कि जेपीसी न करें और जेपीसी भाजपा ने पिछले चार बार मांगी है, हाल में, पिछले 10-15 साल में, तीन बार या चार बार दी गई है, उनको। आज उनकी स्मृति लुप्त हो गई है कि जेपीसी नाम ही नहीं सुना हमने। क्यों? क्योंकि जल्दी पकड़ो चौकीदार सूट नहीं करता है। जेपीसी की परिभाषाएं बदलती रहती है, सही परिभाषा जो है और जो दूसरी परिभाषा है वो सूट नहीं करती है।

वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा जेपीसी को संसदीय प्रणाली का फ्रॉड बताने से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि अगर जेपीसी को संसदीय प्रणाली का फ्रॉड कहते हैं, मैंने नहीं सुना है ये, मैंने नहीं सुना। अगर इन्होंने जेपीसी को ऐसा कहा है तो मैं समझता हूँ ये प्रिविलेजिस कमेटी का मामला है और मैं अनुरोध करुँगा प्रिविलेज कमेटी इसको संज्ञान में ले कि एक प्रकार से ये पार्लियामेंट को फ्रॉड कह रहे हैं।

अगर किसी ने जेपीसी को फ्रॉड कहा है तो पार्लियामेंट को भी फ्रॉड कहा है क्योंकि जेपीसी पार्लियामेंट का एक सबसेट होता है। स्टैंडिंग कमेटी को अगर आप फ्रॉड कहेंगे तो वो मिनी पार्लियामेंट कहा जाता है। इस प्रकार का अविश्वास प्रकट करना हमारे टेम्पल ऑफ डेमोक्रेसी के और उसकी एक समिति के प्रति और जो की नाम ही उसका ये है और यही वाली वही समिति थी जो भाजपा ने चार बार मांगी है। आपको उदाहरण मालूम है, बोफोर्स से लेकर, वो बम्बई वाले स्कैम से लेकर मेहता वाले से लेकर ये कितनी बार हुआ और वो अचानक आज उस पर अविश्वास हो गया।

राम मंदिर को लेकर प्रधानमंत्री के दिए बयान से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि हमारे से कोई मतलब नहीं है, ये विवाद भी उन्होंने शुरु किया और उनके दोस्तों को, उनके परिवार के अलग अंगों को जवाब भी उनको ही देना है। ये दोहरी बात करना, डबल गेम प्ले करना, वहाँ कुछ कहना, आपसे कुछ और कहलवाना, तीसरे अंग से कुछ और कहलवाना, ये देश सब समझ गया है। वो आज खैर, दो महीने बाद ये टिप्पणी आई है, दो महीने से ये विवाद चल रहा है, दो महीने बाद ये स्पष्टीकरण आया है। पहले स्पष्टीकरण पर आप जरा उनके मित्रों से पूछकर आईए। एक हैं नागपुर के मित्र, उनसे पूछिए कि क्या टिप्पणी है? दूसरे हैं,बीएचपी, तीसरे हैं, बजरंग दल, चौथे हैं, संत समागम तो इन सबकी टिप्पणियाँ इकट्ठी होंगी फिर कांग्रेस टिप्पणी करेगी।

वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली जी के बयान कि जो ऑफसेट पार्टनर चुना गयावो दसॉल्ट ने चुना और वो राफेल के लिए नहीं किसी और चीज के लिए था के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि किसके लिए, Toy factory in Mysore के लिए? दसॉल्ट क्या खिलौने भी बनाता है या सिर्फ एयरक्राफ्ट बनाता है? और राफेल के आलावा कोई और एयरक्राफ्ट बेच रहा है क्या? मुझे पता नहीं। पता नहीं क्या हो सकता है लेकिन जहाँ तक हमें मालूम है दसॉल्ट अभी तक देश में सिर्फ एक ही प्रोजेक्ट लेकर आया है, जहाँ तक इस विवाद का सवाल है, वो राफेल है। और कोई हवाई जहाज हो तो मुझे पता नहीं और अगर दसॉल्ट ऑफसेट दे रहा है, उस बड़े कॉर्पोरेट हाउस को किसी और चीज के लिए तो हम बहुत उत्सुक हैं, जानने के लिए। उसके डीटेल्स क्यों नहीं दिए जेटली जी ने, पूछिए उनसे।

 

Sd/-

(Vineet Punia)

Secretary

Communication Deptt.

AICC

Related Posts

Leave a reply