Abhishek Singhvi on Supreme Court’s floor test order in Karnataka Assembly (Hindi)

डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज उच्चत्तम न्यायालय में एक ऐतिहासिक आंतरिक आदेश हुआ है, व्यापक और ऐतिहासिक। हम बहुत विनम्रता के साथ आपके समक्ष इस विषय पर कुछ टिप्पणीयाँ करना चाहते हैं और इसके सही पहलू, सही परिपेक्ष्य को अपके सामने रखना चाहते हैं। सिर्फ वो नहीं जो आप सुर्खियों में पढते हैं या सिर्फ वो नहीं जो आप सुनते हैँ।

पहली बात, कि सीधे रुप से ये पहली बार संवैधानिक प्रश्न उठाया गया है, इस तीव्रता से कि राज्यपाल का जो अधिकार क्षेत्र है किसी को बुलाने का सरकार बनाने के लिए निमंत्रण देने का। उस विषय में उनका discretion कितना है और किस हद तक न्यायालय उसमें हस्तक्षेप कर सकते हैं। ये हमारा मूल संवैधानिक मुद्दा है। ये समझना आपके लिए आवश्य़क है, इसका फ्लोर टेस्ट से कोई संबंध नहीं है। ये पहला threshold शुरुआत का मुद्दा है, अधिकार क्षेत्र का मुद्दा है। आप मुझे बुलाएं या इनको बुलाएं, हम दोनों में से जिसको बुलाएंगे, हमें फ्लोर टेस्ट करना पड़ेगा। प्रश्न पहला उठता है कि संविधान के अनुसार राज्यपाल किसे बुलाने को बाध्य है, अनिवार्य है। तो ये पहला मुद्दा जो है, मूल मुद्दा, आज भी उच्चत्तम न्यायालय ने बहस जिरह के लिए और अंतिम निर्णय के लिए खुला रखा है और 10 हफ्ते बाद सुनने वाली है। आज ये पूरा संभव था कि क्योंकि कल तक मुख्यमंत्री वहाँ निर्वाचित हो जाएगा, चुनावित हो जाएगा। तो ये संभव था कि ये ज्यादा महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दा नहीं करते निर्णय या उसको भी आज अंतिम रुप से खत्म कर देते। लेकिन उच्चत्तम न्यायालय ने हमारे आग्रह पर उसको भी खुला रखा है और हम आशा और विश्वास रखते हैं कि 10-15 हफ्तों बाद जब उसमें जिरह होगी तो उसको भी हम जीतेंगे।

दूसरा, मैं अभी आ रहा था तो मैंने सुना, बौखलाहट कांग्रेस की, मुझे बड़ा अचम्भा हुआ। मैंने सुना Frustration, मुझे तो आश्चर्य हुआ। बीजेपी के बहुत से टेलेंट है, ये भी टेलेंट है, सच को झूठ और एकदम दिन को रात, उल्टा कर दें। मैं आपको बौखलाहट के कुछ उदाहरण देता हूं, जिसको सही बौखलाहट कह सकते हैं आप। उच्चत्तम न्यायालय ने स्पष्ट करके आज आदेश लिख दिया, हम सब वहाँ थे कि कल होगा, 24 घंटे से कम में होगा। उसके बाद 5 मिनट तक जिरह हुई है, बी एस येदियुरप्पा जी के वकील के द्वारा, माननीय श्री मुकुल रोहतगी कि पन्द्रह दिन नहीं, कम तो कम से दस दिन में करिए, दस दिन नहीं तो कम से कम सात दिन में करिए और अंततोगत्वा काफी देर तक दलील हुई कि सोमवार से पहले नहीं करिए। ये दूसरा पहलू है, ये अपनी कहानी बताता है, ये अपनी बौखलाहट की कहानी बताता है, ये अपनी विवशता की कहानी बताता है और ये अपनी खरीद-फरोख्त की एक लंबी कहानी बताता है। ये औपचारिक बता रहा हूं मैं आपको, मैं नहीं कह रहा हूं, ये जो अभी हुआ है दो घंटे पहले न्यायालय के सामने कि आप इतना कर रहे हैं तो कम से कम सोमवार से पहले ना करिए, उच्चत्तम न्यायालय ने कहा कि नहीं कल ही होगा।

तीसरा, दुर्भाग्य की बात है कि केंद्र सरकार के इन्ट्रक्शन के अंतर्गत, मैं व्यक्ति विशेष पर दोषारोपण नहीं करुंगा, इतने महान पोस्ट के व्यक्ति को ऐसा इन्ट्रक्शन देना, अटॉर्नी जनरल को, उन्होंने मांग कि ये जो चुनाव कल है, विश्वास मत, ये सीक्रेट बैलेट से होना चाहिए। आज तक कभी भी विश्वास मत सीक्रेट बैलेट से नहीं होता है। सीक्रेट बैलेट भी अपनी एक तीसरी कहानी बताता है, उसका भी क्या अभिप्राय होता है, हम सभी जानते हैं। ये मांग किसने की, केंद्र सरकार ने की कि आप अगर कल विश्वास मत कर रहे हैं तो आप उसे सीक्रेट बैलेट से करिए। हमारे विरोध पर उच्चत्तम न्यायालय ने आदेश में लिखा है कि, there shall be not secret ballot. मुझे आशा है कि आप समझ रहे हैं कि मैं क्या कह रहा हूं, कौन मांगेगा, क्यों मांगेगा सोमवार और क्यों मांगेगा सीक्रेट बैलेट? उसका उद्देश्य एक ही हो सकता है, उसी एक का नाम शुरु होता है ‘M’ से अंग्रेजी में।

चौथा, येदियुरप्पा जी के माननीय वकील ने स्पष्ट विरोध किया कि वो मुख्यमंत्री हैं, अरे राजा को बिना राज्य के कैसे आप रहने दे सकते हैं, वो नीतिगत निर्णय कैसे लेंगे, उनको लेने दिया जाए। इसपर दलील हुई दो-चार मिनट के लिए। उच्चत्तम न्यायालय ने आदेश दिया कि वो नीति का कोई भी निर्णय नहीं लेंगे और ये आदेश होने के बाद और जिरह होने के बाद अंततोगत्वा येदियुरप्पा जी के वकील माननीय रोहतगी जी ने कहा कि ठीक है फिर आप हमारा स्टेटमेंट रिकोर्ड कर लीजिए, आप आदेश मत दीजिए, क्योंकि आदेश लिखवा लिया गया था कि हम कोई नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे, कल तक। मैं पूछना चाहता हूं आपसे, क्या सही था, येदियुरप्पा जी का 15 तारीख को शाम को पाँच बजे राज्यपाल जी को पत्र लिखना, इतनी तीव्रता कुर्सी के लिए मैंने कहीं नहीं देखी, इतना पागलपन कुर्सी के लिए कहीं नहीं देखा कि 5 बजे पत्र लिख रहे हैं और चुनाव आयोग की सूची, चुनाव की पूरी लिस्ट 16 तारीख को पब्लिश हुई है। चुनाव आयोग की गेजेटेड लिस्ट के बिना चुनाव पूरा नहीं होता है। चुनाव पूरा होने से पहले संवैधानिक रुप से मैं राज्यपाल से कैसे कह सकता हूं कि मैं आपने हक को जता रहा हूं और उससे ज्यादा जब राज्यपाल ने 9:30, 10 बजे रात को कहा कि आप आईए तुरंत उन्होंने 9:30 बजे सुबह ये तो कई बार कहा था कि नक्षत्रों के अनुसार 12:30 होना चाहिए, लेकिन जब उन्होंने सुना कि कांग्रेस के द्वारा कोई तैयारी हो रही है तो उन्होंने उसको 9:30 कर दिया। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि उन्होंने बनते ही कम से कम ये देखिए, ऑर्डर में लिखा है, In case he decides to be sworn in, it shall be subject to further orders.

अब ये देखिए, कोई समझदार आदमी समझना चाहे तो इसका मतलब है कि आप या तो स्वेयर ही ना करो, इतनी तीव्रता ही मत करो, 24 घंटे रुक जाईए। सुनवाई तो 10:30 होने वाली थी। अगर आपको शपथ की इतनी ज्यादा तीव्रता है तो कम से कम कुछ करिए तो नहीं। माननीय येदुयुरप्पा जी ने कैबिनेट मीटिंग की अपने साथ। हमारे कानून में एक किताब है, उसमें मीटिंग को डिफाईन करते हैं, मीटिंग में कम से कम दो व्यक्ति होने चाहिएं, ज्यादा हों तो अच्छा है, लेकिन एक व्यक्ति की मीटिंग तो मैंने कहीं नहीं सुनी। उस एक व्यक्ति की जो कैबिनेट मीटिंग थी, उसमें ये निर्णय किया कि जो लोग जासूसी से ये सब ग्रहण करते हैं, उनको ट्राँसफर किया जाए, अपने लोग लगाएं जाएं, उससे ज्यादा इतने लाख के loan waiver हो जाएं। तो उस पर भी आज रोक लगाई, उस रोक लगाने पर विरोध किया गया और वो रोक जारी रही, अंततोगत्वा, उसमें रोहतगी जी ने माना कि हम नहीं ऐसा कोई निर्णय, नहीं तो आज से कल शाम तक 104 से 111 की यात्रा में कितने और निर्णय ले लिए जाते।

पाँचवा, मैंने ट्वीट पहले भी किया, मैं औपचारिक रुप से इस मंच से घोषणा करना चाहता हूं कि परिणाम कुछ भी हो और मैं परिणाम कुछ भी हो, मैं न्यायालय की बात कर रहा हूं कि हमें गर्व होना चाहिए कि विश्वभर में ऐसे उच्चत्तम न्यायालय बहुत कम मिलेंगे जो अर्जेंसी के आधार पर, मैं मैरिट की बात नहीं कर रहा हूं, अगर उनका अवलोकन अर्जेंसी का है कि अर्जेंसी है तो वो रात के भी किसी समय बैठ सकते हैं, क्योंकि न्याय कभी सोता नहीं है और ना सोना चाहिए उसको और साढ़े तीन घंटे, उसके बाद उन्होंने अपनी अर्जेंसी के अवलोकन के आधार पर ये सुनवाई की। मैं ये भी बता दूं कि शायद हमें ये हियरिंग नहीं मिलती, अगर माननीय राज्यपाल जी साढ़े नौ बजे अपना वक्तव्य issue नहीं करते और उनके वक्तव्य issue करने के तीन सैंकड बाद माननीय येदियुरप्पा जी सुबह साढ़े नौ बजे अपनी घोषणा नहीं करते शपथ ग्रहण की। तो साढ़े नौ रात और साढ़े नौ सुबह के बीच में सिर्फ दो से पाँच के हियरिंग ही मिल सकती है, रात की, यानि सुबह की।

हमारा मानना है संवैधानिक रुप से सही कानून के आधार पर, नैतिकता के आधार पर, धर्म के आधार पर, एक समझदारी के आधार पर येदियुरप्पा जी को कभी इस प्रकार से अपना दावा करना ही नहीं चाहता था। मैं ये क्यों कहता हूं, देखिए! हमने भी दावा किया, हमारे पत्र में लिखा है, पहले लिखा है कि मैं इनको सपोर्ट करता हूं, अमूक व्यक्ति को इस केस में, कुमारस्वामी जी को। दूसरा पहरा लिखा है कि हम उसके साथ इतने एमएलए की सूची हस्ताक्षर वाली भेज रहे हैं। उधर कुमारस्वामी जी का पत्र है कि मैं इस समर्थन को स्वीकार करता हूं और मैं अपनी सूची भेज रहा हूं। कम से कम हमने माननीय राज्यपाल जी को अपना दिमाग लगाने के लिए कुछ अवसर तो दिया। उनको ये तो करना पड़ा कम से कम हमारे पत्र में दिमाग लगाएँ। लेकिन येदियुरप्पा जी का पत्र जो आज आया जो पन्द्रह तारीख का है, जबकि चुनाव आयोग घोषणा कर रहा है सौलह तारीख को, उसमें उन्होंने सिर्फ इतना लिखा है कि मैं बीजेपी लिजेस्टर पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया हूं और मैं दावा करता हूं और फिर एक वाक्य है अंत में कि मैं दावा करता हूं कि मैं और others सरकार बनाएंगे। अब जब तक कि Einstein and Newton का कानून नहीं बदल जाए, जब तक गणित के जो मूल आधार हैं, वो नहीं बदलें, तब तक येदियुरप्पा जी जादू तो कर नहीं सकते हैं, ना वो राज्यपाल जी से स्वीकार करवा सकते हैं कि मैंने आखिरी वाक्य में जादू किया है, तो राज्यपाल किसपर mind apply करते हैं, राज्यपाल किस बात पर mind apply करते, क्योंकि उनको मालूम हैं कि चुनाव आयोग के जो सर्टिफिकेट हैं, प्रमाण पत्र हैं, वो 117 लोगों को जारी हुए हैं, by name, जिसमें लिखा है कि अभिषेक सिंघवी एमएलए हैं कांग्रेस के, प्रियंका जी एमएलए हैं कांग्रेस की, एक्स-वाई-जैड एमएलए हैं जेडीएस के, पार्टी भी लिखी जाती है। उसके बाद आपको मालूम है कि 221 सीट में से 117 प्रमाण पत्र घटा दें तो 104 बचते हैं, ये कोई रॉकेट साईंस नहीं है, ना Einstein की आवश्यकता है, ना Newton की। तो फिर येदियुरप्पा जी क्या चाह रहे थे उस पत्र के द्वारा, ये others कौन से भूत थे, अज्ञात नाम थे, जिसके बारे में उन्होंने ना हस्ताक्षर दिए, ना नाम दिए। निश्चित रुप से ये संकेत था, ये उद्देश्य था, ये घोषणा थी, यद्दपि परोक्ष रुप से थी कि साहब आज मुझे बुला लीजिए, मैं पन्द्रह दिन के अंदर निश्चित रुप से ये अज्ञात लोगों को ले आऊँगा। उसी ‘M’ नाम वाले व्यक्ति कि माध्यम से। उनके पत्र में तो कुछ लिखा ही नहीं है जो आज produce हुआ है। क्या ये सही है, सैंद्धातिक है, नैतिक है, राजनीतिक है, कानूनी है, संवैधानिक है, ऐसे व्यक्ति द्वारा जो इतनी तीव्र रुप से कुर्सी चाहता है?

ये अति आवश्यक है कि ये सब पहलू देश जाने, कानून की बात अलग होती है, कानून के पेचीदा मामले होते हैं, अदंर। लेकिन ये जो सरलता की जो बातें हैं, जो सीधे कॉमन सेंस की बातें हैं, वो कानूनी दांव पैचों में मिक्स करने की आवश्यकता नहीं है। मुद्दा सही एक है, बीजेपी जानती है कि उसके पास आंकड़े नहीं हैं, बीजेपी जानती है कि वो कुछ भी कल ले वो 104 से 111 की यात्रा पूरी नहीं कर सकती है। बीजेपी जानती है कि कल सरकार हमारी बनने वाली है।

एक और बात मैं बोलना भूल गया, अंत में जब ये कॉर्नर हुए कि हमारा ये प्रस्ताव ही नहीं है कोई किसी एंग्लो इंडियन समुदाय के व्यक्ति को निर्वाचित या मनोनीत करना, नोमिनेट करना। ये बात दो दिन से क्यों चल रही है? हमारा मानना है इनफॉर्मल रुप से सुझाव भी चला गया है। ये अलग बात है कि जब आज उच्चत्तम न्यायालय ने बड़ा स्पष्ट कर दिया, देखिए, झारखंड के मामले में मैंने ही बहस की थी, उसमें एक वाक्य लिखा है कि ये फ्लोर टेस्ट कल होगा, तब तक आप मनोनीत नहीं कर सकते हैं, किसी एंग्लो इंडियन समुदाय को, वहाँ भी यही मुद्दा था। अनुच्छेद 333 के अंदर। ये दो दिन से हम सुन रहे हैं और हमें पता है कि तैयारी सब थी, फिर अभी मनोनीत कर रहे हैं उसको, क्योंकि हर एक वोट उस यात्रा के लिए आवश्यक है। नैतिकता से मिले, झूठ-सच से मिले, अनैतिकता से मिले, परवाह नहीं। आज उच्चत्तम न्यायालय ने अपने आप स्वत: कहा कि हम ये वाक्य डिक्टेट कर रहे हैं कि हम ये नोमिनेशन नहीं सकते, आप कल कीजिए। तब उठकर कहा गया ये कहने के बाद कि आप ये क्यों रिकोर्ड कर रहे हैं, हम खुद ही कह रहे हैं कि ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं था। प्रस्ताव नहीं था तो ये आप लोगों का बड़ा अपमान है। क्योंकि आप ही लोगों ने पिछले दो दिनों से सभी स्तरों से कहा था, हमको भी ज्ञान है लेकिन इस प्रकार के हथकंडे से जाहिर है कि हार वो पहले ही मान गए हैं और बड़ी रोचक बात है और आयरोनिकल बात है कि frustration और बौखलाहट की बात कर रहे हैं वो हमारे विषय में।

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