8-December-2018 कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन संबोधित करते हुए

ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE

24, AKBAR ROAD, NEW DELHI

COMMUNICATION DEPARTMENT

Highlights of the Press briefing

राज्यों की अपनी निश्चित हार से घबराई भाजपा अब प्रतिशोध की राजनीति पर उतारू !

राजनैतिक प्रतिद्वंदियों से लड़ाई के लिए मोदी जी ने ED-CBI-Income Tax को अपना बंधुआ मजदूर बना दिया है !

नियम– क़ानून और संविधान को ताक पर ऱखकरमोदी सरकार ने अपनाई हिटलरशाही !

डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि, पांच राज्यों की अपनी निश्चित हार से घबराई भाजपा अब प्रतिशोध की राजनीति में पूरी तरह से 24 घंटे उतारु है। राजनीतिक प्रतिद्वंदियों से लड़ाई के लिए मोदी जी ने चाहे ईडी हो, सीबीआई हो, इंकम टैक्स हो, सबको बंधुआ मजदूर बना दिया है, इन्हें बंधुआ श्रमिक बनाने का पूरा प्रयत्न चल रहा है। नियम, कानून और संविधान को ताक पर रखकर मोदी सरकार अपनी हिटलर शाही दिन-प्रतिदिन दर्शाती है। सच्चाई ये है कि ये पांच राज्यों के जो चुनाव हैं इसमें निश्चित संदेश सामने दिख गया है, मोदी सरकार जानती है, बीजेपी जानती है, उनका क्या हश्र होने वाला है, उसका आपने ट्रेलर कल भी देखा है। लेकिन इस कारण से इस सरकार का जो डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट है और हर प्रकार की द्वेष पूर्ण तौर-तरीके अपनाना, वो कार्यक्रम और ज्यादा गति और दिशा के साथ, फोकस के साथ शुरु हो गया है। ये सत्तारुढ पार्टी, प्रधानमंत्री और सरकार अच्छे से जानती है कि उनका ढोंगी भ्रष्टाचार विरोधी मुखौटा पूरी तरह से भंग है और पिछले 54-55 महीनों में दिन-प्रतिदिन उसको भंग होते हुए आप लोगों ने देखा है। इससे उनकी बौखलाहट, उनकी घबराहट दिन-प्रतिदिन और बढ़ रही है और इसी का नतीजा है कि हर दिन एक नया कीचड़ उछालने की प्रक्रिया, एक नया डर्टी ट्रिक्स डिपार्मेंट का कोई नवीनतम ईजाद, झूठे आरोपों का पुल और विशेष रुप से बरगलाने और मूर्ख बनाने की प्रकियाएं हैं, web of lies, these concerted conspiracies, conspiracies to target the Congress are a result of that in a heightened manner in an accelerated manner  और इन झूठ के पुलिदों के आधार पर ये शासन करना चाहते हैं। जितने भी संवैधानिक, कानूनी, कार्यपालिका के सैद्धांतिक स्थापित नियम हैं, जितने भी सिद्धांत हैं, वो सब दिन-प्रतिदिन कूड़ेदान में फैंक दिए जा रहे हैं कि सिर्फ कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को सिर्फ इसलिए कि उनका संबंध व्यक्ति विशेष से है, इसलिए सस्ती राजनीति खेली जाए, अपमानित किया जाए और दुरुपयोग किया जाए, कभी सीबीआई को, कभी ईडी को, कभी आईटी इत्यादि को बंधुआ मजदूर बनाकर, अपने राजनीतिक मामले सैटल करने के लिए। हम इसकी भर्त्सना करते हैं, हम इसको कंडेम करते हैं और हम उसका एक एक्स्ट्रीम उदाहरण जो कल-परसों हुआ, उसको आपके समक्ष रखना चाहते हैं।

7 दिसंबर को लगभग सुबह 8, 8:30 बजे से लेकर 8 दिसंबर यानि आज के सुबह 8:30 बजे तक श्री रॉबर्ट वाड्रा के सुखदेव विहार ऑफिस में रेड की गई। इसके अतिरिक्त उनके एसोसियेट श्री मनोज अरोड़ा, मनोज अरोड़ा जी की बहन, उनका परिवार और मनोज अरोड़ा जी के संबंधी यानि उनकी पत्नी के माता-पिता और कई अन्य संबंधित घरों पर रेड की गई। इन सबको घंटो गैर-कानूनी रुप से डिटेंड किया गया। आपको कई चित्र सोशल मीडिया में मिले होंगे कि किस प्रकार से लगभग 24 घंटे तक चीजें फैंक कर, घर को अस्त-व्यस्त, उल्ट-पुल्ट किया गया।

रोचक बात ये है कि दो मुख्य कार्यवाही हैं – एक है बीकानेर आरोपित, तथाकथित बीकानेर का कोई लैंड डील आरोप है, जिसकी बात की जाती है। अब रोचक बात सुनिए आप। राजस्थान प्रदेश में, राजस्थान की सरकार तो अब विदा की जा रही है, राजस्थान की सरकार के आने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री और केन्द्र सरकार के डॉयरेक्शन में उन्होंने प्रदेश लेवल पर कार्यवाही शुरु की। आज 5 वर्ष पूरे हो गए हैं उसको, सरकार की विदाई का समय आ गया है, 5 वर्ष में उन्होंने एक एफआईआर की, उसके बाद एक चार्जशीट की और उसके बाद सप्लीमेंट्री चार्जशीट की। अब रोचक बात सुनिए, आप जानते हैं एफआईआर बहुत बड़ा महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जिससे पूरी कार्यवाही शुरु होती है और चार्जशीट ही सबसे अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है और सप्लीमेंट्री चार्जशीट को उसके बाद चाहे जितना इम्प्रूव कर लीजिए। तीनों में रॉबर्ट वाड्रा जी का जिक्र नहीं है, नाम नहीं है और बात करते हैं ये स्कैम, वो स्कैम। आज ये अलग-अलग दस्तावेजों के आधार पर 4-5 साल पुरानी बात हो गई है। दूसरा ईडी से 50 समन आए, मैं उनकी डिटेल में नहीं जाना चाहता, कभी मनोज अरोड़ा जी को आए, कभी रॉबर्ट वाड्रा जी के नाम से नहीं, लेकिन रॉबर्ट वाड्रा अथॉराइज्ड रिप्रेजेंटेटिव ऑफ स्काईलाइट के नाम से आए, या स्काईलाइट के नाम से आए, इत्यादि। उस डिटेल में जाने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन रोचक बात ये है कि जब वो समन आए अभी हाल तक जो प्रेडीकेट, आप जानते हैं कि ईडी का अधिकार क्षेत्र प्रेडीकेट ऑफेंस पर निर्भर करता है। यानि ईडी परिणाम स्वरुप काम करती है, उसके नीचे, उसके पीछे एक मूल ऑफेंस, अपराध होना आवश्यक है, उसको तकनीकी भाषा में प्रेडीकेट ऑफेंस कहा जाता है। तो इन सब समन में कभी ये नहीं बताया गया है हम ईडी जो आपको नोटिस भेज रहे हैं, उसका प्रेडीकेट ऑफेंस क्या है, बिना अंडरलाइन प्रेडीकेट ऑफेंस के लागू ही नहीं होता है कि अधिकार क्षेत्र का ज्यूरिडिक्शन प्रश्न उठ जाता है।

खैर मैं लंबी कहानी कम शब्दों में आपको बताऊंगा कि इस आधार पर जोधपुर हाईकोर्ट गए, जोधपुर हाईकोर्ट ने लिखित आदेश में कहा कि पहले आप ये निर्णित कीजिए कि प्रेडीकेट ऑफेंस क्या है, नीचे, जो इसके पीछे ऑफेंस है, जिसके आधार पर ईडी एक्शन ले रही है, वो क्या है? उस आदेश के अनुसार ईडी ने कई सालों बात हाल में ये निर्णय किया कि हमारा ये प्रेडीकेट ऑफेंस हैं और ये भी सिर्फ दो मुलाजिमों के आधार पर किया, ना कि रॉबर्ट वाड्रा के आधार पर। उसके दूसरे केस में नाम है एक का नाम है महेश, अब जोधपुर हाईकोर्ट में लंबित है। तो इतना जो ड्रामा किया जाता है प्रेस के अंदर और विशेष रुप से आपके जो प्रेस के विशेष अंग हैं, जिनकी सत्तारुढ सर्कल में अभिन्न मित्रता है, उनको सूचना और समन आने से पहले लीक किया जाता है। इसका एक उदाहरण है 7 दिसंबर को एक अखबार में जो तीसरा समन था, उसका खुलासा आया और 7 तारीख तक रॉबर्ट वाड्रा जी जिनका नाम स्काईलाइट के अध्यक्ष के रुप में लिखा गया था, उनको वो समन मिला ही नहीं था, लेकिन अखबार को पहले मिल गया, 7 तारीख को प्रकाशित हो गया।

नबंर चार, आज तक कोई ECIR, ये बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है, आम ऑफेंस में, अपराध में एफआईआर होती है, उसी तरह से ECIR होती है, वो एक प्रकार से ईडी के मामले में एफआईआर होती है, आज तक रॉबर्ट वाड्रा जी को कोई ECIR नहीं मिली है। एक प्रदेश में 5 साल का एक कार्यकाल खत्म हो गया है और एक जगह खत्म होने वाला है अगले साल तक।

जिस प्रकार से मनोज अरोड़ा, उनकी बहन, उनके संबंधी, उनकी पत्नी के माता-पिता को प्रताड़ित किया गया, ये दुर्भाग्य है इस देश का कि हमारे गणतांत्रिक, लोकतांत्रिक गौरवशाली संविधान के अंतर्गत इस प्रकार के मलिन द्वेषपूर्ण एक्शन 2018 में मीडिया के सामने लिए जा सकते हैं। 600 पेजों का दस्तावेज हाल में 26 नवंबर और 5 दिसंबर को जवाब के आधार पर रॉबर्ट वाड्रा जी के वकीलों ने दिया है, खुद वकील खेतान जी ने जाकर उसको सब्मिट किया है, चुनाव के पोलिंग के ठीक कुछ घंटों पहले आज उसको बिना प्रोसेस किए, उसका जवाब दिए, कोई नोटिस दिए इस प्रकार के एक्शन लिए जा रहे हैं। इससे ज्यादा बेशर्मी क्या हो सकती है कि चुनाव के पोलिंग के कुछ घंटों पहले ये प्रक्रिया की जा रही है, क्योंकि आप समझते हैं कि पूरा देश घास खाता है, मूर्ख हैं और आपके इन हथकंडों से लोग भ्रमित हो जाएंगे। हमने कहा है और औपचारिक रुप से हम दोहरा रहे हैं, हमने उनके वकील से बात की है, तथ्यों को ग्रहण किया है कि लोगों को बेरहमी से धमकाया गया, डंडों का इस्तेमाल हुआ, बच्चे थे, मनोज अरोड़ा के घर पर उनकी पत्नी के अलावा 80 वर्षीय उनकी माँ और 5 वर्षीय लड़का था, उनके बहन के पति यानि उनके ब्रदर इन लॉ पैरालाइज्ड हैं, इन सबको कोई भी आम तौर पर जो लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक और संवैधानिक तौर पर शिष्टाचार होता है, वो भी नहीं दिखाया गया।

आपको याद है कुछ समय पहले एक अकाउंटेंट थे और कंसलटेंट थे, श्री राजेश खुराना, उनको हजारों बार समन किया गया, उन्हौंने कहा कि मुझे कुछ समय चाहिए, मेरा ब्रेन हेमरेज हो चुका है, मुझे बार-बार अस्पताल जाना पड़ता है, फिर भी उनको प्रताड़ित करने के लिए बार-बार बुलाया गया और उनकी 58 वर्ष की आयु में मृत्यु हुई। मैं आपको चिठ्ठा साफ कर रहा हूं, चाल, चरित्र और चेहरा सिर्फ इनके विभाग का नहीं, इनको भी याद रखना चाहिए कि समय बदलता है, मौसम बदलता है, चुनाव के परिणाम बदलते हैं, एक चुनाव परिणाम 11 तारीख को मौसम बदलने वाला है, दूसरा मौसम बदलेगा अगले वर्ष। तो शायद हमारे जो माननीय अधिकारी लोग हैं, जो अध्यक्षता करते हैं इतने महत्वपूर्ण विभाग की, उनको अपने राजनीतिक मास्टर को ये याद दिलाना चाहिए कि हर चीज अनुशासन के बिना नहीं हो सकती और उनको भी रिस्ट्रेन बर्तना चाहिए, क्योंकि समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता है। लेकिन हमारी राजनीतिक कार्यपालिका की क्या बात कर सकते हैं, इस प्रकार से बेशर्मी से ऐसे विभाग का दुरुपयोग करना, सिर्फ राजनीतिक प्रतिशोध के कारण, मैं समझता हूं कभी भारत में 70 वर्ष में नहीं देखा गया।

मेरे मित्र, सहयोगी श्री पवन खेड़ा आपको कुछ और बताएंगे कि किस प्रकार से ऐसे विभाग में चुने लोगों को नियुक्त किया गया, उनके अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग करने के लिए। लेकिन मैं अपनी बात सिर्फ इतना कहकर खत्म करुंगा कि माननीय प्रधानमंत्री, माननीय सत्तारुढ़ पार्टी के अध्यक्ष या ये सब ब्यूरोक्रेसी, ये सब समझते हैं कि इस प्रकार की गीदड़ भभकी से कांग्रेस जैसी पार्टी, जिसने विदेशी लोगों से लेकर बॉर्डर के उस पार देशों से लेकर इतनी सारी धमकियां झेली हैं, उनका मजबूती से सामना किया है, वो समझते हैं कि ऐसे गीदड़-भभकी से अगर कांग्रेस पार्टी को फर्क पड़ने वाला है तो उनको अभी तक इस देश की अस्मिता, कांग्रेस पार्टी की पहचान नहीं है।

श्री पवन खेड़ा ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले आपने देखा सीबीआई की क्या हालत है? सीबीआई का नंबर दो, रॉ के नंबर तीन की मदद लेकर सीबीआई के नंबर तीन का फोन इंटरसेप्ट कराता है, ये इस सरकार की स्थिति है, एजेंसीज की ये स्थिति है इस सरकार में। एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की हालत देखें, तो जो अभी डायरेक्टर बनाए गए हैं, एसके मिश्रा साहब, इस विभाग के इतिहास में सदैव आईएएस और आईपीएस अधिकारी डायरेक्टर बनते हैं, एडीशनल सेक्रेटरी रैंक होना उनका आवश्यक है। ये महोदय जो हैं, गुजरात कैडर के, कोई हैरानी की बात नहीं है आपके चेहरों पर थोड़ी मुस्कान क्यों आई, मुझे नहीं समझ में आया, 1985 बैच के ये अफसर हैं। जब इन्हें एक्टिंग डायरेक्टर बनाया गया, तब ये एडिशनल सेक्रेटरी रैंक में नहीं थे। एक हफ्ते में, आनन फानन में इनको इंपैनल कराया गया और फिर इनको रेगुलर दो साल का टर्म फिक्स, जो होता है वो दे दिया गया, डायरेक्टर का।     

ये पहली बार हुआ है, इसके अलावा अगर आप देखेंगे, इनके अपने ओएसडी वो बने हैं, जिन पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के स्ट्रिक्चर्स पास किए गए थे, वो भी रेवेन्यू सर्विसेज के अधिकारी थे। ये तमाम अफसर जो मोदी जी लगाते हैं, या तो उनको पुरानी सेवाएं जो इन्होंने गुजरात में ली थी, जब मुख्यमंत्री थे तो इनको उपकृत कर रहे हैं, पुरस्कृत कर रहे हैं या अब पिछले चार साल और आने वाले तीन चार महीने में इनसे कार्य लेंगे, जो इनसे सेवाएं, लेंगे, गैर कानूनी सेवाएं जो लेगें, उसकी ये एडवांस पेमेंट है कि मैंने आपको डायरेक्टर बना दिया, अब आप मेरे लिए जो मैं चाहता हूँ वो करिए। एजेंसीज को नरेन्द्र मोदी और अमित शाह साहब ने अपनी प्राईवेट आर्मी बना दिया है। ये निजी सेना है, मोदी जी की और अमित शाह की।

डिप्टी डायरेक्टर हैं, जसवीर खीचड़ हैं, मलिक हैं, जो असिस्टेंट डायरेक्टर हैं, ये तमाम फौज बनी हुई है, जो संजय मिश्रा के इशारे पर चलती है और संजय मिश्रा जी नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के इशारे पर चलते हैं। जैसा कि अभिषेक सिंघवी जी ने बताया इन अधिकारियों को भी समझ लेना चाहिए कि गैर कानूनी काम न करें, मौसम बदलते देर नहीं लगती और मौसम बदलने की आहट आ ही चुकी है।

They will be held accountable for every single illegality that they have indulgd into on behalf of their political masters, Mr. Narendra Modi and non state actor, Mr. Amit Shah. ये एक नॉन स्टेट एक्टर्स का भी एक नया जमाना, हमने नया दौर देखा हमने पिछले साढ़े चार, पौने पाँच सालों में। जो अमित शाह करते हैं। एनएसए के बारे में अब आपको क्या बताएं, रोज छपता है। तमाम एक्टिविटी उनकी जो एनएसए के दायरे में नहीं हैं, वो होती हैं। तो देश की एजेंसीज की, जिसको हम कहते हैं इटेग्रिटी के साथ जो खिलवाड़ किया गया उसको छिन्न भिन्न कर दिया गया है इस सरकार द्वारा। इसको ठीक होते-होते भी दस साल लग जाएंगे जो इन्होंने स्थिति बना दी है हमारी एजेंसीज की। फिर से चेतावनी दे रहे हैं हम इन तमाम एजेंसीज और अधिकारियों को जो गैर कानूनी काम कर रहे हैं।

अब एक ज्वलंत उदाहरण इसका सुशील चंद्रा जी हैं, सीबीडीटी के चेयरमैन हैं। इतिहास में पहली बार सीबीडीटी के चेयरमैन को दो-दो एक्सटेंशन्स मिलीं। कई डिजर्विंग ऑफिसर्स जो लाईन में थे सीबीडीटी के चेयरमैंन बनने के, वो रिटायर हो गए, वो घर बैठ गए, उनकी काबिलियत का प्रयोग नहीं हो पाया क्योंकि यहाँ सदुपयोग करने के लिए कुछ नहीं बनाया जाता, यहाँ सिर्फ और सिर्फ दुरुपयोग करने के लिए बनाया जाता है। ये तो अभी हमने आपको कुछ उदाहरण दिए हैं, एनआईए के शरद कुमार थे, बिल्कुल अनएलिजिबल ऑफिसर्स को आप बैठा देते हैं, फिर उनको आप हांकते हैं कि ये करवा दिया वो करवा दिया, उनसे आपने तमाम गलत काम करा दिए अपने राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए। तो अब ये अफसर समझ लें, इन्हें बचाने नहीं आएंगे मोदी जी जब कानून का रास्ता इन्हें दिखेगा, जब इनकी ये सारी बातें, इनकी गैर कानूनी गतिविधियाँ जब सबके सामने आ जाएंगी तो इन्हें कौन बचाएगा? देश संविधान से और कानून से चलता है, किसी के बेंत से नहीं, किसी के हांकने से नहीं।

एक प्रश्न पर कि जो आपने बात की कि मौसम बदलता है, क्या ये माना जाए कि ईडी डॉयरेक्टर को आप चेतावनी दे रहे हैं, डॉ. सिंघवी ने कहा कि हम किसी व्यक्ति विशेष को कुछ नहीं कह रहे हैं, हम एक सिद्धांत की बात कर रहे हैं। मैंने और मेरे सहयोगी ने आपके सामने तीन सिद्धांत आपके सामने दोहराए, मैं फिर बता देता हूं। बिना ESIR FIR में नाम के, बिना उसकी कॉपी दिए, बिना सर्च वारंट के, बिना वकील को एक्सेस अलाउ किए अगर आप मेरे घर में घुस जाएं, आपको जो तहकीकात करनी है कीजिए, लेकिन कानून के अनुसार कीजिए। प्रश्न नंबर एक, क्या ये गैर-कानूनी है या नहीं?  इसके लिए आपको कोई कानून के अधीन होने की जरुरत नहीं है? उसके बाद आप क्या डंडा दिखा सकते है? क्या धमका सकते हैं? इसके लिए भी आपको कानून के अधीन होने की जरुरत नहीं है, तो आप ऐसे काम करेंगे, बार-बार करेंगे, राजनीतिक मास्टर के आधार पर करेंगे तो हम इतना भी नहीं कहेंगे पूरे सिस्टम को और उस सिस्टम के मुख्य जो दुरुपयोग वाले अंग हैं, उनके नाम हमने आपको बता दिए हैं। चाहे सीबीआई हो या उनके ऑफिसर हों, चाहे ईडी हो, चाहे आईटी हो इत्यादि। तो क्या देश जो एक गौरवशाली गणतंत्र है, वो जवाबदेही नहीं मांगेगा? भगवान से डरो, जो सबसे सर्वोपरी है, लेकिन संविधान तो दूसरा नंबर पर आता है, उससे तो डरना पड़ेगा, हमसे डरने की आवश्यकता नहीं है और तीसरा आता है कानून से, तो ये एक संवैधानिक अनुशासन और सीमा की बात है जिससे अपने आप एक अनुशासन आना चाहिए और अगर नहीं आता है तो या तो आप बेवकूफ हैं या नासमझ हैं या कानून नहीं जानते आप।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा के सर्जिकल स्ट्राईक पर दिए बयान से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये मैंने नहीं कहा, ये जानकार लोग कह रहे हैं। ये जानकार वो लोग हैं, जिनका अधिकार क्षेत्र है, ये काम करना। सर्जिकल स्ट्राईक, ये माना गया है, सर्वमान्य है कि पहली बार नहीं हुई है, इस सरकार के पैदा होने के बाद। यदि मोदी जी सोचते हैं कि भारत की हर चीज इस सरकार के बनने के बाद ही पैदा हुई है, तो जो परिपक्वता, जिसे समझ और सूझबूझ के साथ पहले किया गया ये काम, वो सूझबूझ आपने नहीं दिखाई। मैं सिर्फ आभार प्रकट कर सकता हूँ अब, कम से कम सेवानिवृत होने के बाद सच्चाई बोली गई है। ये आजकल आर्मी और आर्मड फोर्सेस के करीब-करीब हर अंग में आभास है, मैं समझता हूँ, मैं भी जानता हूँ कि उस आभास को प्रकट करना आसान नहीं है, खासतौर से किसी प्रतिशोध की भावना से चूर सरकार को, लेकिन सच्चाई अल्टिमेटली, अंततोगत्वा निकलती है और ये किस लेवल की बात कर रही हैं आप, लेफ्टिनेंट जनरल की बात कर रही हैं, जो शीर्षस्थ हैं, जिसके बाद बस एक या दो अंग रह जाते हैं। तो इसलिए ये अपनी 56 इंच की छाती, अपनी फोटोग्राफ, अपना नाम, अपनी विदेश यात्रा और अपनी वाहवाही, अहंकार से चूर जब शहंशाह हो जाता है, तो किसी न किसी को बताना पड़ता है उसको अरे,  कपड़े नहीं  पहनें हैं, आपने तो, कपड़े कहाँ है? ये बताने वाली बात बाद में निकले या शुरु में निकले, ये सच्चाई का आईना अब निकल रहा है, धीरे-धीरे।

एक अन्य प्रश्न पर कि ईडी की तरफ से बयान आया है कि इस जांच में जरुरी कागजात बरामद हुए हैं, डॉ. सिंघवी ने कहा कि यही तो बात है, जो आपने बोला बिल्कुल सही है। अब ये कहाँ से आई खबर? ये लीक, ये संटेस किसको मिला, दो संटेस दो घंटों बाद वहाँ से आएंगी, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि वहाँ से शाम तक दो-तीन और लीक आएंगी। This is known as character assassination by innuendo and insinuation. जब आपके पास तथ्य नहीं हैं, जब आपके पास सब्सटांस नहीं हैं, तो यही तो करेंगे आप। मैंने आपको उदाहरण दिया ना अभी, आज तक बीकानेर लैंड स्कैम में सुरेश जी को आपने अपने नोटिस में भी इंट्रोड्यूज कर लिया है। आज 5 वर्ष हो गए हैं, जो स्टेट पुलिस वाली शिकायत है, ईडी की बात नहीं कर रहा हूं, राजस्थान में, उसमें एफआईआर में नाम नहीं, चार्जशीट में नाम नहीं, सप्लिमेंट्री चार्जशीट में नाम नहीं, आज 5 वर्ष का कार्यकाल खत्म, ये सरकार रुखसत हो रही है 11 तारीख को। लेकिन आपको एक लीक आएगा वापस कि बीकानेर लैंड स्कैम में स्टेट पुलिस ने ये किया, वो किया, अरे नाम तक नहीं है। And remember you are now rightly reacting Madam within 24 hours to a fresh assault which you have seen on 7th and 8th morning. So, obviously the object with the assault is to get papers signed by people put under terrorist threat, put a gun to his employee’s head and make him sign papers then slowly selectively leak one sentence here afternoon another sentence there, तो इस प्रक्रिया का उद्देश्य ही यही है, ये तो खैर आपको मालूम है कि कानून के अंतर्गत कि मैं अगर इनको अपनी कस्टडी में किसी भी हिरासत के तौर पर कुछ भी लिखवाता हूं तो वो इनविजिबल होता है, वो एक अलग कानूनी प्रक्रिया है। लेकिन प्रयत्न होता है कि ना आप लोगों के द्वारा, मैं हमेशा कहता हूं कि आप लोगों के विशेष अंगों के द्वारा इसका फायदा उठाया जाए।

 

एक अन्य प्रश्न पर कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलंदशहर की घटना को लेकर कहा है कि ये एक घटना थी, इसमें कोई साजिश नहीं थी, डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं समझता हूं कि जो तौर-तरीका अपनाया गया है उस प्रदेश में, अब जिस प्रकार से अंग्रेजी में कहा गया है कि the wink can be a nod  एक संदेश दिया गया है, वो इतना दयनीय है, भर्त्सना योग्य है, एक जांबाज पुलिस अफसर की मौत हुई इस प्रकार से। अगर आपकी गाड़ी में पकड़ लें आपको, बांध दें, आपको शूट क र दें, आपका घेराव कर दें, आपकी गाड़ी को जला दें और सब लोग देख रहे हों, तो उसको मॉब लिंचिंग नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे, और किसी शब्द का मुझे पता नहीं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि एक मुख्यमंत्री इस प्रकार के संदेश भेज सकते हैं क्या, जिससे तहकीकात सही नहीं हो? उनके जो अदना ऑफिसर हैं उनके नीचे, उनकी क्या हिम्मत है तहकीकात करने की अगर इस प्रकार के संकेतात्मक संदेश भेजे जा रहे हैं। अभी आपने 4 दिन पहले वो कमाल का वक्तव्य सुना कि मूल मुद्दा वो नहीं है लेकिन मूल मुद्दा है दूसरे वाला। अब ये मूल मुद्दे की परिभाषा ये अपने राजनीतिक मास्टर से लेकर आए थे और क्या कभी इसी देश में संभव है कि एक आम आदमी की लाश हो, पुलिस ऑफिसर को दूर छोडिए, यहाँ पर पुलिस ऑफिसर की लाश हो, वो मूल मुद्दा नहीं है उत्तर प्रदेश सरकार के लिए और उनके कुछ अधिकारियों के लिए। मूल मुद्दा दूसरा है। तो ये सब संकेतात्मक है।

एक अन्य प्रश्न पर कि अगर इन तीनों राज्यों के रुझान सही साबित होते हैं तो क्या आपकी ईवीएम में खराबी को लेकर शिकायत दूर होगी, डॉ. सिंघवी ने कहा कि बिल्कुल नहीं, ये गलतफहमी है, भ्रम है कि ईवीएम के लिए ये प्रचारित किया जाता है कि हमारी ईवीएम की शिकायत जीत और हार पर निर्भर है। मैं उसमें आपको लंबा लेक्चर नहीं देना चाहता हूं, लेकिन ईवीएम कभी भी पूरी तरह से खराब नहीं होते हैं, चुनाव के जीत और हार के लिए ईवीएम से प्रयत्न किया जाता है कि कुछ कोर सैंपल मशीन में दखलअंदाजी हो, उससे किसी कोर एरिया का रिजल्ट बदला जाए। लेकिन मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि मैं खुद पिछले 2 हफ्तों में चुनाव आयोग 4 बार गया हूं, हमारे कई और शीर्षस्थ नेता दो-तीन बार गए हैं, हमने जबरदस्त मुहिम लगाई है इसके बारे में कि आपको एकदम चेतावनी है, सतर्क रहना है और उसका भी तो आप प्रभाव देख रहे हैं। हमने हर चीज के ऊपर उनको लिखित दस्तावेज दिए, फोटोग्राफ दिए, बल्कि मैंने तो उत्तर प्रदेश के बारे में भी दिए थे कि चुनाव नहीं हो रहा है और छत्तीसगढ़ में हमारे सहयोगी पुनिया जी साथ गए थे, उन्होंने एक दस्तावेज दिया करीब 15 सेफ गार्ड इमेजिज का, इन सबका असर देख रहे हैं आप। इसका मतलब ये नहीं है कि कल ही हुआ है, आपने ही कल छापा कि एक सड़क पर मिल गई है ईवीएम, तो क्या आप इसके ऊपर चिंतित नहीं होंगे? ये बाइनरी उत्तर देना कि आप हार गए तो ये है, जीत गए तो ये है, ये देश के साथ विश्वासघात है क्योंकि हम सबको सतर्क रहना है, आपको भी रहना है, हमें भी रहना है।

       Sd/-

(Vineet Punia)

Secretary

Communication Deptt.

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