3-December-2018 कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन संबोधित करते हुए

ALL INDIA CONGRESS COMMITTEE

24, AKBAR ROAD, NEW DELHI

COMMUNICATION DEPARTMENT

Highlights of the Press briefing

डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि, जो गंभीर चिंताएं कांग्रेस पार्टी ने कुछ समय पहले अभिव्यक्त की थी, इस देश में हर संस्था को नीचे गिराने और तोड़ने के संबंध में विशेष रुप से उच्चतम न्यायालय के विषय में, वो आज बिल्कुल सही सिद्ध हुई हैं। मुश्किल से 48 घंटे पहले सेवानिवृत उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने ये बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा है जो आपने प्रकाशित किया है कि हर प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप, हर प्रकार के गलत रुप से बेंच सलेक्शन के प्रोसिजरस, जो आधारित थे बाहर के आदेशों और हस्तक्षेपों के, जिसमें राजनीतिक द्वेष घुसाने का प्रयत्न किया गया था, उसके ऊपर उस वक्त सही आवाज उठाई गई थी।

मैं अभी शुरुआत में ही स्पष्ट करना चाहता हूं कि हमारा इससे कोई मतलब नहीं है कि न्यायपालिका अपने अधिकार क्षेत्र में इस मुद्दे को कैसे टैकल करती है, कैसे हल करती है, कैसे डील करती है, क्योंकि हम मानते हैं कि वो पूरी तरह से, व्यापक रुप से सक्षम है, हर प्रकार से करने में सबल है। हमें उससे मतलब नहीं है, हमें आज कांग्रेस पार्टी की हैसियत से आपके समक्ष इस बात से मतलब है, जिसकी एक शब्द में परिभाषा है – जवाबदेही। आपके जरिए एक सरकार से देश जवाबदेही मांगता है, प्रधानमंत्री से और सत्तारुढ़ पार्टी के अध्यक्ष से। जवाबदेही तुरंत चाहिए, जवाबदेही इसलिए चाहिए क्योंकि इससे ज्यादा गंभीर मुद्दा ही नहीं हो सकता। जवाबदेही चाहिए यह जानने के लिए कि ऐसे हस्तक्षेप का सही स्वरुप क्या था, सही तौर-तरीका क्या था इसका? हस्तक्षेप करने वाला कौन था, वार्तालाप किसने किया, कौन से ये केसिस थे, उनका सब्जेक्ट मैटर क्या था? ये और इससे संबंधित अन्य सभी प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण है एक गौरवशाली गणतंत्र के लिए, जिसमें हमारा चमकता हुआ सितारा न्यायपालिका है।

मैं समझता हूं, साथ-साथ ये हमारा पूरा अधिकार क्षेत्र है, हर नागरिक का, हर राजनैतिक पार्टी का कि वो भर्त्सना करे ऐसे असंवैधानिक तौर-तरीकों की, ऐसे अवैध तौर-तरीकों की और इस सरकार के विषय में जो डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट के लिए सुप्रसिद्ध है, गलत कामों की जिन्होंने विशेष डिपार्टमेंट में पीएचडी ले रखी है। हर पुरानी जड़ों वाली संस्था को गिराने, तोड़ने, अंदर से खोखला करने में जो 2014 से शुरुआत से लगे हैं और कई जगह अलग-अलग डिग्री में सफल हुए हैं। उन सस्थाओं की सूची लंबी है, उस श्रृंखला में सीबीआई भी आती है, सीआईसी भी आती है, लोकपाल भी आता है, हमारे विश्वविद्यालय भी आते हैं, इत्यादि-इत्यादि, लेकिन सबसे सर्वोपरी उच्चतम न्यायालय आता है।

मैं आपके जरिए कहना चाहता हूं कि क्या कोई सोच भी सकता है ऐसी चीजों का संकेत, महत्व, प्रभाव, दुष्प्रभाव जिसका जिक्र माननीय सेवा निवृत जज ने किया, क्या असर था उन केसिस का, क्या सब्जेक्ट मैटर था उन केसिस का, कितनी बार हुआ ये हस्तक्षेप? एक बात तो सही है, सिद्ध हो गई है, प्रमाणित हो गई है कि जो-जो हमने कहा था, ऐसी प्रक्रियाओं को रोकने के जो प्रयत्न हमने किए थे सबसे अग्रणी पंक्ति में खड़े होकर, वो सभी सही थे, वे तथ्यों के आधार पर थे, वे सच्चाई पर आधारित थे, ये आज प्रमाणित हो गया है। उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण ये बात है कि पूरी तरह से प्रमाणित हो गया है कि किस प्रकार से ये सरकार और सत्तारुढ़ पार्टी काम करती है, इसकी कार्यशैली क्या है और विशेष रुप से कैसे सोचती है, इसकी पहचान, इसका व्यक्तित्व क्या है? इससे मालूम पड़ जाता है कि इसको अपनी संस्थाओं, जो कि हमारे देश की नींव है, स्तंभ हैं, उसके बारे में बिल्कुल चिंता नहीं है, इसको तो अपनी सस्ती राजनीति की चिंता है। सस्ती राजनीति चल जाए तो बाकी सब भाड़ में जाए। सस्ती राजनीति और साथ-साथ अपने दो सर्वोपरी गणमान्य व्यक्ति एक जो सरकार के ऊपर बैठे हैं और एक जो सत्तारुढ़ पार्टी के ऊपर बैठा है, जहाँ तक इनका उल्लू सीधा हो, बाकी देश भाड़ में जाएं, उसकी संस्थाएं भाड़ में जाएं। इसलिए हमने कहा, अब्राहम लिंकन की उस शब्दावली को बदलते हुए कि This is a Government of the interfering by those who have much to hide and for cover up of its failure. So it is also a Government of the, by the and for the,  लेकिन इसमें people कहीं नहीं आते, people शब्द मिसिंग है।

हम तुरंत क्लेरिफिकेशन मांगते हैं, हम आश्वस्त हैं कि कभी कोई क्लेरिफिकेशन आने वाला नहीं हैं, ना माननीय प्रधानमंत्री की ओर से, ना माननीय भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष से। साथ-साथ मुख्य आरोपित इसमें अगर है तो कार्यपालिका के अध्यक्ष माननीय प्रधानमंत्री हैं और इसमें मुख्य आरोपित हैं सत्तारुढ़ पार्टी के अध्यक्ष। तो इसलिए इसमें तुरंत साथ-साथ एक स्वतंत्र, व्यापक, संसदीय कार्यवाही अलग और एक स्वतंत्र, व्यापक, न्यायिक कार्यवाही दूसरी तरफ अत्यंत आवश्यक है। हम उसकी मांग करते हैं, ये तो सिर्फ ऊपर के चेहरे का एक आंशिक हिस्सा है। अभी तो तहकीकात और कार्यवाही से कितने ऐसे गड़े-मुर्दे और निकलेंगे, आप सब जानते हैं, इसलिए हम आपके जरिए इसकी मांग तुरंत करते हैं।

एक प्रश्न पर कि पार्लियामेंट जांच का मतलब कि फिर से आप जेपीसी की मांग करते हैं, डॉ.सिंघवी ने कहा कि, हां बिल्कुल, मैं अभी इंतजार कर रहा हूं, माननीय प्रधानमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के जवाब का। लेकिन निश्चित रुप से एक स्वतंत्र, संसदीय जांच और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण न्यायिक जांच आवश्यक है।

एक अन्य प्रश्न पर कि संसदीय जांच का मतलब क्या है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये कहा गया है आपके सामने इतना, ये बताया गया आपको किसने कब, किसके बारे में, किस विषय में, किस रुप से कितनी डिग्री में बात की, क्यों की, क्या उसका अंततोगत्वा परिणाम हुआ, क्या उस पर दुष्प्रभाव हुआ, क्या एक्शन लिया गया, यही तो बता रहा हूं आपको।

On a question if the Congress Party demands a JPC, Dr. Singhvi said- Ultimately a Parliamentary enquiry will have to be a JPC. But I am separately demanding also a judicial enquiry, the parameters of two are different but we will be satisfied for the time being with either one at least. Let us start something.

एक अन्य प्रश्न पर कि क्या इस मुद्दे को शीतकालीन सत्र में उठाएंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि निश्चित रुप से उठाएंगे, शीतकालीन सत्र में ही क्यों, देश के समक्ष आज उठाया है। चुनाव चल रहे हैं उसके सामने, चुनाव में भी उठाएंगे, ये देश के हर अंग, हर नागरिक के साथ संबंध रखता है, ये कोई संकीर्ण मुद्दा नहीं है और ये एक संस्था की बात नहीं है, ये एक व्यक्ति की बात नहीं है, ये बात है एक सिस्टम में कल्चर की, जिससे आप सब चीजों को खोखला कर रहे हैं।

एक अन्य प्रश्न पर कि वो सब मैनेज कर लेते हैं, आपके पास जांच के लिए सिर्फ जेपीसी बचता है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि हम ये नहीं कह रहे है कि वो मैनेज कर रहे थे, उनका प्रयत्न पूरा यही है। हमारी संस्थाओं की जड़े इतनी कमजोर नहीं हैं, इसलिए आपने वक्तव्य देखे हैं, लेकिन आपका प्रयत्न तो उतना ही बुरा है, उसका परिणाम क्या होता है, ये देखने वाली बात है।

एक अन्य प्रश्न पर कि सीबीआई ने पंचकूला में रि-अलॉटमेंट के मामले में चार्जशीट फाईल की थी, आज ईडी ने 30 करोड़ की प्रोपर्टी अटैच की है, क्या कहेंगे, डॉ. सिंघवी ने कहा कि इसमें नया क्या है, ये तो पुराना केस है। आज 4 वर्ष बाद जिसकी हमेशा से, 2014 से डींगे बजाते रहे हैं, उस पर चार्जशीट फाईल हुई है और चार्जशीट के आधार पर ईडी ने एक्शन लिया है। मैं आपको दो चीजें याद दिला दूं, एक तो ये मामला न्यायपालिका में लंबित है, मैं खुद भी इससे संबंधित एक मामले में पेश हो रहा हूं। इसमें कोई फाइनैलिटी नहीं है, ये कोई निर्णय नहीं हुआ है, कोई न्यायिक निर्णय नहीं हुआ है, कोई अडजुडिकेशन नहीं हुआ है, कोई अंत नहीं हुआ है किसी प्रक्रिया का। एक याचिका की तारीख पड़ी है जनवरी की, मैं तारीख भूल रहा हूं। तो ये सब पूरी तरह से हम मानते हैं कि द्वेष द्वारा चलाए गए जो केसिस हैं, ये हर 2-4 दिन में विशेष रुप से जब चुनाव होते हैं, तो सुर्खियों में लाना आवश्यक हो जाता है। आज मैंने एक जवाब फाईल किया तो उसको सुर्खियों में ले आए, कल उसका एक जवाब आया तो उसको सुर्खियों में ले आए। केस वही पुराना है कोर्ट में, इसमें भविष्य में जो हियरिंग होगी, वही होगी अगली तारीख में। लेकिन इसमें बताया जा रहा है जैसे आज और बम्ब फूटा। प्रोपर्टी जो अटैच की है, वो एक कॉन्सिक्वेंस एक्शन है, उसको भी अब क्योंकि ये पहली बार हुआ है। ये एक होता है जिसको कहते हैं कॉन्सिक्वेंस, क्योंकि एक केस होता है, जब तक उस पर चार्जशीट नहीं होती है, उसके कॉन्सिक्वेंस के आधार पर ही किया जाता है। तो जितना इललीगल वो है और अगर वो इललीगल है तो उसका कॉन्सिक्वेंस भी इललीगल है। ईडी का अपना कोई अस्तित्व नहीं है। अगर हमारा केस सही है कि ये एक्शन ही इललीगल लिया गया है और कोर्ट अगर अगली सुनवाई में निरस्त करेगा तो ये भी साथ-साथ जाएगा, ये कॉन्सिक्वेंस है।

एक अन्य प्रश्न पर कि बुलंदशहर के बूचड़खाने में हुई घटना को लेकर कांग्रेस का क्या कहना है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं पहले तो इस बड़े दुखद प्रसंग के संदर्भ में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहूंगा, जो कुछ भी जान और माल की हानि हुई है। आज हमें इसका पूरी तरह से आईडिया नहीं है कि क्या स्टैटिक्स हैं, हम आशा और विश्वास करते हैं कि न्यूनतम होंगे। लेकिन हम अपनी बहुत गंभीरता के साथ श्रद्धाजंलि अर्पित करना चाहते हैं, क्योंकि ये सब लोग, आम आदमी, जनता निर्दोष होते हैं, जिन पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। लेकिन इसके साथ-साथ मुझे दुख के साथ कहना पड़ता है कि ये सीधा कानून व्यवस्था के चरमराने का, कानून व्यवस्था के ध्वस्त हो जाने का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण है। प्रदेश में किसी भी सरकार का, जो अपने आपको सरकार कहलाना चाहती है, उसका पहला उत्तरदायित्व होता है कानून व्यवस्था की मजबूती। आप धर्म एक तरफ छोड़ दें, समुदाय छोड़ दें, मुद्दे छोड़ दें, अगर कानून व्यवस्था सबल है, मजबूत है, निष्पक्ष है तो ये कभी होना ही नहीं चाहिए और इसलिए मैं इसकी भर्त्सना करता हूं कि इतने बड़े पैमाने पर इसकी असफलता है, अगर कानून व्यवस्था ऐसी है। मैं विनम्रता से कहना चाहूंगा श्री बिष्ट से कि पूरे देश में प्रचार करने, दौरा लगाने में व्यस्त मुख्यमंत्री अपने खुद के घर को पहले ठीक कर लें, उनके बैकयार्ड में क्या हो रहा है, कैसे संस्थाएं चरमरा रही हैं, कैसे दुष्प्रभाव हो रहा है दु:शासन, ना कि सुशासन तो दूर, शासन भी नहीं हो रहा है। दूसरों को उपदेश और भाषण देने से पहले कृपया अपने घर को पहले ठीक कर लें और ये इसका बहुत ही जान-माल पर दुष्प्रभाव पड़ा है कि ये अत्यंत ही दुखद प्रसंग है।

एक अन्य प्रश्न पर कि बुलंदशहर में हुई घटना को लेकर केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी विवादित बयान दिया है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि इतने दुखद प्रसंग और ऐसे समय पर इस प्रकार के वक्तव्य, पहली बात तो विभाजन करने वाले वक्तव्य, छोटे-ओच्छे वक्तव्य और उकसाने वाले वक्तव्य, क्या आप समझते हैं कि कोई भी परिपक्व राजनीति में जो हिस्सा ले रहा है, कोई भी परिपक्व पार्टी ऐसा होने देगी। आज गिरिराज सिंह जी मुझे लगता है 4 साल में 98 बार बोल रहे हैं ऐसा, मैं गिनती भूल गया हूं। 98 बार में क्या एक बार भी माननीय प्रधानमंत्री या अमित शाह जी ने उनको एक आंख भी दिखाई है, डांट-डपट तो दूर की बात है और ऐसे समय इस प्रकार के ओच्छे वक्तव्य करना, उकसाना, लोगों में विभाजन करना, द्वेष की भावना करना, मैं समझता हूं कि ये एक क्रिमिनल ऑफेंस भी हो सकता है और इसकी भर्त्सना मैं कड़े से कड़े शब्दों में करता हूं।

एक अन्य प्रश्न पर कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओ.पी.रावत ने कहा है कि नोटबंदी से कालेधन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, डॉ. सिंघवी ने कहा कि आज आप दिन-प्रतिदिन सच्चाई सुन रहे हैं। मुझे याद आता है एक प्रसंग जो अंग्रेजी में था कि पूरी बारात चल रही थी और सब लोग ताली बजा रहे थे शहंशाह के लिए। अब तालियाँ गूंज रही थी और शहंशाह चल रहे थे और सोच रहे थे मैं तो शहंशाह हूँ। तो छोटी बालिका ने कहा कि 27.47…but the तो ताली बजाने वालों ने एक ने इधर देखा, एक ने उधर देखा और कहा कि बोल तो सच रही है। तो धीरे-धीरे शहंशाह के कपड़े नहीं होने की बात बाहर निकल रही है। परसों या तरसों मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा है, तीन दिन हुए हैं शायद। आज कल ही जो सेवा निवृत हुए हैं, मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, लेकिन ये सच्चाई तो सर्वविदित है, अब ये बात अलग है कि इस सरकार और इसके प्रधानमंत्री, सत्तारुढ़ पार्टी के अध्यक्ष की द्वेष भावनाएं इतनी हैं कि सरकार में रहते इतना आसान नहीं होता ऐसा बोलना। प्रतिशोध की भावना और गुस्सा इतना है कि सही आदमी नहीं चाहता कि उसको झेले, लेकिन सच्चाई तो सच्चाई है। आप उसका कितना भी ढिंढोरा पिटवाईए, अब तो ढिंढोरा भी पीटना बंद कर दिया है प्रधानमंत्री जी ने बात करना बंद कर दी है, तीन परिणाम आए थे नोटबंदी से। लेकिन ये आम आदमी नहीं हैं, ये वो लोग हैं जिनका हस्तक्षेप है, जो समझते हैं इसके बारे में, मुख्य आर्थिक सलाहकार ऐसी नीतियाँ बनाता है, जब एक्सपर्ट ऐसा बोलते हैं तो कौन झूठ है और कौन सच है, आपको मालूम पड़ जाएगा। माननीय प्रधानमंत्री आपसे हाथ जोडकर विनम्रता से कम से कम देश से माफी तो मांग लें। जो करना था हो गया, एक या डेढ़ प्रतिशत जीडीपी खत्म हो गई हमारी, डेढ़ लाख करोड़ है या दो लाख करोड़ है, कई करोड़ तो खत्म हो गए, लेकिन कम से कम माफी तो मांग लीजिए, लेकिन जहाँ अहंकार है, जहाँ शहंशाह है, वहाँ कपड़े हों या ना हों, फर्क नहीं पड़ता है।

एक अन्य प्रश्न पर कि प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा है कि असली मुद्दे जो हैं बिजली, पानी सड़क उन पर वोट होना चाहिए या मोदी को हिन्दू का ज्ञान है या नहीं उस पर वोट चाहिए? डॉ. सिंघवी ने कहा कि कमाल है, मैं तो ताली बजाना चाहता हूं। अच्छा हुआ आपने याद दिला दिया, ये तो ताली बजाने वाली चीज है। मुझे हर्ष हुआ, प्रफुल्लित हो गया मैं, माननीय प्रधानमंत्री इतनी भी कृपा कर दें कि जो उनके महानुभाव ये रोटी, कपड़ा और मकान छोड़ कर बातें करते हैं, उनकी तरफ भी मुखातिब हो जाएं, एक दो टिप्पणी कर दें, डांट तो लगा दें, ऐसे हजारों नाम हैं, कभी गिरिराज सिंह है, कभी उत्तर प्रदेश के जाने-माने नाम हैं, तो वो उनको क्यों कहते हैं? ये अचानक रोटी, कपड़ा और मकान कैसे याद आ गया, सब भक्तों को कहलवा, कहलवा कर खुद को अलग क्यों करना चाहते हैं। ये good cop, bad cop थ्योरी कौन मानता है?

Sd/-

(Vineet Punia)

Secretary

Communication Deptt.

AICC

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